Friday, January 10, 2025
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प्रेगनेंसी में इन सब्जियों का सेवन बिल्कुल नही करें : डॉ चंचल शर्मा

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कुछ ऐसी भी सब्जियां है जिनका सेवन गर्भवती महिलाओं को बिल्कुल भी नही करता चाहिए।
स्वीट पटौटो
मसरुम
कोर्न
सूरन – सूरज एक प्रकार की सब्जी है तो बहुत सारे राज्यों में खाई जाती है। इस प्रेगनेंसी के लिए ठीक नही होती है। इसलिए इसका सेवन बिल्कुल भी नही करना चाहिए।
ऐसे भी कुछ सब्जियां है जिनका सेवन आप कभी-कभी कर सकती है। परंतु नियमित रुप में इन सब्जियों का सेवन करना आपके लिए खतरा हो सकता है। जैसे आप अंडे का सेवन करना चाहती है। तो उसका पीला वाला भाग निकाल कर सफेद वाले भाग को कभी-कभी खा सकती है। किसी भी तरह के मसालों का सेवन नही करना है। क्योंकि यह भ्रूण के लिए अच्छे नही माने गये है। प्रेगनेंसी के तीन महीने में इसका सेवन न करें तो आपके लिए बेहतर रहेगा।
प्रेगनेंसी के दौरान जो भी आप खाना बनाती हैं। उसमें देशी घी की मात्रा के थोडी सा ज्यादा रखें। क्योंकि प्रेगनेंसी की शुरुआती तीन महीनों में महिलाओं में पित्त की अधिकता रहती है। क्योंकि अधिकांश गर्भवती महिलाएं आशा आयुर्वेदा में बोलती है। कि उनको उनकी धड़कन सुनाई देती है। या फिर बहुत ज्यादा इंजायटी रहती है या नोजिया रहता है। ऐसी कंडीशन में देशी घी बहुत अच्छा काम करता है।
प्रेगनेंसी में कौन-कौन से फल खाने चाहिए –
डॉ चंचल शर्मा गर्भवती महिलाओं को अंजीर , आंवला, सेव , अनार , मौसमी , संतरा जैसे सभी फलों को प्रेगनेंसी के तीन महीनों में खा सकती हैं। यह सभी फल प्रेगनेंसी के दौरान सेवन करने पर पुरी तरह से सुरक्षित हैं।
नारियल पानी प्रेगनेंसी में बहुत अच्छा होता है। यह हाइड्रेशन को प्रतिबंधित करता है। और बार-बार उल्टी होने की समस्या को भी नियंत्रित करता है। नोजिया फीलिंग को भी कंट्रोल करता है।
कोकम का सैसे भी आप नियमित रुप से ले सकती हैं। यह भी प्रेगनेंसी में आप ले सकती हैं।
इन सभी सब्जियों और फलों का सेवन करते हुए आपको आयुर्वेद के विशेष नियम को भी पालन करना चाहिए। क्योंकि आयुर्वेद में कहा गया है। कि प्रेगनेंसी के तीन महीने तक गर्भवती महिला को सुबह के समय (पायस का सेवन) चावल को उबाल कर उसका स्टार्च निकल कर उसमें थोडा सा घी मिलाकर और शक्कर मिला कर (पायस) को खाते है तो बच्चे की विकास के लिए बहुत अच्छा होता है।
यदि संभव हो सके तो गर्भवती महिलाएं अपने दिन की शुरुआत पंचामृत से कर सकती हैं। और यदि आप किसी खाद्य पदार्थ का AGGRESSIVE CONSUMPTION करती है। जैसे कच्चा आम है और कोई भी ऐसा फल यदि आपको परेशानी देता है। तो इसका कम से कम या फिर बिल्कुल सेवन नही करना चाहिए। AGGRESSIVE CONSUMPTION कुछ भी नही होना चाहिए यदि आपका बहुत ज्यादा मन है तो ऐसे में बहुत बहुत ही कम मात्रा में उसका सेवन कर सकती है। परंतु रोज नही ।

सीके बिरला हॉस्पिटल में सात साल के बच्‍चे की दुर्लभ लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी

