Tuesday, January 7, 2025
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‘संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

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नयी दिल्ली। सामाजिक मुद्दों पर आधारित देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लेखकों के शोधपरक आलेख को मंच प्रदान करने वाले प्रतिष्ठित ‘संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022″ की घोषणा चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क, दिल्ली द्वारा कर दी गई है. निर्णायक समिति (जूरी) के निर्णय पर आधारित इन पुरस्कारों का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों की किशोरियों और महिलाओं को सशक्त बनाने में मीडिया की भूमिका के साथ प्रतिबद्ध लेखकों के काम को प्रोत्साहित करना है.
यह पुरस्कार चरखा के संस्थापक संजॉय घोष से प्रेरित है, जिन्होंने मीडिया के रचनात्मक उपयोग के माध्यम से हाशिए के ग्रामीण समुदायों के सामाजिक और आर्थिक प्रगति की दिशा में काम किया है. दो दशक पहले शुरू किया गया यह पुरस्कार, लेखकों के एक ऐसे समूह को तैयार करता है, जो अंततः स्थायी परिवर्तन के सबसे प्रभावशाली मॉडल बन सकते हैं. इसके अंतर्गत पुरस्कार विजेता लेखन के माध्यम से विकासात्मक ढांचा से जुड़े विचारों को साझा करने के लिए एक साथ आते हैं और मीडिया की एक नई शैली बनाने की दिशा में बदलाव लाते हैं, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका के प्रति दूरदर्शी, जिम्मेदार और संवेदनशील है.
यह पुरस्कार लेखकों, विकास से जुड़े कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं और सामाजिक पैरोकारों के लिए वंचित समुदायों की किशोरियों और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का पता लगाने का एक समुचित अवसर है. इस वर्ष विशेषज्ञों के एक स्वतंत्र पैनल द्वारा किए गए निर्णय के आधार पर कुल 8 पुरस्कार दिए जाएंगे.
श्रेणी 1:
पांच पुरस्कारों में प्रत्येक विजेता को एक प्रमाण पत्र और 50,000/- रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा. प्रत्येक विजेता को 31 दिसंबर, 2022 तक शोधपरक और अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरों के साथ-साथ अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में स्वीकार्य पांच आलेख प्रस्तुत करने होंगे.
श्रेणी 2:
तीन पुरस्कारों में प्रत्येक विजेता को एक प्रमाण पत्र और 25000/- रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा. पुरस्कारों की यह श्रेणी गैर-लाभकारी संगठनों से जुड़ी युवा किशोरियों को सामाजिक कार्यकर्ता/नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए है. इस श्रेणी में प्रत्येक पुरस्कार विजेता से 31 दिसंबर, 2022 तक अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरों के साथ अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में स्वीकार्य तीन अच्छी तरह से शोध किए गए लेख तैयार करने की उम्मीद है. इस अवधि में चरखा टीम इस श्रेणी के प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक परामर्शदाता उपलब्ध कराएगी.
विषयों
विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए आवेदक नीचे सूचीबद्ध पांच विषयों में से एक का चयन कर सकते हैं:

