Saturday, December 21, 2024
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भारत का पहला क्रिप्टो ‘बिग बुल’ देश की राजधानी में सार्वजनिक बिक्री के लिए जारी हुआ

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नयी दिल्ली। बिग बुल टेक्नोसॉफ्ट एलएलपी पहला मेक इन इंडिया क्रिप्टो है जिसका मुख्यालय भारत में है। यह दिल्ली में आईसीओ लॉन्च करने वाला पहला भारतीय क्रिप्टो है। मार्केटिंग के दिग्गज एवं अभिनेता श्री सुहेल सेठ ने द लीला, चाणक्यपुरी में बिग बुल टोकन के आईसीओ का अनावरण किया। बिगबुल के 11 ट्रेडिंग टूल्स हैं, जिनका लॉन्च आईसीओ के बाद किया जाएगा। क्रिप्टो बीएससी ब्लॉकचेन में है, जो लेनदेन के कम शुल्क के कारण खरीद के लिए किफ़ायती है। वर्तमान में बिग बुल बाइनैंस स्मार्ट चेन के ज़रिए ट्रस्ट वॉलेट से आईसीआई के तहत खरीद के लिए उपलब्ध है। बिग बुल का लॉन्च रु 1 में किया गया है और आईसीओ के तहत बेचे जाने वाले हर 100000 क्रिप्टो के लिए क्रिप्टो की कीमत रु 0.075 (0.001डॉलर) बढ़ेगी, रु 1 (0.014 डॉलर) में लॉन्च के बाद बिग बुल क्रिप्टो की कीमत में इस बढ़ोतरी का यही अनुमान है।

वर्तमान में बिग बुल को कई बड़े एक्सचेंजेज़ पर सूचीबद्ध किया जाएगा, जो अप्रैल 22 में इसके आईसीओ के बाद होगा, जिसके लिए बिगबुल के सीईओ एवं डेवलपर श्री रविन्द्रा पोटदार ने कई योजनाएं बनाई हैं। इस बारे में बात करते हुए श्री रविन्द्रा पोटदार ने कहा, ‘‘पहले भारत में निर्मित क्रिप्टो की शुरूआत को लेकर मैं और मेरी टीम बेहद उत्सुक हैं। हमने क्रिप्टो को खरीद के लिए सस्ती दरों पर उपलब्ध करानेका लक्ष्य रखा है, ताकि कोई भी खरीददार इसे खरीद सके। इसके लेनदेन की रेंज रु 1 से रु 10,00,000 के बीच है। हम रु 1 प्रति टोकन की शुरूआती कीमत पर ससार्वजनिक आईसीओ जारी कर रहे हैं और जलद ही इसे यूजर्स के लिए लाभकारी एवं अनुकूल बनाने के लिए कई और ट्रेडिंग टूल्स भी लेकर आएंगे।’ बिगबुल ने देश के हर व्यक्ति के साथ जुड़ने और हर घर तक क्रिप्टो को पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है, बिग बुल खरीदना इतना आसान होगा कि रोज़मर्रा में काम करने वाला व्यक्ति भी इसे आसानी से खरीद सकेगा।’

