डॉक्टर चंचल शर्मा
हम सभी को अपने जीवन में हर रोज कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तनाव पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। भारत में भी इन दिनों 10-15% युवाओं में फर्टिलिटी से जुड़ी बीमारी तेजी से फैल रही है। यह समस्या महिला ही नहीं पुरुष में भी तेजी से फैल रही हैं। चिंता की बात यह है कि इसकी वजह प्रजनन संबंधी कोई दोष नहीं बल्कि आपका तनाव है।
हर इंसान का शरीर स्ट्रेस को अलग तरीके से हैंडल करता है। इस वजह से हमारे शरीर पर इसका असर अलग-अलग पड़ता है। स्ट्रेस से प्रॉडक्टिविटी में कमी आना, भूलने की बीमारी, थकान, बार-बार मूड बदलना और इंफेक्शन भी असानी से हो सकता है। आज इस लेख के माध्यम से आशा आयुर्वेदा स्थित डॉक्टर चंचल शर्मा आपको स्ट्रेस से फर्टिलिटी में होने वाली बाधा के बारे में विस्तार से बताएंगे।
पबमेड के एक मेडिकल शोध के मुताबिक हर समय हर 10 में से एक व्यक्ति निसंतानता की समस्या से शिकार हो रहा हैं। तनाव का उच्च स्तर हार्मोनल संतुलन को बाधित कर सकता है, ओव्यूलेशन और शुक्राणु उत्पादन में हस्तक्षेप कर सकता है और कामेच्छा को कम कर सकता है। पुराना तनाव भी शरीर में सूजन पैदा कर सकता है, जो प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि निसंतानता का भावनात्मक टोल तनाव के स्तर को बढ़ा सकता है और एक दुष्चक्र बना सकता है। तनाव कई तरीके के हो सकते है, जैसे व्यायाम, दिमागीपन और चिकित्सा जैसी तकनीकों के कारण तनाव पैदा हो सकता है जो गर्भधारण न होने की संभावनाओं को बढ़ा सकता है।
इसके अलावा अधिकांश निसंतान महिलाएं अपनी कहानी परिवार या दोस्तों के साथ साझा नहीं करती हैं। आज के समय में यूवा अपने पढ़ाई और करियर को लेकर काफी तनाव में रहने लगे है। इनके सोने-जागने और खाने-पीने का कोई निर्धारित समय नहीं है। यही कारण है कि बड़ी उम्र में फैैमिली प्लानिंग के बारे में सोचते हैं तो प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आने लगती है। सट्रेस से हर्मोन में उतार-चड़ाव आने के कारण शरीर में इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है। सट्रेस हर्मोन के रिलीज होने से फर्टिलिटी हर्मोन पर असर डालने लगता है। जिससे प्रजनन तंत्र के कार्य प्राणली को प्रभावित कर सकते है।
डॉ. चंचल का कहना यह भी है कि आईवीएफ से गुजरने वाले मरीजों में दिमाग से जुड़ें विकारों का अनुभव होने का काफी जोखिम होता है और इन रोगियों को पहचानना और उनकी सहायता करना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे कई बार आईवीएफ का सामना करते हैं जो फेल होने पर उनको अंदर तक झकझोर रख देता है।
उनका कहना है कि इनफर्टिलिटी का इलाज अब आयुर्वेद पद्धति में पूरी तरह से संभव है और प्रभावी भी है। आयूर्वेद से भी इनफर्टिलिटी का इलाज बिना आपरेशन के हो सकता है। आयुर्वेद की प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति निसंतानता की समस्या को दूर करने में पूर्ण रूप से सक्षम है। पंचकर्मा पद्धति के अंर्तगत पांच प्रकार (वमनकर्म , विरेचन कर्म, बस्तीकर्म (उत्तरबस्ती) नास्यकर्म, रक्तमोक्षण कर्म) चिकित्सा शामिल है।
उत्तर बस्ती चिकित्सा पंचकर्म की उत्कृष्ट चिकित्सा विधि है। उत्तर बस्ती के द्वारा ट्यूब में होने वाला ब्लॉकेज, अंडे की गुणवत्ता बढ़ाना और अन्य महिला निसंतानता को ठीक करने के साथ-साथ बच्चा करने के योग्य बन जाती है। उत्तर बस्ती चिकित्सा में आईवीएफ (IVF) या लैप्रोस्कोपी की अपेक्षा कम खर्च आता है और सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी सफलता दर भी आईवीएफ के मुकाबले ज्यादा है। आशा आयुर्वेदा में न जाने कितनी महिलाएं आई और आयुर्वेद की इस तकनीक को अपनाकर सूनी कोख भर वरदान साबित हुई है।