  • सुदूर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की युवा किशोरियों और महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा
  • ग्रामीण भारत में किशोरियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
  • ग्रामीण भारत में महिला उद्यमिता
  • ग्रामीण भारत में किशोरियों को सशक्त बनाने में डिजिटल साक्षरता की भूमिका
  • ग्रामीण भारत में किशोरियों के जीवन पर खराब परिवहन सुविधाओं का प्रभाव
  • ग्रामीण भारत में बालिकाओं की तस्करी
  • ग्रामीण भारत में किशोरियों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार
  • किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए खेल – ग्रामीण भारत में चुनौतियां और अवसर
    कौन आवेदन कर सकता है?
  • श्रेणी 1 के लिए, स्वतंत्र लेखकों, शोधकर्ताओं, सामाजिक अधिवक्ताओं, विकास के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता और पत्रकारों के लिए किशोर लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शित प्रतिबद्धता के साथ
  • श्रेणी 2 के लिए, वंचित समुदायों की किशोरियों को सशक्त बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले किसी भी गैर-लाभकारी संगठन से जुड़ी किशोर लड़कियां (उम्र 15-19) और युवा महिलाएं (20-25 वर्ष)
    पात्रता :
  • कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन
  • लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे।
  • श्रेणी 1 के लिए आवेदकों को आवेदन के साथ अपने दो प्रकाशित लेख भेजने होंगे। एक हालिया (दो महीने से अधिक पुराना नहीं) और दूसरा आवेदक की पसंद का लेख।
  • श्रेणी 2 के लिए, यदि आप एक किशोरी या ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली एक युवा महिला सामाजिक कार्यकर्ता हैं, तो कृपया दो प्रासंगिक लेखन नमूने (प्रकाशित / अप्रकाशित) जमा करें।
  • संपर्क विवरण के साथ दो संदर्भ। उम्मीदवार के आवेदन को मंजूरी देने वाले संपादक/संगठन के प्रमुख का पत्र।
  • स्वतंत्र पत्रकारों को अपने काम से परिचित संपादकों या मीडिया हस्तियों से सिफारिश के दो पत्र शामिल करने चाहिए।
  • पिछले तीन वर्षों में प्राप्त पुरस्कार और फैलोशिप का उल्लेख (यदि प्राप्त हुआ है तो)
  • सभी आवेदन टाइप होने चाहिए। हस्तलिखित और अधूरे आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।
  • सभी लेख चरखा में संपादकीय टीम द्वारा अनुमोदन के बाद ही प्रकाशित किए जाएंगे।
    आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2022 है। कृपया अपना पूरा आवेदन इस विषय के साथ [email protected] पर मेल करें और विषय में ‘संजॉय घोष मीडिया अवार्ड 2022 के लिए आवेदन’ तथा श्रेणी का उल्लेख करना न भूलें, अधिक जानकारी के लिए 9365037694 या 7042293792 पर संपर्क करें।

हॉप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ने इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल OXO और OXO ‘X’ लॉन्च किया

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गरुग्राम। इलेक्ट्रिक टू-व्हीहलर निर्माता कंपनी हॉप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ने आखिरकार अपनी बहुप्रतीक्षित इलेक्ट्रिक बाइक हॉप OXO को लॉन्च कर दिया है। इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम में जबर्दस्ति बदलाव लाते हुए, हॉप इलेक्ट्रिक उन जागरूक उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करना चाहता है, जो स्थाबयी (सस्टेननेबल) विकल्पों को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। हॉप OXO की कीमत 1.25 लाख रुपये से शुरू हो रही है। उपभोक्ता इस इलेक्ट्रिक टू-व्ही्लर को अपने नजदीकी हॉप एक्सपीरियंस सेटर से और ऑनलाइन खरीद कर सकते हैं।
हॉप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के सीईओ और संस्थापक श्री केतन मेहता ने कहा, “इलेक्ट्रिक वाहनों ने भारतीय बाजार में तहलका मचाया हुआ है। इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास को यह रफ्तार स्थाटयी, सुविधाजनक और अफोर्डेबल मोबिलिटी समाधानों की ओर उपभोक्ता्ओं के झुकाव से मिली है। हॉप OXO बरसों के शोध और अनुसंधान, सड़क पर बाइक के परीक्षण और हॉप के कर्मचारियों की लगातार कड़ी मेहनत का नतीजा है, जिन्होंने मार्केट में इस प्रगितशील ई-बाइक को लॉन्च करने के लिए अपना खून-पसीना एक कर दिया है। हमारे डीलर-पार्टनर्स ने लॉन्च से पहले ही इस ई-बाइक के 5000 उपभोक्ताओं का रजिस्ट्रेशन कर लिया है। हमें इस श्रेणी की ई-बाइक्स में जबर्दस्त बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। हम अपने प्रॉडक्ट्स के संकलन को लगातार मजबूती प्रदान करने की दिशा में काम कर रहे हैं।“
हॉप OXO एक स्वेदशी इलेक्ट्रिक बाइक है, जो सभी आधुनिक और नए जमाने के उपभोक्ताओं की एक जगह से दूसरी जगह जाने की सभी जरूरतों को पूरा करती है। यह कई तरह की प्रमुख विशेषताओं से एकीकृत है। इसमें 5 इंच का एडवांस इंफॉर्मेशन डिस्प्ले है। धूल, गंदगी और पानी के छींटों से बचाव के लिए इस बाइक को आईपी67 की रेटिंग दी गई है। इसके साथ ही सहज और सुगमता से संचालन सुनिश्चित होता है।
यह प्रॉडक्ट 72वी आर्किटेक्चर पर काम करता है। इसमें 6200 वॉट की पीक पावर मोटर है, जो 200 एनएम का व्हील टॉर्क प्रदान करती है। OXO में 3 राइड मोड (इको, पावर और स्पोपर्ट) हैं। इसमें OXO X के लिए एडिशनल टर्बो मोड है। टर्बो मोड में हॉप OXO की टॉप स्पीड 90 किमी प्रति घंटे है। यह केवल 4 सेकेंड में 0-40 किमी की रफ्तार पकड़ लेती है। यह इलेक्ट्रिक बाइक एडवांस लिथियम आयन बैटरी से लैस है, जिसमें स्मार्ट बीएमएस और 811 एनएमएस सेल्स हैं। ओक्सओ में 3.75 किलोवॉट ऑवर का बैटरी पैक है, जो प्रति चार्ज पर 150 किमी की इंडस्ट्री की सबसे अग्रणी टॉप रेंज प्रदान करता है। OXO को पोर्टेबल स्मार्ट चार्जर से किसी भी 16 एएमपी के पावर सॉकेट से चार्ज किया जा सकता है। यह 4 घंटे से भी कम समय में 80 फीसदी तक चार्ज हो जाती है।