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नयी दिल्ली। दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित सीके बिरला हॉस्पिटल के डाकटरों ने एक तरह का चमत्कार किया है। सीके बिरला हॉस्पिटल ने हाल ही में एक दुर्लभ लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह सर्जरी सात साल के एक बच्‍चे में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस को ठीक करने के लिये हुई है, जिसके कारण उसे पेट में बहुत दर्द रहता था। इस बच्‍चे का वजन काफी कम था और दूसरे अस्‍पतालों ने उसकी सर्जरी करने से मना कर दिया था, क्‍योंकि वह केवल 17 किलो का था। सीके बिरला हॉस्पिटल में ऐडवांस्‍ड सर्जिकल साइंसेस ऐंड ऑन्‍कोलॉजी सर्जरीस डिपार्टमेंट के डॉ. अमित जावेद ने जाँच के बाद इस बच्‍चे का इलाज न्‍यूनतम चीर-फाड़ वाली विधि से किया, जिससे उसे कम दर्द हुआ और वह जल्‍दी ठीक भी हो गया।
मीडिया से बात करते हुए इस दुर्लभ इलाज के बारे में डॉ. अमित जावेद ने कहा, “यह मामला बहुत उलझा हुआ था, क्‍योंकि हम न केवल एक बहुत छोटे से मरीज का इलाज कर रहे थे, बल्कि वह अपनी उम्र के हिसाब से काफी कम वजन वाला भी था। पूरी जाँच के बाद बच्‍चे की न्‍यूनतम चीर-फाड़ वाली लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी की गई, जिसमें उसे कम दर्द हुआ और वह जल्‍दी ठीक हो गया। पैंक्रियाज में कई स्‍टोन्‍स और बाइल डक्‍ट ऑब्‍स्‍ट्रक्‍शन से पीड़ित होने के बावजूद वह बच्‍चा अब एक सामान्‍य और स्‍वस्‍थ जीवन जी रहा है। इसके अलावा, उस पर सर्जरी के कोई निशान भी नहीं रहेंगे।”
मोहम्मद हुज़ेफा नाम के बच्‍चे के पैंक्रियाज में कई स्‍टोन्‍स होने के कारण उसे पेट में तेज दर्द की शिकायत थी। वह पिछले तीन साल से दर्द सह रहा था और उसे केवल दर्द पर नियंत्रण का इलाज दिया जा रहा था। बाइल डक्‍ट सिकुड़ने से बाइल का प्रवाह बाधित हो गया था, जिससे उसे पीलिया हो गया था। उसकी स्थिति गंभीर थी और उसे तुरंत इलाज चाहिये था।
बच्‍चों में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस का सर्जरी से इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है और खासकर इसके लिये लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी तो दुनियाभर में बहुत कम हुई है। वह भारत में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस और बाइल डक्‍ट ऑब्‍स्‍ट्रक्‍शन के संभवत: सबसे छोटे मरीजों में से एक था, जिसकी न्‍यूनतम चीर-फाड़ वाली लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी सफलतापूर्वक हुई। इस अवसर पर सीके बिड़ला हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अक्षत सेठ ने कहा कि, “हम वैश्विक मानदंडों की स्वास्थ्य देख-भाल सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस उद्देश्य से हम अपने मरीजों के लिए न्यूनतम चीरा वाली लेप्रोस्कोपिक सर्जरी जैसी उन्नत चिकित्सीय नवाचारों और तकनीकों का प्रयोग करते हैं।”