तड़प का दूसरा ट्रैक ‘तेरे सिवा जग में’ का टीज़र और पोस्टर हुआ रिलीज़

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मुंबई। फॉक्स स्टार स्टूडियोज़ द्वारा प्रस्तुत और सह-निर्मित साजिद नाडियाडवाला का तड़प ट्रेलर रिलीज के बाद से चर्चा का विषय रहा है और फिल्म का पहला गाना भी लाखों लोगों के दिलों के बीच हिट रहा है। अब प्रशंसक अहान शेट्टी के दूसरे ट्रैक ‘तेरे सिवा जग में’ की इंटेंस झलक के साथ उत्साहित हैं, जो 12 नवंबर को रिलीज होने के लिए तैयार है। पोस्टर और टीज़र भी पहले गाने की तरह ही दिलचस्प है जिसके बाद अब सभी को दूसरे गाने का इंतजार है। तारा सुतारिया और अहान शेट्टी की आकर्षक जोड़ी वाले पोस्टर और टीज़र के बाद, ‘तेरे सिवा जग में’ एक अन्य रोमांचकारी सवारी की ओर इशारा कर रहा है। उत्साहित ट्रैक को प्रीतम, शिल्पा राव और दर्शन रावल ने गाया है, जिनकी आवाज़ सभी के दिलों में बसती है। गाने के बोल इरशाद कामिल ने लिखे हैं और गाने में रैप भी है जिसे चरण ने लिखा और गाया है। ‘तुमसे भी ज्यादा’ तड़प का पहला गाना था जिसे लॉन्च किया गया था और इस लव सॉन्ग ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। फैंस गाने की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं। पहला गाना चार्टबस्टर बनने के बाद दूसरा गाना पहले से ही प्रशंसकों के बीच धूम मचा रहा है। अहान शेट्टी और तारा सुतारिया अभिनीत, फॉक्स स्टार स्टूडियोज द्वारा प्रस्तुत और सह-निर्मित, साजिद नाडियाडवाला द्वारा निर्मित, रजत अरोड़ा द्वारा लिखित व मिलन लुथरिया द्वारा निर्देशित नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन ‘तड़प’ 3 दिसंबर 2021 में सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

पुरस्कार विजेता शॉर्ट फिल्म ‘टेलिंग पॉन्‍ड’ को डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ में बनाया जाएगा

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मुंबई। समकालीन निर्देशक श्री सौरव विष्णु द्वारा निर्देशित, एक पुरस्कार विजेता लघु फिल्म ‘टेलिंग पॉन्ड’ को 2022-2023 में छह-एपिसोड की डॉक्यूसीरीज में पेश करने की पुष्टि की गई है। ‘टेलिंग पॉन्ड’ ने ऑस्कर के लिए क्‍वालिफाई किया है। इसमें दिखाया गया है कि झारखंड के जादुगोरा में आदिवासी परिवार कैसे पुरानी चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित हैं। उनके दुःख का एकमात्र कारण यूरेनियम रेडिएशन है। ‘सेक्स एंड द सिटी’ स्टार सिंथिया निक्सन द्वारा सुनाई गई, 20 मिनट की यह शॉर्ट फिल्म दर्शकों को निर्दोष आदिवासी लोगों पर यूरेनियम रेडिएशन के भयानक प्रभावों का संक्षिप्त परिचय देती है। शॉर्ट फिल्म को बनाने में पांच साल की कड़ी मेहनत लगी और इसकी शूटिंग में 160 घंटे से अधिक का समय लगा। आने वाली डॉक्यूसीरीज जादूगोरा की कहानी में गहराई से उतरेगी।

1951 में, भारत सरकार ने यूरेनियम में अपने भविष्य का एहसास किया और 1967 में, देश के सभी यूरेनियम खनन गतिविधियों की देखरेख के लिए यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (यूसीआईएल) का गठन किया। जादूगोरा में आदिवासी परिवारों के जीवन में यूसीआईएल का निर्माण एक विनाशकारी मोड़ बन गया। दिल दहला देने वाली डॉक्यूमेंट्री उस क्रूरता पर प्रकाश डालती है जिसका सामना एक गांव कर रहा है। हालांकि, अपकमिंग डॉक्यूसीरीज गांवों में और उसके आसपास के अन्य तालाबों और परमाणु कचरा डंपिंग की गैर-जिम्मेदाराना प्रथाओं को उजागर करेगी। परिवार कई पीढ़ियों से पीड़ित हैं और अभी भी परमाणु प्रदूषण से प्रभावित हैं। तालाबों से निकलने वाला गारा (स्‍लरी) स्थानीय मिट्टी और भूजल में रिस गया है, जिससे स्थानीय लोग अत्यधिक जहरीले रेडियोऐक्टिव अपशिष्‍ट के एक्‍सपोज़र में आ गए हैं।