nurture.farm ने इनक्यूबेशन प्रोग्राम “कैटालिस्ट” लॉन्च किया

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बेंगलुरु। कृषि तकनीक (एग्री-टेक) उद्योग ने बहुत कम समय में काफी तेज रफ्तार से तरक्की की है। कई स्टार्टअप्‍स इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं, लेकिन व्यावहरिक रूप से अपना बिजनेस खड़ा करने के लिए जरूरी है कि उन्‍हें उचित मार्गदर्शन और संरक्षण के साथ-साथ संसाधनों तक पर्याप्‍त पहुंच मिले। इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए, भारत की सबसे बड़ी और प्रमुख एग्री-टेक कंपनी nurture.farm अपने तकनीकी समाधानों की मदद से खेती का ऐसा पारितंत्र तैयार कर रही है जोकि सुविधाजनक होने के साथ ही स्‍थायी भी हो। nurture.farm ने अपना इनक्यूबेशन प्रोग्राम ‘कैटालिस्ट’ लॉन्च किया है। यह प्रोग्राम एग्रीटेक के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स को अपना अस्तित्‍व बनाए रखने और आगे चलकर अपना दायरा बढ़ाने में मदद प्रदान करेगा।
nurture.farm का कैटालिस्ट प्रोग्राम एग्री-टेक स्टार्टअप्स को कृषि व्यवस्था के तहत प्रमुख हितधारकों के साथ साझेदारी करने में सहयोग देगा। उन्हें उनके खर्चों के लिए पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी। इतना ही नहीं, वह अपने उत्‍पादों एवं समाधानों का बड़े पमाने पर परीक्षण कर सकेंगे और उन्हें इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, कृषि उद्योग से जुड़ी विभिन्‍न जानकारियां और मानव संसाधन उपलब्ध कराने में मदद दी जाएगी। इस प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप्स को अपनी वृद्धि की रफ्तार तेज करने के लिए बड़े पैमाने पर सहयोग दिया जाएगा। इस इनक्यूबेशन प्रोग्राम में तरह-तरह के स्टार्टअप्स को विकास में पूरा सहयोग मिलेगा, जिसमें प्री-रेवेन्यू, सीड-फंडेड या एंजेल-फंडेड स्टाटर्टअप्स शामिल हैं। कंपनी नए-नए क्षेत्रों में नई खोज कर रहे इन स्टार्टअप्स को सहायता देने के लिए पूरी तरह से तत्‍पर है। nurture.farm के साथ सहयोग कर, स्टार्टअप्‍स इसके अनुभव से लाभ उठा सकते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने का अपना नेटवर्क बढ़ा सकते हैं तथा इंडस्ट्री में अपने संबंधों और कंपनी की समय के साथ बढ़ती साख का लाभ उठा सकते हैं।

गांव की पहुंच से बाहर है नेटवर्क

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डॉली गढ़िया, पोथिंग, कपकोट, बागेश्वर, उत्तराखंड