20 मई से सिनेमा हाल में धाक जमायेगी धाकड़

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नयी दिल्ली। धमाकेदार एक्शन दृश्यों और अप्रत्याशित स्केल के साथ फिल्म ‘धाकड़’ बॉलीवुड में एक्शन शैली को दुबारा परिभाषित करने का प्रयास करती नजर आती है। यही वजह है कि इसके निर्माता ने दर्शकों को फिल्म की एक खास झलक दिखाने के मकसद से इसकी धमाकेदार कहानी के निचोड़ को पकड़ते हुए नया ट्रेलर जारी किया, जो दर्शकों को यह एहसास दिलाता है कि यह तो महज एक लिफाफा है, मजमून तो थियेटर में ही पता चलेगा। हालांकि, फिल्म का पहला ट्रेलर दो हफ्ते पहले मुंबई में जारी किया गया था, जबकि दूसरा ट्रेलर दिल्ली में कंगना रनौत और अर्जुन रामपाल ने लॉन्च किया। यह नया ट्रेलर फिल्म की पिछली तमाम उम्मीदों को पीछे छोड़ कुछ नई उम्मीदों को परवान चढ़ाता है। अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों द्वारा तय उच्च मानदंडों से मेल खाने वाला यह देसी एक्शन फ्लिक ‘धाकड़’ अपने नए ट्रेलर के हर फ्रेम में अप्रत्याशित रूप से चौंकाता है। फिल्म में कंगना अपने करियर के सबसे रोमांचक किरदार में चौंकाने के लिए तैयार हैं तो वहीं दिव्या दत्ता और अर्जुन रामपाल भी फिल्म का मजबूत आकर्षण हैं।
कंगना बताती हैं, ”धाकड़’ उस विशेष शैली की फिल्म है जिसका मैं हमेशा से हिस्सा बनना चाहती थी। दूसरा ट्रेलर दर्शकों को फिल्म के ब्रह्मांड में ले जाता है, जिससे यह तय हो जाता है कि फिल्म से किस तरह के एक्शन की उम्मीद की जा सकती है। यह असाधारण एक्शन दृश्यों से भरा है और महिला ऊर्जा की ताकत, शक्ति और गति का जश्न मनाता है। फिल्म एक ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसे हम सभी वर्षों से जी रहे हैं और हम इसे देखने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।’
अर्जुन रामपाल कहते हैं, ‘जब मैंने पहली बार फिल्म की कहानी सुनी, तभी मुझे पता चल गया था कि यह विशेष कहानी है। यह उस तरह की फिल्म है जिसके लिए आपको पूरी मेहनत करनी है और यही हमने किया भी है। दूसरा ट्रेलर दर्शकों को हमारे द्वारा बनाई गई दुनिया की एक झलक देगा। यह फिल्म एड्रेनालाइन से भरी हुई है। हर किसी को इस फिल्म के जरिये एक यादगार सफर पर जाने के लिए कमर कस लेनी चाहिए।’
निर्माता दीपक मुकुट बताते हैं, ”धाकड़’ एक एंटरटेनिंग फिल्म है। यह उस तरह की फिल्म है जो एक दृश्य तमाशा के रूप में सामने आती है और इसीलिए यह दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर खींचेगी। इसका दूसरा ट्रेलर पहले से भी बेहतर है और निश्चित रूप से दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देगा और एक एड्रेनालाइन रश करेगा।’ वहीं, निर्देशक रज़ी घई कहते हैं, ‘अग्नि प्रकृति की शक्ति है और नया ट्रेलर उम्मीदों को एक पायदान ऊपर ले जाता है। हर कोई जानता है कि यह एक एक्शन फिल्म है, लेकिन हम चाहते हैं कि दुनिया उस पैमाने की एक झलक देखे, जिस पर हमने इसे बनाया है। नया ट्रेलर आपको अग्नि की दुनिया में ले जाता है और आपको उसकी लड़ाई से जोड़े रखता है। हमने इसे ठोस एक्शन दृश्यों के साथ पैक किया है और यह अगले हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है।’
निर्माता सोहेल मक्लई कहते हैं, ”धाकड़’ महिला प्रधान एक्शन फिल्म है, जिसमें कुछ बेहतरीन कोरियोग्राफ किए गए एक्शन दृश्य हैं। कंगना ने इस फिल्म में जिस तरह का एक्शन किया है, किसी भी भारतीय अभिनेत्री ने अब तक ऐसा एक्शन नहीं किया है। इसके अलावा, अर्जुन रामपाल ने टीके प्रतिपक्षी की भूमिका में जान डाल दी है।’