इस घोषणा पर अपनी बात रखते हुए, ‘टेलिंग पॉन्ड’ के निदेशक, सौरव विष्णु ने कहा, “हम शॉर्ट फिल्म से मिली दर्शकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया से रोमांचित हैं। अब हम इस नैरेटिव को छह-एपिसोड की डॉक्यूसीरीज में विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं जो जादूगोरा की पूरी कहानी की गहराई से जानकारी देगी। हम 12 अतिरिक्त परिवारों पर प्रकाश डालेंगे जो रेडिएशन पॉइज़निंग के शिकार हैं और पीढ़ियों से पीड़ित हैं। इस सीरीज में प्रासंगिक कार्यकर्ताओं और हमारे समाज के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों के साथ साक्षात्कार भी शामिल होंगे, जो इस बात पर बहस करेंगे कि यह मुद्दा दशकों से क्यों छुपा हुआ है। अपनी निष्पक्ष कहानी से, हम आदिवासी लोगों के दुख-दर्द और पीड़ा को वरिष्ठ अधिकारियों के ध्‍यान में लाएंगे।”

जादूगोरा के लिए यहाँ दान करें- http://jadugora.com/

2017 में विष्णु द्वारा शुरू किया गया जादूगोरा नॉन फ़ॉर प्रॉफ़िट है (501 (सी) 3)। नॉन फ़ॉर प्रॉफ़िट जादूगोरा समुदायों और उनके लोगों के लिए धन जुटाता है। जादुगोरा में आदिवासी आबादी के लिए बोतलबंद पानी की सुविधा की स्थापना के संबंध में साझेदारी निर्मित करने के लिए नॉन फ़ॉर प्रॉफ़िट कुछ भागीदारों के साथ बातचीत कर रहा है। श्री विष्णु प्रभावित आबादी के लिए कम से कम 100 रोजगार सृजित करने और उन हजारों परिवारों को स्वच्छ, स्‍थायी पेयजल उपलब्ध कराने पर विचार कर रहे हैं, जो अपने घरेलू कामों और पीने के पानी के लिए दूषित नदी, कुओं और हैंडपंम्‍प्‍स पर निर्भर हैं। जादूगोरा के लिए दान करना लोगों के जीवन को हमेशा के लिए बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

कोरोना काल में घर लौटे प्रवासी नहीं शुरू कर पाये स्वरोजगार

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महानंद सिंह बिष्ट, गोपेश्वर, उत्तराखंड