देश में 5जी को लेकर तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है. माना जा रहा है कि इससे इंटरनेट की रफ़्तार को पंख लग जाएगा. कनेक्टिविटी में जहां बेहतरी आएगी वहीं किसी भी चीज़ को डाउनलोड करना चुटकियों का काम हो जाएगा. इसे दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांति मानी जा रही है. इसके माध्यम से देश जहां नए युग में प्रवेश की तैयारी कर रहा है वहीं इस देश में कई ऐसे दूर दराज़ के क्षेत्र हैं जहां नेटवर्क की सुविधा नाममात्र की है. पहाड़ी क्षेत्र उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित कपकोट ब्लॉक का पोथिंग गांव इसका उदाहरण है. जहां नेटवर्क के हालात उपर्युक्त सभी दावों से कोसों दूर है. इस गांव के लोग आज भी अपने क्षेत्र में 5G की बात तो दूर, मामूली नेटवर्क को तरस रहे हैं. 

जिला मुख्यालय बागेश्वर से 30 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव की आबादी करीब ढ़ाई हज़ार है. मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझते इस गांव के लोगों के लिए नेटवर्क की कमी सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. यहां लोग न तो अपनों से बात कर पाते हैं और न ही आपातकाल की स्थिति में सहायता प्राप्त कर पाते हैं. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मोबाइल नेटवर्क की कमी उस समय बहुत ज्यादा खलती है, जब उनको किसी डॉक्टर से बात करनी हो या इमरजेंसी में अस्पताल जाने के लिए किसी एंबुलेंस को बुलाना हो. ऐसे में उनके परिवार के सदस्यों को गांव से दूर टावर की रेंज में जाकर बात करनी पड़ती है. सरकार ने गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए एक कॉल पर एंबुलेंस की सुविधा तो मुहैया करवा दी, लेकिन जब यहां मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है तो वह इस सुविधा का लाभ कैसे उठा सकती हैं?

कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी शिक्षा व्यवस्था ऑनलाइन माध्यम से संचालित हो रही थी, उस दौर में पोथिंग गांव के बच्चे नेटवर्क की कमी के कारण शिक्षा की लौ से वंचित थे. 9वीं में पढ़ने वाली छात्रा नेहा का कहना है कि आज भी स्कूल से जुड़ी आवश्यक सूचनाओं को जानने के लिए मुझे गांव से दो तीन किमी दूर जाना पड़ता है ताकि फोन में नेटवर्क आ सके और मुझे स्कूल से संबंधित ज़रूरी सूचनाएं मिल जाएं. वह कहती है कि नेटवर्क न होने के कारण हमारी पढ़ाई के बहुत से विषय ऐसे हैं, जिनके बारे में हमें कुछ भी पता ही नहीं चल पाता है. जिन गांवों में नेटवर्क होता है वहां के बच्चें इंटरनेट के माध्यम से विषय से जुड़े अपडेट प्राप्त कर लेते हैं और हम पीछे रह जाते हैं. ऐसी ही समस्या से गांव की एक अन्य किशोरी लीला भी जूझ रही है. 10वीं की इस छात्रा का कहना है कि नेटवर्क की कमी के कारण उसे बोर्ड परीक्षा से जुड़ी नवीनतम जानकारियां नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में जहां उसे स्कूल में डांट सुननी पड़ती है वहीं बार बार नेटवर्क के लिए गांव से बाहर जाने पर घर वालों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ती है. जिसका नकारात्मक प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ता है. 

गांव में नेटवर्क नहीं होने के कारण जहां स्कूल के बच्चों को दिक्कतों को दिक्कतें आती हैं वहीं ग्रामीणों को भी अपने दैनिक दिनचर्या में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. गांव की एक महिला सुनीता देवी का कहना है कि मेरे पति दो वक्त की रोटी कमाने के लिए गांव से बाहर मज़दूरी करने जाते हैं, जब उन्हें रात घर आने में देरी हो जाती है तो नेटवर्क नहीं होने के कारण हम उन्हें फोन तक नहीं कर पाते हैं. वहीं एक अन्य महिला पूजा देवी कहती हैं कि नेटवर्क की कमी के कारण हम जहां अपनों से संपर्क नहीं कर पाते हैं वहीं सरकार द्वारा चलाई जा रही बहुत सारी योजनाओं की जानकारियां नहीं मिलने से हम उसका लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं. 