एशियन पेंट्स और स्‍टार्ट इंडिया फाउंडेशन ने शुरू की स्‍टार्ट केयर पहल

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कला की उपचारात्‍मक शक्ति के बारे में माना जाता है कि वह नीरस वातावरण को स्‍वागत करने वाला और आनंद से भरा बना सकती है। इसी मकसद के तहत सरकार द्वारा संचालित संस्‍थानों में कला को लाने की पहल के तहत स्‍टार्ट इंडिया फाउंडेशन ने एशियन पेंट्स के साथ मिलकर पहली स्‍टार्ट केयर पहल लॉन्‍च की है। इस पहल के अंतर्गत लाभान्वित होने वाला नोएडा के सेक्टर 30 सिथत द पोस्‍ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्‍ड हेल्‍थ (उत्‍तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत एक स्‍वायत्‍त संस्‍थान) पहला संस्‍थान है। स्‍टार्ट केयर की इस पहली परियोजना के पीछे खासकर नन्‍हे मरीजों के लिए अस्‍पताल के तनावपूर्ण और डराने वाले अनुभव को ज्‍यादा अनुकूल बनाने का विचार है। कला मध्‍यस्‍थताएं चरणबद्ध तरीके से से कुछ वर्षों में शुरू होंगी। पहले चरण में अस्‍पताल के बाहरी भाग पर ध्‍यान दिया जाएगा।
दरअसल, अस्‍पताल का भौतिक वातावरण मरीज के ठीक होने के समय को प्रभावित करता है। स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा के समग्र अनुभव पर आधारित अध्‍ययन भी बताते हैं कि बच्‍चों की मनोधारणा को बदलने और उनमें आनंद की भावना बढ़ाने में सुंदर वातावरण का महत्‍वपूर्ण योगदान होता है। जब शिशुओं का सामना नए लोगों और रिश्‍तों, जैसे— अस्‍पताल के कर्मचारी से होता है तब उन्‍हें अलगाव और अपरिचित होने की चिंता होती है। उन्‍हें अक्‍सर अपने परिवार के बिना लंबा समय बिताना होता है और वे घर के आराम को मिस करते हैं। अस्‍पताल में अपरिचित वातावरण बच्‍चों को भयभीत और चिंतित कर देता है। इसलिए अस्‍पताल में सुखद और स्‍वागत करने वाला वातावरण तैयार करने की आवश्‍यकता है।
अस्‍पताल में मनोवैज्ञानिक, आध्‍यात्मिक और भौतिक स्‍तरों को प्रभावित करने वाले आर्किटेक्‍चर और आंतरिक सज्‍जा भी मरीजों को स्वस्थ होने में सहायता कर सकती है। ऐसे में मरीज और उसके परिवार पर केंद्रित वातावरण में समानुभूति और अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा सेवाएं प्रदान करना महत्‍वपूर्ण है। कला स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा प्रदाता के साथ मरीज और उसके परिवार के संतोष और कुल मिलाकर देखभाल की गुणवत्‍ता को बढ़ाने में मदद करती है। यह कार्यस्‍थल के भीतर कर्मचारियों का संतोष भी बढ़ाती है।
इस संबंध में स्‍टार्ट इंडिया फाउंडेशन के सह-संस्‍थापक अर्जुन बहल बताते हैं, ‘हम स्‍टार्ट केयर के बैनर तले पहली परियोजना शुरू करते हुए उत्‍साहित हैं। स्‍टार्ट केयर का लक्ष्‍य है कला को ऐसी जगहों पर ले जाकर उनका कायाकल्‍प करना, जिनकी आमतौर पर उपेक्षा की जाती है, जैसे— बच्‍चों के अस्‍पताल, ओल्‍ड एज होम, अनाथालय, आदि। हमारा मिशन ऐसी जगहों में योगदान देना है, जिनका वित्‍तपोषण सरकारें, एनजीओ और गैर-लाभार्थी करते हैं। इस योगदान के तहत उन्‍हें देखने योग्‍य वर्णन, रंग और जीवंतता मिलेगी। शोध बताते हैं कि आंतरिक जगहों में कला और रंगों के होने से ठीक होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, क्‍योंकि इससे मरीजों, डॉक्‍टरों और देखभाल करने वालों का मूड अच्‍छा हो जाता है ‍और उनका मनोबल बढ़ता है। इससे इन जगहों से जुड़ी निराशा और अनिश्चितता भी दूर हो जाती है। हम आभारी हैं कि इस विचार में हमारा भागीदार एशियन पेंट्स इस प्रकार की जीवंत परियोजनाओं में हमारा साथ दे रहा है। मैं द पोस्‍ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्‍ड हेल्‍थ, नोएडा के प्रबंधन और शिक्षकों का भी शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्‍होंने पहले संस्‍करण पर हमारे साथ काम किया है और ऐसी जगहें बनाने के हमारे विचार को साकार किया है, जहां कला ऐसे लोगों के लिये सुलभ हो, जिन्‍हें उसकी सबसे ज्‍यादा जरूरत है।’
वहीं, पोस्‍टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्‍ड हेल्‍थ के निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने कहा, ‘एशियन पेंट्स और स्‍टार्ट इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर अस्‍पताल के परिदृश्‍य में कला को लाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि ऐसे बच्‍चे जल्‍दी ठीक हो सकें, जो हमारे पास बाहरी या आंतरिक रोगी सेवाओं के लिए आते हैं। इस परियोजना के फेज—1 में भवन के आगे के भाग का कायाकल्‍प हो रहा है, जिसके लिए बच्‍चों के भित्ति-चित्र हैं, जो प्रसन्‍नता, प्रकृति और सकारात्‍मकता दिखाते हैं। हमें आशा है कि इस तरह के आर्ट इंस्‍टालेशंस हमारे उन बच्‍चों को ठीक करने में लंबी दूरी तय करेंगे, जो हमारे अस्‍पताल में आएंगे। अगले चरण के तौर पर हमारे संस्‍थान के बाहरी और आंतरिक रोगी वार्ड्स, सीटी स्‍कैन और अल्‍ट्रासाउंड रूम्‍स, ऑपरेशन थियेटर्स, आदि में एक फोटो गैलरी और आर्ट इंस्‍टालेशंस की योजना है। हमारा संस्‍थान बच्‍चों की सुपर स्‍पेशियल्‍टी केयर करता है और यह हमारे देश का एक अनूठा संस्‍थान है। विकसित देशों के कई बच्‍चों के अस्‍पतालों में इस तरह के आर्ट इंस्‍टालेशंस हैं।’