कोरोना काल में जब सारा देश इस लड़ाई से जूझ रहा था. कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन से लोगों को खाने पीने की कठिनाइयां आ गई थी, उस समय भी गांवों में रहने वाले लोगों के पास कुछ संसाधन मौजूद थे. जिससे कि उनके परिवार की आजीविका चल सके. देश में लॉकडाउन लगने के बाद देश विदेशों से जब प्रवासी अपने घरों को लौटे तो वह गांव में ही रह कर स्वरोजगार करना चाहते थे. हालांकि उत्तराखंड के लोगों की मुख्य आजीविका जल, जंगल और जमीन है. लेकिन वन विभाग के वनों पर हस्तक्षेप के कारण लोगों की आजीविका पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. तमाम बंदिशों के चलते प्रवासी स्वरोजगार शुरू नहीं कर पा रहे हैं और पुनः रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने पर मजबूर हैं.
पूर्व काल से ही उत्तराखंड की मुख्य आर्थिकी का स्रोत न तो कृषि है, न पशुपालन और न ही पूर्ण रूप से दस्तकारी है. इन तीनों का मिलाजुला स्वरूप ही यहां के लोगों की आजीविका का साधन है. यह तीनों व्यवसाय जंगलों पर ही निर्भर है. जल है तो जंगल है, जंगल है तो पशुपालन है और पशुपालन है तो यहां के लोगों की आर्थिकी है. समाज के लोगों की वनों पर निर्भरता के कारण वनों के संरक्षण, संवर्धन, उपयोग और उपभोग करने के नियमों और पौराणिक रीति रिवाजों की श्रृंखला बेहद जटिल और लंबी है. यह सर्वविदित है कि जंगलों पर सबसे अधिक महिलाओं का ही फोकस रहता है क्योकि इसका सीधा संबंध उनके सिर एवं पीठ के बोझ से जुड़ा हुआ है. इसलिये वनों से सबसे अधिक लगाव महिलाओं को ही है. जिला चमोली के दशोली ब्लाक के दूरस्थ गांव बमियाला की पार्वती देवी बताती हैं कि जब वन विभाग का वनों पर हस्तक्षेप ज्यादा नही था तो महिला मंगल दल तथा गांव के ग्रामीण अपने गांव के आसपास की खाली पड़ी भूमि पर स्वयं ही वृक्षारोपण किया करते थे और अपने मवेशियों के लिये कास्तकारी निसंकोच करते थें. लेकिन जब से लोगों को नियमों और कानूनों में बांधा गया है, तब से हमारी आजीविका के स्रोत प्रभावित हुए हैं.
पूरे भारत के लिये हिमालयी क्षेत्र का बड़ा महत्व है इसलिये उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. यहां से निकलने वाली जीवनदायनी नदियों को देव नादियां, यहां उगने वाले वृक्षों को देववृक्ष, पुष्पों को ब्रहमकमल, वन्य प्राणी कस्तूरा मृग को शिव द्रव्य कहकर धार्मिक भावना से जोड़ा गया है. ताकि मानव की आस्था और श्रद्धा के साथ साथ स्वतः ही इन जीवनदायी संसाधनों का संरक्षण भी हो सके और लोगों की आजीविका इन संसाधनों के साथ आगे बढ़ सके. उत्तराखंड में वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये पूर्व काल से वन पंचायतों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अपने गांवों के आसपास के जंगलों में काश्तकारी के साथ साथ खाली स्थानों पर वृक्षारोपण कर उनका विकास करना गांव वालों की जिम्मेदारी होती थी. इससे न केवल प्रकृति का संरक्षण होता था बल्कि लोगों को रोज़गार भी मिलते थे. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कुवंर बताते हैं कि भारतीय वन अधिनियिम 1927 की धारा 28.1 के तहत समुदाय को सैंचुरी क्षेत्र तथा वनों में काश्तकारी करने के लिये विभाग की अनुमति लेनी पड़ेगी. वन्य जीवों की रक्षा के लिये भारत सरकार द्वारा नियम कानून बनाए गए हैं. उन कानूनों की रक्षा करना वन विभाग का काम है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की मांग पर लोगों को उनके हक दिये जाते हैं. लेकिन बिना अनुमति के सैंचुरी क्षेत्र में किसी प्रकार की घुसपैठ नहीं की जा सकती है.
यह बात सच है कि उत्तराखंड में वन पंचायतें अधिनियमों और नियमों के बीच पिसती गई हैं. इस कारण लोगों के हक, हकूक और अधिकार धीरे धीरे कम किये गये हैं. ग्रामीणों के अधिकार कम होने से स्थानीय समुदाय के लोगों का वनों से धीरे धीरे रुझान कम होता गया. रूझान कम होने तथा विभिन्न विभागों के गैर ज़रूरी हस्तक्षेप के कारण लोगों ने अपने जंगलों के बजाय अपनी निजी भूमि चारा पत्ती वाले बृक्षो का रोपण कर घासों के उत्पादन में काम करना शुरू किया. सरकारी नियमो के चलते जब लोगों को जंगलों से मिलने वाले हक हुकूको में कटौती की गई, तब पशुपालन पर भी इसका असर पड़ा और पशुपालन कम होने से लोगों की आजीवका भी घटती गई. जिसके बाद आय के साधन जुटाने के लिए लोगों का शहरों की ओर पलायन शुरू हुआ है. उत्तराखंड के पंचायती वन समुदाय और वन व्यवस्था की अनूठी परंपरा रही है. तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 1931 में स्थानीय ग्रामवासियों तथा क्षेत्रवासियों के भारी दबाव के बाद लागू किया था.
वर्तमान समय में राज्य में करीब 12 हजार से अधिक वन पंचायतें गठित हैं. जो राज्य की लगभग 14 प्रतिशत वन भूमि का प्रबंधन में सहयोग प्रदान करती है. यह अधिकांश वन भूमि सिविल भूमि है और वन पंचायतों के स्वामित्व में है. वन पंचायत जैसी अनूठी और कारगर वन प्रबंधन व्यवस्था की प्रशंसा यदा कदा सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यक्रमों में होती रही है. हालांकि 90 सालों में इन पंचायतों के स्वरूप, अधिकार एवं कार्यक्रमों में बड़े स्तर पर बदलाव हुए हैं. इन बदलावों ने ग्रामीण समुदाय की आजीविका एवं उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. इसके बाद 2001 तथा 2005 में भी इस नियमावली में परिवर्तन किया गया. लेकिन उन्हें भारतीय वन अधिनियम 1927 की उपरोक्त धारा के तहत ही अनुसूचित किया गया. वन अधिनियम की यह धारा वन विभाग को ग्राम वन बनाने व उसके प्रबंधन हेतु नियम तक बनाने का अधिकार प्रदान करती है. इन नियम कानूनों के चलते जब समाज के लोगों को वनों से कुछ लाभ ही प्राप्त नहीं हो रहा तब वन पंचायत संगठन ने इन नियम कानूनों का विरोध करते हुये सरकार के सामने कुछ मांगे रखी. इनमें उत्तरांचल वन पंचायती नियमावली 2005 को निरस्त कर जनपक्षीय वन अधिनियम बनाये जाने, अधिनियम बनने तक वन पंचायत नियमावली 1931 को लागू किया करने, पंचायती वनों के विकास एवं उपयोग के लिये पृथक निदेशालय की व्यवस्था करने तथा पंचायती वनों को वन विभाग के नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त करने जैसी मांगे प्रमुख हैं.


