नयी दिल्ली। सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन फैसिलिटी (सीआईएफ), जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 28 फरवरी 2022 को आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के क्रम में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर एक दिवसीय वर्चुअल संगोष्ठी का आयोजन किया। आईपीआर कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आईपीआर के लाभ, वाणिज्यिक लाभ, साझा प्रौद्योगिकी, नवाचार और उपयोगकर्ता देशों द्वारा किए गए सर्वोत्तम वैश्विक प्रयासों के बारे में जानकारी का प्रसार करना था।
वर्चुअल सेमिनार का उद्घाटन और अध्यक्षता पद्मश्री प्रो. नजमा अख्तर, कुलपति, जामिया ने की। कुलपति ने आईपीआर जैसे महत्वपूर्ण एवं अति आवश्यक विषय पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए केंद्र द्वारा की गई पहल की सराहना की, जो सीधे संस्थान और देश के विकास से जुड़ा है, जिसने सभी संकाय सदस्यों को आईपीआर के साथ सहज होने के लिए प्रेरित किया है और साथ ही सीआईएफ से जुड़े कर्मचारियों के छोटे समूह के प्रयासों का भी मूल्यांकन किया है।
उन्होंने आगे विश्वविद्यालय में आईपीआर की संख्या बढ़ाने के बारे में जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया जो खजाना बन जाएगा और विश्वविद्यालय और उद्योगों के साथ-साथ छात्रों के प्लेसमेंट के बीच स्थायी संबंध स्थापित करने में मदद करेगा। यह नए स्टार्ट अप और उद्यमिता के रूप में अनुसंधान परिणामों के लिए अवसर भी प्रदान करेगा।
मुख्य वक्तव्य एक अत्यंत विशिष्ट विशेषज्ञ सुश्री शिप्रा मिश्रा द्वारा दिया गया जो सीकेआईसी-डीआरआईआईवी दिल्ली अनुसंधान कार्यान्वयन और नवाचार कार्यक्रम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एमडी हैं तथा उद्घाटन समारोह की विशिष्ट अतिथि थीं।
आईपीआर विषय के प्रख्यात विशेषज्ञ श्री ललित अंबस्ता, पेटेंट वायर्स के सीईओ, श्री सुशांत दास और श्री अतीकुल्ला, सहायक नियंत्रक पेटेंट एवं डिजाइन, पेटेंट कार्यालय दिल्ली, भारत सरकार ने एकेडेमिक्स में आईपीआर, आईपीआर की बुनियादी अवधारणाओं एवं स्रोतों सहित अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया पर व्याख्यान दिया।
प्रोफेसर सीमी फरहत बसीर, संरक्षक और डीन, प्राकृतिक विज्ञान संकाय ने मुख्य रूप से आईपीआर के महत्व पर संकाय टिप्पणी कीं और प्रोफेसर जुबैदा अंसारी, अध्यक्ष और प्रोफ़ेसर इंचार्ज सीआईएफ ने स्वागत और समापन वक्तव्य दिया। डिप्टी प्रोफ़ेसर इंचार्ज एवं संयोजक प्रो. तौकीर अहमद ने कार्यक्रम का संचालन किया, गणमान्य व्यक्तियों का परिचय कराया तथा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया।
आईपीआर कार्यशाला के लिए पीजी, पीएचडी छात्रों और संकाय सदस्यों सहित कुल 653 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। सभी व्याख्यानों में प्रतिभागियों ने बहुत गम्भीरता से भाग लिया जिनमें 300 से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति निरंतर बनी रही।