गांव की प्रधान पुष्पा देवी भी नेटवर्क की समस्या से परेशान हैं. उनका कहना है कि मुझे भी अपने काम से जुड़ी फ़ाइल को व्हाट्सप्प या ई-मेल से अधिकारियों तक भेजने अथवा डाउनलोड करने में परेशानी आती है. इसके लिए उपर पहाड़ी पर जाती हूं और जब वहां नेटवर्क आता है तो मैं अपना काम करती हूं. उन्होंने बताया कि कई बार अधिकारियों और स्थानीय विधायक के साथ मीटिंग में इस समस्या को उठा चुकी हैं, लेकिन अभी तक इसपर किसी ने भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता नीलम ग्रेंडी कहती हैं कि नेटवर्क की कमी ने पोथिंग गांव के विकास को सबसे अधिक बाधित किया है. कई बार तो ऐसा होता है कि गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो इस इमर्जेन्सी हालत में भी किसी से संपर्क भी नहीं कर पाते हैं. न तो डॉक्टर से सलाह मिल पाती है और न ही हम समय पर एंबुलेंस बुला पाते हैं. गांव के युवा समय पर नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाते हैं और न ही उन्हें समय पर प्रतियोगिता परीक्षा से संबंधित जानकारियां उपलब्ध हो पाती हैं. 

नेटवर्क की इस समस्या से केवल पोथिंग गांव ही नहीं बल्कि उसके आसपास के गांव जैसे उछात, तल्ला घुरड़ी, मांतोली और जलजिला भी प्रभावित हैं. जहां ग्रामीणों को दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. एक ओर जहां इन गांवों में कई प्रकार की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है तो वहीं नेटवर्क की कमी इस मुश्किल को और भी बढ़ा देती है. 5G की दौर में पोथिंग गांव के लोगों को 2G जैसी सुविधा भी मयस्सर नहीं है. दरअसल सरकार गांवों के विकास के लिए योजनाएं तो बहुत चलाती है लेकिन कई बार वह धरातल पर नज़र नहीं आती है. ऐसा लगता है कि सरकार की नज़र में विकास और नेटवर्क दोनों ही इस गांव की पहुंच से बाहर है. (चरखा फीचर)

नेपाली सुपर स्टार प्रदीप खड़का और क्रिस्टीना गुरुंग ने दिल्ली में फिल्म का प्रोमोशन किया

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नयी दिल्ली। हाल ही में अभिनेता प्रदीप खड़का अपनी जल्द रिलीज होने वाली फिल्म ‘प्रेम गीत-3’ के प्रचार के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे। प्रशांत गुप्ता द्वारा निर्मित और संतोष सेन द्वारा लिखित-निर्देशित यह एक इंडो-नेपाली फिल्म है जिसे हिंदी भाषा में भी रिलीज किया जाएगा। प्रमोशनल कार्यक्रम तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित हुआ जिसमें हरियाली तीज मनाने लगभग दो हजार नेपाली मूल के लोग शामिल हुए। फिल्म में प्रदीप खड़का के साथ लीड रोल निभा रही अभिनेत्री क्रिस्टीना गुरुंग भी कार्यक्रम में भी उपस्थित थीं। फिल्म के बारे में प्रदीप ने बताया, ‘भारत और नेपाल की संस्कृति समान है। इसलिए ‘प्रेम गीत-3’ देखने के दौरान दर्शकों को यह महसूस नहीं होगा कि वह कोई नेपाली फिल्म देख रहे हैं। यह फिल्म भी उन्हें बॉलीवुड फिल्म जैसा ही आनंद देगा। हमें पूरी उम्मीद है कि ‘प्रेम गीत-3’ को भारतीय दर्शकों का भी भरपूर प्यार मिलेगा।’