जामिया में एजुकेशन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

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नयी दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में तीन दिवसीय जामिया अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन (JICE-2022) आज से शुरू हुआ। 8 मई, 2022 तक चलने वाले इस सम्मेलन का आयोजन शिक्षक प्रशिक्षण और गैर-औपचारिक शिक्षा विभाग (DTT & NFE, IASE), जामिया द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन का विषय ‘आउटकम बेस्ड करिकुलम एंड पेडागोजिकल डिमांड्स इन द पोस्ट-कोविड’ है। सम्मेलन का उद्घाटन समारोह आज इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय, जेएमआई के सभागार में आयोजित किया गया था और इसमें जामिया की कुलपति एवं सम्मेलन की मुख्य संरक्षक प्रो नजमा अख्तर ने शिरकत की।
सम्मेलन के आयोजन सचिव प्रो. जसीम अहमद ने बताया कि लगभग 500 प्रतिभागी WEBEX प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन शामिल हुए थे और 200 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑफलाइन मोड में उद्घाटन सत्र में भाग लिया था। प्रो. के.आर.एस. संबाशिव राव, कुलपति, मिजोरम विश्वविद्यालय, मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन में शामिल हुए। उन्होंने एनईपी 2020 में निर्धारित कौशल आधारित शिक्षा पर जोर दिया।
मुख्य वक्तव्य प्रो.संतोष पांडा, निदेशक-स्ट्राइड, इग्नू और पूर्व अध्यक्ष, एनसीटीई द्वारा दिया गया। उन्होंने एनईपी 2020 की विभिन्न विशेषताओं पर जोर दिया और समझाया कि इसका परिणाम राष्ट्र की प्रगति में क्या होगा। प्रो. नजमा अख्तर ने अपनी समापन टिप्पणी में सभी को अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालने के लिए धन्यवाद दिया और अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से भारत को बदलने और इस तरह एक एंटरटेनिंग लर्निंग का माहौल बनाने के लिए एनईपी 2020 की आवश्यकता के बारे में बात की।
प्रो. नाहीद जहूर, विभागाध्यक्ष, डीटीटी और एनएफई (आईएएसई) द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया जिसमें उन्होंने सभी के द्वारा दिए गए समर्थन का आभार व्यक्त किया। उद्घाटन सत्र का समापन सभी अतिथियों के लिए हाई टी के साथ हुआ। सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर में अध्यापक शिक्षा में काम कर रहे बुद्धिजीवियों और शोधकर्ताओं को अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र, मूल्यांकन और उभरती संभावनाओं, चिंताओं, मुद्दों और चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए आमंत्रित करना है। इस सम्मेलन का उद्देश्य परिणाम-आधारित पाठ्यक्रम और शैक्षणिक और मूल्यांकन उपकरणों में आवश्यक परिवर्तनों की कल्पना करना है, जो कि कोविड के बाद के युग में ईमानदार, सक्षम, कुशल और मानवीय शिक्षकों को तैयार करने के लिए आवश्यक होंगे, जो कि महामारी के दो साल के अंतराल के बाद जीवन के सभी क्षेत्रों में बड़े बदलावों के साथ एक नई सामाजिक व्यवस्था को महसूस किया, महसूस किया और भविष्यवाणी की।
सम्मेलन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), जेएमआई, जेएनयू, एएमयू, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू), दिल्ली विश्वविद्यालय, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय, इलिनोइस विश्वविद्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के 200 से अधिक पेपर प्रस्तुतकर्ता शामिल होने की उम्मीद है।