लेकिन इन मांगों पर सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया. स्थानीय ग्रामीणों को जंगलों पर हक हकूकों नहीं मिलने से इसका सीधा असर उनकी आजीविका पर पड़ा है. कोरोना काल में जब देश विदेश में रोजगार करने वाले लोग अपने पुस्तैनी घरों को लौट आये थें तब ये लोग अपने गावों में कृषि, बागवानी और पशुपालन करना चाह रहे थे, लेकिन वनों पर विभाग के हस्तक्षेप देख और कई नियम कानूनों के चलते उन्हें दोबारा रोजगार के लिये बाहर जाने पर विवश होना पड़ा. उत्तराखंड वन पंचायत सरपंच संगठन के पूर्व संरक्षक प्रेम सिंह सनवाल बताते हैं कि संगठन के विरोध के बाद भी वन पंचायतों को अधिकार संपन्न नहीं बनाया गया है. वन पंचायतों पर केस स्टडी तैयार करने वाले मंडल गांव के सामाजिक कार्यकर्ता उमाशंकर बिष्ट बताते हैं कि जब हम लोग गांवों में लोगों को वनों पर निर्भरता का सवाल पूछ रहे थे तो लोगों का सीधा जवाब था कि कई नियमों और कानूनों के कारण हमारे हक छिन गए हैं. इससे उनके परिवार की आजीविका प्रभावित हो रही है.