दिल्ली हाफ मैराथन के 17वें सत्र का आयोजन 16 अक्टूबर को

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ए एन शिब्ली
नयी दिल्ली। दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुके दिल्ली हाफ मैराथन के 17वें सत्र का आयोजन नयी दिल्ली में 16 अक्टूबर को किया जाएगा। कई दुसरे खेल आयोजनों की भांति कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में हाफ मैराथन का आयोजन नहीं किया गया था। इस बार इस मैराथन का आयोजन वेदांता की ओर से किया जाएगा। दिल्ली हाफ मैराथन में हाफ मैराथन, ओपन 10के (10 किमी), ग्रेट दिल्ली रन (पांच किमी), सीनियर सिटिजन रन (तीन किमी) और द चैंपियन विद द डिसेबिलिटी (तीन किमी) स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा। पंजीकरण की शुरुआत दो सितंबर सुबह सात बजे होगी और चार अक्टूबर या फिर सभी स्थान भरे जाने तक पंजीकरण कराया जा सकता है। इस बार एक खास बात यह है कि वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन वर्चुअल रन का भी आयोजन होगा। वर्चुअल वर्ग के लिए पंजीकरण दो सितंबर को सुबह सात बजे शुरू होंगे और 11 अक्टूबर तक जारी रहेंगे।
नयी दिल्ली में आयोजित प्रेस कान्फेरेन्स के दौरान कई बड़ी हस्तियों की मौजूदगी में इस बात की जनकारी दी गयी। इस अवसर पर खेल की जो बड़ी हस्तियां मौजूद थीं उनमें बॉक्सर निकहत ज़रीन , सरदार सिंह , सुरेश रैना, विजेंदर सिंह, अंजू बेबी जॉर्ज और दूसरे लोग मौजूद थे। मैराथन में भाग लेने वालों की दो टीके ज़रूर लगे होने चाहिए।

इंटरनेशनल हार्मोनी अवाॅर्ड्स का आयोजन

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नयी दिल्ली। अंटोलॉजिस्ट और शुक्राना फाउन्डेशन की संस्थापक आश्मीन कौर मुंजाल एसईएएफ (साउथ एण्ड ईस्ट एशिया फाउन्डेशन) द्वारा आयोजित काॅन्फ्रैन्स ऑफ़ इंडियाः द लैण्ड ऑफ़ फ्री रीलीजन एण्ड कल्चर की पैनलिस्ट एवं मुख्य प्रवक्ता थीं। पैनल चर्चाओं और मुख्य व्याख्यानों के बाद इंटरनेशनल हार्मोनी अवाॅर्ड्स का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन जुनिपल हाॅल, इंडिया हेबिटेट सेंटर, लोधी रोड़, नई दिल्ली में हुआ था।
सम्मेलन को दो सत्रों में बांटा गया, पहला सत्र भारत में धार्मिक संकट एवं विश्व में धार्मिक संकट के अन्तराष्ट्र्रीय परिप्रेक्ष्य के बारे में था। आश्मीन के साथ पैनल चर्चा में हिस्सा लेने वाले अन्य दिग्गजों में पद्म विभुषण डाॅ सोनल मानसिंह (संसद के माननीय सदस्य, राज्य सभा), गोपाल अग्रवाल (राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा), अरविंद गौर (संस्थापक निदेशक, अस्मिता थिएटर ग्रुप), देवेन्द्र कुमार (संस्थापक एवं सीईओ, लाडली फाउन्डेशन ट्रस्ट्र) भी मौजूद थे।
आश्मीन कौर मुंजाल जिन्हें काॅस्मेटोलोजिस्ट के रूप में जाना जाता था, वे पिछले 25 सालों से लोगों को खूबसूरत बना रहीं हैं, और पिछले 11 साल से ओंटोलोजिस्ट की भूमिका निभा रही हैं हाल ही में उन्होंने अपने शुक्राना ग्रेटीट्यूट फाउन्डेशन के तहत रुथैंकयूइंडिया अभियान की शुरूआत की थी। उनका कहना है, ‘‘समय आ गया है कि हम न सिर्फ बाहर से बल्कि भीतर से भी अपने आप को खूबसूरत बनाएं, ओंटोलोजी हमें एक मनुष्य के रूप में आध्यात्मिक प्रथाएं अपनाकर ग्रेटीट्यूट की क्षमता देती है।“ इस अवसर पर पैनलिस्ट्स डाॅ इंदे्रश कुमार, सीनियर लीडर आरएसएस और आश्मीन के बीच इंटेलेक्चुअल चर्चा हुई, जिन्होंने भारत द्वारा दुनिया को दिए गए शक्तिशाली दर्शन एवं सांस्कृतिक धरोहर के प्रगतिशील दृष्टिकोण पर रोशनी डाली।
उन्होंने उन विषयों पर भी चर्चा की जिन पर आज पूरी दुनिया बात कर रही है, भारत में धर्मों की स्थिति पर विचार रखे। आश्मीन ने संयुक्त परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत एक बड़ा संयुक्त परिवार है जहां परिवार के सदस्यों के अलग-अलग विचार हैं, ऐसा हो सकता है कि वे एक दूसरे के विचारों को समझ न पाएं लेकिन उनके बीच प्यार है और भाई-बहन जैसा रिश्ता है, वे एक दूसरे के साथ मिलकर हंसते-रोते हैं। लेकिन परिवार हमेशा परिवार ही होता है। भारत के बाहर ज़्यादातर लोग भारत की पारिवारिक संस्कृति को देखकर हैरान रह जाते हैं, खासतौर पर जब वे देखते हैं कि किस तरह भारत में बड़े संयुक्त परिवार एक साथ मिल-जुल कर रहते हैं। इसी तरह भारत में परिवार का मुखिया अपने सभी परिवारजनों को स्नेह के साथ मार्गदर्शन देता है। भारत अपने आप में बहु-आयामी संस्कृति एवं विभिन्न धर्मों के संयोजन का अनूठा उदाहरण है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने मौजूदा लीडरों के प्रति भी आभारी हैं जिनके साथ मिलकर हम भारत के अमृत काल के दौर से गुज़र रहे हैं। भारत की स्वर्णिम महिमा विकास के रूप में वापस आ रही है “उन्होंने कहा कि हमें अपने आस-पास की खूबसूरती और गुणों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए।
दूसरे सत्र में बताया गया कि किस तरह भारत मुक्त धर्म एवं संस्कृति की भूमि है। पैनल पर चर्चा करने वाले गणमान्य दिग्गजों ने देश की सांस्कृतिक विविधता और समावेशन पर विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर यूएन प्रतिनिधि, चुनिंदा राजनयिक, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और स्थानीय सेलेब्रिटीज़ भी मौजूद थे। उन लोगों को इंटरनेशनल हार्मोनी अवाॅर्ड दिए गए जिन्होंने देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने में योगदान दिया है।

