विवेक शुक्ल
ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय और उनकी हाल ही में दिवंगत हुईं मां राजकुमारी एलिजाबेथ का राजधानी की सामाजिक संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी से लगातार संबंध बना रहा। ये दोनों ब्रदरहुड के केन्द्रों में आते भी रहे। अगर बात किंग चार्ल्स की करें तो वे जब अपने देश के राजकुमार थे, वे तब 1997 में दिल्ली आए। अपनी उस यात्रा के दौरान वे दिलशाद गार्डन के करीब ताहिरपुर में दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर की गतिविधियों को देखने पहुंचे थे।
यहां पर समाज के कमजोर तबकों से जुड़े सैकड़ों नौजवानों के लिए एयरकंडीशनिंग, मोटर मैक्निक, ब्यूटिशियन, कारपेंटर, टेलरिंग वगैरह के कोर्स चलाए जाते हैं। प्रिंस चार्ल्स ने सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे बहुत से नौजवानों से बात भी की थी और संतोष जताया कि यहां से प्रशिक्षित नौजवान जीवन में अपने लिए जगह बना रहे हैं। दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के सदस्य फादर सोलोमन जॉर्ज ने बताया कि प्रिंस चार्ल्स ने वादा किया था कि वे ब्रदरहुड सोसायटी के बाकी प्रोजेक्ट्स को आगे की यात्राओं में देखेंगे। बता दें कि राजधानी में ब्रदरहुड सोसायटी के संस्थापकों में गांधी जी के परम सहयोगी दीन बंधु सीएफ एंड्रयूज थे। उन्होंने सेंट कॉलेज में पढ़ाया भी था। वे दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी से 1916 में मिले थे। उसके बाद दोनों घनिष्ठ मित्र बने। उन्होंने 1904 से 1914 तक सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाया। उन्हीं के प्रयासों से ही गांधी जी पहली बार 12 अप्रैल-15 अप्रैल, 1915 को दिल्ली आए थे।
राजकुमारी एलिजाबेथ अंतिम बार 1997 में अपने भारत दौरे के समय दिल्ली आईं थीं। वह तब दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के राजनिवास मार्ग पर स्थित ब्रदर्स हाउस भी गईं थीं। वहां पर उन्होंने उन पादरियों से मुलाकात भी की थी जो अविवाहित रहते हुए दीन-हीनों की सेवा में भी लगे हुए हैं।
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