बहरहाल, यदि सरकार नियमों व कानूनों में कुछ ढील दे तो पुनः ग्रामीणों की आजीविका आगे बढ़ सकती है. उत्तराखंड वासियों को उम्मीद है कि यदि भविष्य में कभी ऐसा संकट आये तो लोग अपने गांवों में ही स्वरोजगार के जरिये अपनी आजीविका संचालित कर सकते हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या इन डेढ़ वर्षो में लोगों की आर्थिकी पर आये सकंट को देखते हुए कुछ सकारात्मक निर्णय सामने आ सकते हैं? क्या सरकार नियमों में इतनी ढ़ील दे सकती है कि लोग वनों का बिना कोई दुरूपयोग किये उससे आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकें? सरकार को इसपर जल्द फैसला लेने की ज़रूरत है, ताकि राज्य से पलायन का दर्द ख़त्म किया जा सके. (चरखा फीचर) 

BYJU’S एक्‍जाम प्रेप ने जीएटीई (गेट) ऑफरिंग को रिलॉन्‍च किया

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नई दिल्ली। विश्‍व की अग्रणी एडटेक कंपनी BYJU’S की एक पेशकश, BYJU’S एक्‍जाम प्रेप ने आज जीएटीई (ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्‍ट फॉर इंजिनियरिंग) के लिये अपने मशहूर एक्‍जाम प्रेप में से एक के रिलॉन्‍च की घोषणा की है। जीएटीई राष्‍ट्रीय स्‍तर की एक अत्‍यंत प्रतिस्‍पर्द्धी परीक्षा है, जो स्‍टूडेंट्स को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्‍थानों से एमटेक करने और टॉप पीएसयू की नौकरी पाने के अवसर प्रदान करती है।

परीक्षा की तैयारी के लिये एक समग्र एप्रोच की पेशकश करने के लक्ष्‍य से दोबारा आरम्भ किये गए इस प्रोडक्‍ट में एक गेट लर्निंग टैबलेट, उच्‍च-गुणवत्‍ता का रिकॉर्डेड कंटेन्‍ट, वीकली और सब्‍जेक्‍ट टेस्‍ट्स, प्रिंटेड वर्कबुक्‍स, पिछले साल के प्रश्‍नों वाली बुक्‍स, विषयानुसार फार्मूला नोट्स, और विशेषज्ञ फैकल्‍टी के मार्गदर्शन में लाइव क्‍लासरूम्‍स और शंका निवारण के सत्र हैं। नये ऑनलाइन क्‍लासरूम प्रोग्राम से स्‍टूडेंट्स को अब परीक्षा की व्‍यक्तिपरक, एकीकृत और व्‍यापक तैयारी का साधन मिलेगा।

BYJU’S एक्‍जाम प्रेप के सीईओ, शोभित भटनागर ने कहा कि, “यह रिलॉन्‍च गेट के लिये BYJU’S एक्‍जाम प्रेप के आकांक्षी स्‍टूडेंट्स का भविष्‍य और कैरियर संवारने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अपने अच्‍छी तरह से डिजाइन किये गये प्रोग्राम्‍स और अत्‍यंत निपुण फैकल्‍टी की मदद से हम आकांक्षी स्‍टूडेंट्स के लिए व्‍यापक मार्गदर्शन की पेशकश करेंगे, ताकि उनका मुख्‍य तकनीकी ज्ञान बढ़े, उनकी क्षमता बढ़े और उनके लिए उज्‍जवल तथा सफल भविष्‍य का रास्‍ता खुले।”

BYJU’S एक्‍जाम प्रेप ने पिछले दो वर्षों में गेट कैटेगरी में बेहतरीन परिणाम दिये हैं। गेट 2020 में 50 से ज्‍यादा स्‍टूडेंट्स ने एआईआर 100 के अंतर्गत स्‍कोर किया था और गेट 2021 में 100 से ज्‍यादा स्‍टूडेंट्स एआईआर 100 में आए थे। BYJU’S एक्‍जाम प्रेप गेट के रिलॉन्‍च से एड-टेक स्‍पेस में अपनी मौजूदगी को मजबूत करेगा और गेट के सभी आकांक्षी स्‍टूडेंट्स के लिए व्‍यापक और उच्‍च गुणवत्‍ता की परीक्षा की तैयारी को आसान और सुलभ बनाएगा।