‘फाइटर’ के लिए ऋतिक रोशन 9 नवंबर तक पूरा कर लेंगे अपना फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन

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मुंबई। सुपरस्टार ऋतिक रोशन उन स्टार्स में आते हैं, जो अपने काम को लेकर हमेशा बेहद उत्साहित रहते हैं। ऋतिक रोशन अपने रोल्स को पूरी जी जान से निभाते है। फिर चाहे बात उस किरदार को मेंटली अपने अंदर ढालने की हो या उस किरदार के लिए फिजीकली अपने आपको बदलने की हो, सुपरस्टार इस बात को सुनिश्चित करते है कि कही पर भी कोई कसर बाकी न रह जाए। हाल ही में, सुपरस्टार ने अपनी आने वाली फिल्म ‘फाइटर’ के लिए किए जा रहे अपने फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन के बारे में बात की। इस फिल्म में ऋतिक रोशन एक्शन अवतार में दिखाई देने वाले हैं।
इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं फाइटर में अपनी भूमिका की तैयारी कर रहा हूं, जो मेरी अगली फिल्म है। यह लगभग 12 हफ्ते का ट्रांसफॉर्मेशन है, जिसका मैं हमेशा पालन करता हूं। इसलिए 9 नवंबर को, मैं जो दिखता हूं उससे ज्यादा दुबला दिखना चाहिए।” ऋतिक ने हाल ही में अपने 12-वीक ट्रांसफॉर्मेशन रेजीम की शुरुआत की और 9 नवंबर को फाइटर के लुक को हासिल करने के लिए अपने लक्ष्य के रूप में चिह्नित किया, जिसमें उनकी दीपिका पादुकोण के साथ जोड़ी बनाई जाएगा।
इस बीच, ऋतिक विक्रम वेधा को लेकर सुर्खियों में है। हाल ही में इस फिल्म का टीजर जारी किया गया था जिसे दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है। इस फिल्म में ऋतिक, सैफ अली खान के संग स्क्रीन्स पर दिखाई देंगे और फैन्स बेसब्री से फिल्म के रिलीज का इंतजार कर रहें है।