सिंगल मदर्स के लिए लाईफ इंश्योरेंस समय की जरूरत है: विनीत कपाही

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नयी दिल्ली। मदर्स डे आ गया है, लोग आपस में मातृत्व की बात करने लगे हैं। लेकिन सिंगल मदर्स और उनके जीवन की मुश्किलों के बारे में बहुत कम सुनने को मिलता है। एक सिंगल मदर अपने परिवार की देखभाल के लिए माँ की भूमिका निभाती है, तो वहीं परिवार की आजीविका चलाने के लिए पिता का काम भी करती है, और समाज द्वारा स्थापित लैंगिक मान्यताओं को चुनौती देती है। वित्तीय कर्तव्य सिंगल पैरेंट्स के लिए सबसे मुश्किल काम बन जाते हैं। अवीवा इंडिया के हेड ऑफ मार्केटिंग, विनीत कपाही सिंगल मदर्स के लिए जीवन बीमा के महत्व के बारे में अपने दृष्टिकोण साझा कर रहे हैं। वो कहते हैं, ‘‘जिम्मेदारियां अपने कंधों पर उठाने वाली एक सिंगल मदर की प्राथमिकता में जीवन बीमा पॉलिसी होनी चाहिए। इससे वित्तीय बचत की योजना के लिए एक मजबूत आधार मिलता है, वहीं जोखिम को कम करने में मदद भी मिलती है, इस प्रकार पूरे परिवार को सुरक्षा कवच मिल जाता है। इसलिए, जब आपको यह सुकून होता है कि आपके जीवित न होने पर भी आपका परिवार वित्तीय रूप से सुरक्षित है, तब आपको मन की शांति मिलती है।’’
विनीत ने आगे बताया कि एक जीवन बीमा पॉलिसी के साथ सिंगल मदर्स अपने रिटायरमेंट का पूरा आनंद ले सकती हैं और अपने परिवार की वित्तीय स्थिति की फिक्र किए बिना अपने शौक पूरे कर सकती हैं। विनीत कपाही ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य की समस्याएं कोई भी नहीं चाहता है, लेकिन हर किसी को अप्रत्याशित चीजों के लिए तैयार रहना चाहिए। बेस प्लान के जीवन बीमा कवरेज के अलावा, आप एड-ऑन और राईडर्स (उपलब्ध होने पर) ले सकते हैं, जिनमें स्वास्थ्य की गंभीर बीमारियां, जैसे कैंसर, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर आदि भी कवर होते हैं।’’
जीवन बीमा परिवार को वित्तीय मजबूती देने के लिए सिंगल मदर्स के लिए बहुत आवश्यक है। सुरक्षा के मामले में इससे ज्यादा सुकून की बात और कोई नहीं हो सकती कि आपने अपने प्रियजनों का वित्तीय भविष्य सुरक्षित कर रखा है और उनके उज्जवल भविष्य के लिए आवश्यक वित्तीय प्रावधान सुनिश्चित कर दिए हैं। मदर्स डे के मौके पर, चलिए हम सभी दुनिया की उन परिश्रमी माताओं को सम्मानित करें, जिन्होंने दृढ़ता और साहस के साथ अपने बच्चों का स्वयं पालन-पोषण किया।

