नई दिल्ली, डॉक्टरों ने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में 35 वर्षीय, पुरुष, श्री संजय रॉय का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। मरीज़ एक बेहद दुर्लभ किस्म के हृदय विकार से पीड़ित था। उनके हृदय की प्रमुख धमनी ”ऑर्टा” में एक बड़े आकार का छेद हो गया था जो कि दरअसल, उनके लिवर की एक धमनी में डाले गए मैटल स्टेंट की वजह से हुआ था। यह मैटल स्टेंट लिवर की धमनी से होते हुए, धीरे-धीरे हृदय के दाहिनी भाग में पहुंच गया था और वहां इसने ऑर्टा में छेद कर दिया। इस मैटेलिक स्टेंट को उनकी इंफीरियर वेना कावा (शरीर के निचले भाग से रक्त प्राप्त करने वाली प्रमुख धमनी) में डाला गया था क्योंकि मरीज़ लिवर के एक विकार ‘Budd chiari’ सिंड्रोम का पता चला था। डॉ ऋत्विक राज भूयन, डायरेक्टर, कार्डियोथोरेसिक वास्क्युलर सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट और डॉ विवुध प्रताप सिंह, कंसल्टैंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी को अंजाम दिया।
अस्पताल में जब मरीज़ को लाया गया तो उनमें हार्ट फेल, लीवर में अत्यधिक खराबी और प्लेटलेट कमी जैसे कई गंभीर लक्षण दिखायी दे रहे थे। उनकी सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि मैटेलिक स्टेंट उनके हृदय की धमनी में काफी गहराई में पहुंच चुका था। उनके हृदय का दाहिना भाग एक बड़े आकार की फुटबॉल की तरह दिखने लगा था क्योंकि इस तरफ वाल्व फेल हो चुका था और काफी मात्रा में रक्त बहकर दाहिने हिस्से में पहुंच गया था। इस स्थिति को शंट कहते हैं जिसमें हृदय के एक चैंबर से दूसरे चैंबर में रक्त का असामान्य प्रवाह होने लगता था। इस सर्जरी में मुख्य चुनौती हार्ट रप्चर होने के जोखिम से जुड़ी थी और साथ ही, अनियंत्रित रक्तस्राव तथा सर्जरी के बाद लीवर फेल होने की आशंका भी थी। आमतौर पर ऐसे में सर्जरी के बाद मरीज़ के बचने की संभावना सिर्फ 30 फीसदी होती है। साथ ही, यह काफी दुर्लभ स्थिति है जिसके बारे में पाठ्यपुस्तकों या जर्नल आदि में स्पष्ट रूप से दिशा-निर्देश उपलब्ध हैं। मरीज़ को हृदय को एक उन्नत तकनीक की मदद से रोका गया और मेटैलिक स्टेंट को काटकर छोटा किया गया। ऑर्टिक रप्चर को बंद कर दिया गया और उनके दायीं ओर के हार्ट वाल्व की मरम्मत की गई। इस लंबी सर्जरी को 12 डॉक्टरों तथा पैरामेडिकल स्टाफ ने करीब 9 घंटे में पूरा किया गया।
डॉ ऋत्विक राज भूयन, डायरेक्टर, कार्डियोथोरेसिक वास्क्युलर सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने कहा, ”श्री रॉय इससे पहले कई अस्पतालों में इलाज के लिए गए थे लेकिन हर जगह उन्हें मामले की जटिलता के चलते वापस कर दिया गया। इस मामले में हुआ यह था कि मरीज़ के लीवर में डाला गया मैटेलिक स्टेंट उनके हृदय में घुस गया था और उसने उनके हृदय की प्रमुख धमनी में छेद कर दिया था। यह किसी भी आईवीसी स्टेंट के लिए बेहद दुर्लभ है कि उसकी वजह से ऑर्टिक साइनस में छेद हो जाए। जब मरीज़ को अस्पताल में लाया गया तो वह असहजता, सांस लेने में कठिनाई और सीने में दर्द की शिकायत से पीड़ित थे। हमने उनकी जांच की और पाया कि उनके हृदय के दाहिने चैंबर में छेद था। अस्पताल में मरीज़ का ऑपरेशन किया गया और 2 सप्ताह बाद, श्री रॉय को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वह अब अपना सामान्य कामकाज शुरू कर चुके हैं। प्रकाशित चिकित्सा जर्नलों के अनुसार अब तक ऐसा कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है।” चूंकि मरीज़ के लीवर और हार्ट फंक्शन में खराबी थी, उन्हें कम से कम 3 माह के लिए कार्डियाक रीहेबिलिटेशन की जरूरत होगी और साथ ही, शराब, धूम्रपान से बचना होगा और कम मात्रा में पेय पदार्थ लेने होंगे।