रामायण चित्रकला प्रतियोगिता में विकलांग रितिक बने विजेता

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नयी दिल्ली। पुरानी दिल्ली के नेशनल क्लब में आयोजित रामायण चित्रकला प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में आज दिल्ली के अलग अलग स्कूलों के 500 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने भाग लिया। लव कुश रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित इस चित्रकला प्रतियोगिता में पांच साल से पंद्रह साल आयु तक के स्टूडेंट्स ने भाग लिया। नेशनल क्लब के हॉल में आयोजित इस चित्रकला प्रतियोगिता में स्टूडेंट्स को रामायण के प्रमुख पात्रों पर चित्र बनाने थे,करीब दो घंटे चली इस प्रतियोगिता की अयोजन कमेटी के प्रेसिडेंट अर्जुन कुमार ने प्रतियोगिता में शामिल होने अपने पेरेंट्स के साथ आए सभी स्टूडेंट्स का लीला कमेटी की और से स्वागत करते हुए कहा कि सभी प्रतियोगी रामायण के अलग अलग पात्रों के चित्र बनाए , प्रथम तीन विजेताओं दक्षा परमार, अंश वर्मा, आन्या शर्मा,शगुन शाह, रची, को कमेटी की और से स्कूल बैग, बुक्स, स्टेशनरी आइटम, के साथ रामायण की प्रति और , सर्टिफिकेट के साथ कैश प्राइज भी दिया गया, अर्जुन कुमार ने बताया प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए विकलांग स्टूडेंट रितिक ने अपने पांव में पेंटिंग ब्रश लगाकर बजरंग बली की मनमोहक पेंटिंग बनाई, जिसे प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल ने विशेष सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया।
लीला के जनरल सेक्रेटरी सुभाष गोयल के मुताबिक चित्रकला प्रतियोगिता में शामिल सभी प्रतियोगियों को कमेटी की और से बैग, रामायण की पुस्तक और सर्टिफिकेट प्रदान किए गए, सभी प्रतियोगियों और उनके अभिभावकों के लिए लंच का प्रबंध किया गया। आज चित्रकला प्रतियोगिता आयोजन में लीला मंत्री प्रवीण सिंघल, मदन अग्रवाल, राज कुमार गुप्ता आदि का पूर्ण सहयोग रहा।

जूड पीटर डेमियन की षष्ठी ने 59 वी फिल्म समारोहों में अपनी जगह बनाई

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मुंबई। कहते है कि रचनात्मक दिमाग हमेशा रचनात्मकता के साथ दुनिया को बदलने की इच्छा रखता है। आईट्यून्स और गूगल प्ले पर रिलीज के साथ जनता का ध्यान आकर्षित करनेवाली, षष्ठी एक ऐसे शानदार रचनात्मक दिमाग के निर्माता और निर्देशक जूड पीटर डेमियन का सिनेमाई आश्चर्य है, जो पहले ही 25 पुरस्कार जीत चुके हैं और 59 फिल्म समारोहों में जा चुके हैं। इसके अलावा, इस लघु फिल्म को बनाने के लिए जूड की जीवन यात्रा और भी दिलचस्प है जो हमें एक साक्षात्कार के दौरान देखने को मिली।
चेन्नई में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में अपने जीवन के 30 वर्ष लगाने के बाद, सीए से फिल्म निर्माता बने जूड फिल्म निर्माण में रुचि रखते है, वह खुद को उन सभी के समान मानते हैं जो फिल्मों के साथ जुड़ना चाहते हैं, लेकिन जो चीज उन्हें सबसे अलग करती है, वह है उनकी पुरस्कार विजेता लघु फिल्म, षष्ठी। जहां जूड ने फिल्म निर्देशन में एक कोर्स किया, वहीं षष्ठी उनकी पहली रचना है। जहां जूड को कहानी और पटकथा पर विचार करने में एक साल का समय लगा, वहीं वह एक हफ्ते से भी कम समय में फिल्म की शूटिंग पूरी करने में सफल रहे।
जबकि एक निर्देशक के रूप में जूड अपनी फिल्म मेकिंग की कला को लेकर हमेशा “अच्छे चरित्रों” को प्रदर्शित करने वाली फिल्में बनाना चाहते थे, जो समाज के लिए, विशेष रूप से विकासशील राष्ट्रों / समाजों के लिए उदाहरण होंगे, और षष्ठी उनकी विचारधाराओं का एक आदर्श प्रतिबिंब है। जबकि फिल्म एक दिलचस्प कहानी देवी के बारे में हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की एक महिला हैं, जो इस हद तक बदल जाती है कि वह बच्चों की देवी “शष्टी” में परिवर्तित हो जाती है। विभिन्न परिस्थितिया ज्ञात होने पर फिल्म की धारणाओं में बदलाव देखने को मिलता हैं। षष्ठी के पटकथा लेखक, निर्माता और निर्देशक जूड पीटर डेमियन हैं। इसमें कलाकार होंगे, सेमलार अन्नम, जेफरी जेम्स, लिसी एंटनी, एस.के. गायत्री और हेरीज़ मूसा।