पुणे और अहमदाबाद के बाद दिल्ली में इंपल्स टेक्निकल इंडिया टूर 2.0 का आयोजन

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नयी दिल्ली। भारत में सिर्फ 2 प्रतिशत भारतीय इक्विटी में निवेश करते हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि शेयर बाजार और आम आदमी के बीच स्वीकार और अस्वीकार्यता का रिश्ता है। यह जाने बिना कि आपका पैसा आपके काम आ सकता हैं, गलत जानकारी, भरोसे की कमी और एक सख्त व्यापारिक व्यवस्था के अभाव के कारण अधिकांश लोग निवेश करने से बचते हैं। इसी को देखते हुए इंपल्स टेक्निकल, आफ्टरलाइफ, और पोलीट्रेड जैसे तीन स्टार्टअप्स ने मिलकर भारतीयों में निवेश की क्षमता बढ़ाने और इसे लेकर लोगों की शंकाओं का हल करने के लिये एक साथ कदम बढ़ाया है।
यह तीनों स्टार्टअप्स, इंटरनेट की सबसे बड़ी क्रांति के दौर में सभी के लिये एक अनुकूल व कुशल व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के मिशन के तहत खुदरा निवेशकों के साथ लाइव बातचीत के लिये पूरे भारत के दौरे पर हैं।
इसी के तहत 04 मई 2022 को दिल्ली के इंपीरियल होटल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आफ्टरलाइफ की संस्थापक शीतल कौल, सह संस्थापक आदित्य काला, पोलीट्रेड के प्रोडक्ट हेड आशीष सूद, सकल्प कुमार के साथ इवेंट मेनेजमेंट इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने अपने अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में इंपल्स टेक्निकल के संस्थापक हर्षुभ शाह ने बताया कि “एक सफल निवेशक और आन्त्रप्रेन्योर बनने के अपने सालों के अनुभव को वह युवा रिटेलर्स के बीच साझा करना चाहते हैं, जिन्हें निवेश में कम या फिर कड़वा अनुभव है। उनका उद्येश्य युवाओं को सबसे सही वित्तीय फैसले लेने के लिये प्रोत्साहित करना है।“
इसके लिये उन्होंने निवेश प्रबंधन पर विभिन्न शैक्षिक सेमिनार का आयोजन करने के साथ ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का महत्वपूर्ण सेट भी जारी किया है। हर्षुभ शाह इंपल्स टेक्निकल के संस्थापक होने के साथ एक अनुभवी स्टॉक निवेशक हैं, जो वित्तीय बाजार में दस वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव रखते हैं। दिल्ली में आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में 400 से अधिक लोग शामिल हुए जिन्हें सत्र के दौरान निवेश से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई। इससे पहले पुणे एवं अहमदाबाद में दो सफल कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों के उत्साही खुदरा निवेशकों ने भाग लिया था।
गौरतलब है कि इंपल्स टेक्निकल इंडिया टूर में पचास से अधिक शहरों में शैक्षिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शामिल होगी, जिसमें पॉलीट्रेड, आफ्टरलाइफ और इंपल्स टेक्निकल खुदरा निवेशकों के साथ बातचीत करेंगे और निवेश की शक्ति, और बेहतरी के लिए चीजों को बदलने के अवसर पर विचार-मंथन करेंगे।

भारत-अर्जेंटीना की को – प्रोडक्शन फिल्म ‘थिंकिंग ऑफ हिम’ पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज होगी

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नयी दिल्ली। अर्जेंटीना के फिल्म निर्देशक पाब्लो सीजर की इंडो-अर्जेंटीना फिल्म ‘थिंकिंग ऑफ हिम’ 6 मई, 2022 को पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। यह फिल्म पुरस्कार विजेता, भारतीय फिल्म निर्माता सूरज कुमार ने को प्रोड्यूस किया है जो कि भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और अर्जेन्टीना की लेखिका विक्टोरिया ओकैम्पो के प्रेरणादायक और पवित्र सम्बन्ध की पड़ताल करती है। ‘गीतांजलि’ के फ्रेंच अनुवाद को पढ़ने के बाद, ओकाम्पो ने टैगोर को अपना आदर्श मान लिया और 1924 में जब वह अपनी ब्यूनस आयर्स यात्रा के दौरान बीमार पड़ गए, विक्टोरिया ने उनकी देखभाल की ।
निर्देशक पाब्लो सीज़र 13 साल की उम्र से ही फिल्में बना रहे हैं | उनके बड़े भाई ने उन्हें सुपर 8 मिमी कैमरा भेंट किया और उन्हें फिल्म बनाने की पहली तकनीक सिखाई। वह 1992 से ब्यूनस आयर्स के विश्वविद्यालय में सिनेमा के प्रोफेसर हैं। ‘थिंकिंग ऑफ हिम’ में टैगोर की भूमिका में पद्म विभूषण श्री विक्टर बनर्जी और विक्टोरिया के रोल में अर्जेंटीना के अभिनेत्री एलोनोरा वेक्सलर हैं। फिल्म में प्रसिद्ध बंगाली अभिनेत्री राइमा सेन और हेक्टर बोर्डोनी भी प्रमुख भूमिका में हैं।
निर्देशक पाब्लो सीजर ने टैगोर और विक्टोरिया की जिन्दगी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को रीक्रिएट करने की कोशिश की है। टैगोर को 6 नवंबर, 1924 को मेडिकल रेस्ट के लिए ब्यूनस आयर्स में रुकना पड़ा, जब वे पेरू के स्वतंत्रता शताब्दी समारोह में भाग लेने जा रहे थे। जब विक्टोरिया को इस बारे में पता चला और उसने टैगोर की देखभाल करने की पेशकश की । उन्होंने सन इसिड्रियो में एक सुंदर हवेली किराए पर ली और वहां टैगोर को ठहराया । उस बालकनी से उन्हें समुद्र जैसी चौड़ी प्लाटा नदी और ऊंचे पेड़ों और फूलों के पौधों वाला एक बड़ा बगीचा दिखाई देता था। बीमारी से पूरी तरह ठीक होने के बाद टैगोर ने 3 जनवरी, 1925 को ब्यूनस आयर्स से भारत आ गए | 58 दिनों के प्रवास के दौरान विक्टोरिया ने पूरे समर्पण के साथ उनकी देखभाल की । उन्हें महान भारतीय दार्शनिक, कवि गुरुदेव टैगोर से आध्यात्मिक जागृति और साहित्यिक प्रेरणा मिली। टैगोर के प्लेटोनिक प्रेम को ओकैम्पो के आध्यात्मिक प्रेम का प्रतिदान मिला , जोकि अर्जेंटीना अकादमी ऑफ लेटर्स की सदस्य बनने वाली पहली महिला भी थीं।

‘मेरे देश की धरती’ का दिल्ली में प्रमोशन

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नयी दिल्ली। वेब सिरीज़ मिर्ज़ापुर में अपने शानदार रोल से मशहूर हुए डेवेन्दु शर्मा पिछले दिनों दिल्ली में थे। वह और दूसरे अपकमिंग फिल्म ‘मेरे देश की धरती’ की स्टारकास्ट अपनी फिल्म के प्रचार के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे । कनॉट प्लेस के ली मेरिडियन होटल में प्रमोशनल कार्यक्रम आयोजित किया गया था। दिव्येंदु, अनुप्रिया गोयनका और अनंत विधात अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन फ़राज़ हैदर ने किया है। ‘मेरे देश की धरती’ 6 मई 2022 को रिलीज होगी। उल्लेखनीय है कि एक अनकही और अनसुनी कहानी को जन-जन तक पहुंचाते हुए ‘मेरे देश की धरती’ देश के युवाओं के सामने शहरी और ग्रामीण विभाजन के वास्तविक मुद्दों को उजागर करेगी जिससे युवा रोज रूबरू होते हैं। डॉ. श्रीकांत भासी के नेतृत्व वाले कार्निवल ग्रुप के प्रमुख प्रोडक्शन स्टूडियो में से एक कार्निवल मोशन पिक्चर्स ने हाल ही में बहुप्रतीक्षित ‘मेरे देश की धरती’ को रिलीज करने की घोषणा की है। यह फिल्म निहायत प्रासंगिक कहानी को हास्य और पावर-पैक प्रदर्शन के साथ सामने लाती है।

‘पैटर्न’ और ‘द टर्बन’ लघु फिल्म कई अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में पुरस्कार के लिए नामांकित

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नयी दिल्ली। अनूठी कहानी एवं उल्लेखनीय चित्रण के कारण ‘पैटर्न’ और ‘द टर्बन’ दोनों लघु फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। दोनों फिल्मों को इन्फो-फ्रेंच अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, फ्लोरेंस फिल्म समारोह जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया है। इनमें से ‘पैटर्न’ संदीप कपूर द्वारा निर्मित और सचिन करांडे द्वारा निर्देशित है। ‘पैटर्न’ एक ऐसे लड़के की कहानी है जिसे स्कूल में बच्चों द्वारा तंग किया जाता है, लेकिन वह अपने साहस, मेहनत और दिमाग से बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार करने के लिए मजबूर करता है।
वहीं, ‘द टर्बन’ 2020 में पूर्वी दिल्ली इलाके में हुए दंगों पर आधारित है जब सीएए और एनआरसी का विरोध हिंसक हो गया था। संदीप कपूर द्वारा निर्मित और रवींद्र सिवाच द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक उन्मादी भीड़ की नासमझ हिंसा की पड़ताल करती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक मासूम बच्चे को आतंकी दंगाइयों द्वारा मार दिया जाता है, लेकिन जब दंगाइयों को उसकी असलियत का पता चलता है तो वह भी दंग रह जाते हैं। ‘पैटर्न’ किशोर जीवन के बेहद संवेदनशील मुद्दे को छूती है। निर्माता संदीप कपूर और निर्देशक सचिन करांडे ने इस संवेदनशील विषय को बहुत ही जिम्मेदारी से निपटाया है। दोनों फिल्मों में मुख्य भूमिका में कार्तिकेय गोयल ने अपनी उम्र से परे जाकर अपने किरदारों को बहुत सकारात्मक तरीके से निभाया है। वह दोनों भूमिकाओं में जंचे हैं। उन्हें पर्दे पर देखकर पता ही नहीं चलता कि यह उनकी पहली फिल्म है।