BYJU’S एक्‍जाम प्रेप का नाम पहले ग्रेडअप था। यह परीक्षा की तैयारी का तेजी से बढ़ रहा एक व्‍यापक प्‍लेटफॉर्म है। यह 25 कैटेगरीज की 150 से ज्‍यादा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्‍टूडेंट्स के काम आता है, जिनमें सरकारी नौकरियाँ, पोस्‍टग्रेजुएट एंट्रेन्‍स एक्‍जाम्‍स, जैसे कि आईएएस, सीएटी, डिफेंस, यूजीसी-एनईटी, आदि शामिल हैं। इस एप के 3.5 मिलियन से ज्‍यादा रजिस्‍टर्ड स्‍टूडेंट्स हैं और यह आकांक्षी स्‍टूडेंट्स को भारत की टॉप फैकल्‍टी द्वारा संचालित ऑनलाइन क्लासरूम प्रोग्राम्‍स, विषय के विशेषज्ञों द्वारा खासतौर से डिजाइन की गई अध्‍ययन सामग्री और गहन विश्‍लेषण वाली नये पैटर्न की टेस्‍ट सीरीज प्रदान कर अच्‍छी तरह से तैयारी करने में सक्षम बनाता है। इस प्रकार स्‍टूडेंट्स अपनी कमजोरियों को समझ पाते हैं और उन्‍हें अपनी वास्‍तविक क्षमता का बोध होता है।

शेफाली शाह एक नया क्रिएटिव सफर करेंगी शुरू

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दो दशकों से अधिक के अपने सफ़र में एक अभिनेता के रूप में अपनी योग्यता साबित करने के बाद, शेफाली शाह क्रिएटिव स्पेस में अपने क्षितिज को व्यापक बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। पावरहाउस परफॉर्मर होने के अलावा, शेफाली की रचनात्मकता केवल सिनेमा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह पेंटिंग और राइटिंग के अपने जुनून के लिए भी जानी जाती हैं। एक्ट्रेस अब हॉस्पिटैलिटी बिजनेस में कदम रखते हुए अपने नए सफर की शुरुआत कर रही हैं। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा!

यह एक ज्ञात तथ्य है कि शेफाली पूरी तरह से खाने की शौकीन हैं और अपने खाली समय के दौरान खाना पकाने का आनंद लेती हैं, जो कि कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान उनके सोशल मीडिया के माध्यम से भी स्पष्ट था। यही वजह है कि, हॉस्पिटैलिटी बिज़नेस में वेंचर करने का विचार हमेशा से उनके दिमाग में था। अब पता चला है कि अभिनेत्री नेहा बस्सी के साथ अहमदाबाद (गुजरात) के आलीशान इलाके में एक भव्य, थीम-बेस्ड रेस्तरां ‘जलसा’ खोलने के लिए तैयार है, जो दो दशकों से अधिक के अनुभव के साथ एक हॉस्पिटैलिटी बिज़नेस है। नारी शक्ति को नमन है!

‘जलसा’ शेफाली के लिए प्यार और जुनून का फल है; हर एलिमेंट- सजावट से लेकर कटलरी तक, रेसिपी से लेकर प्रेजेंटेशन तक – व्यक्तिगत रूप से सुपरवाइज़ और एग्जिक्यूट किया गया है। शेफाली अपने साथ डाइनिंग और हॉस्पिटैलिटी की दुनिया में मानवीय अनुभव के कलात्मक और दिल को छू लेने वाले पहलुओं की अपनी सहज समझ लेकर आई हैं।

हाल ही में अपनी फिल्म और ओटीटी प्रोजेक्ट्स की शूटिंग के अलावा, शेफाली व्यक्तिगत रूप से इंटीरियर डिजाइन करने में व्यस्त रही है – कुछ दीवारों को हाथ से पेंट करने से लेकर चीज़ बोर्ड तक, एक ऐसा माहौल बनाने के लिए जिसे लोग पसंद करेंगे, शेफ के साथ मिलकर काम करना और हर प्लेट को यादगार व स्वादिष्ट बनाने के लिए अपनी खुद की रेसिपीज़ साझा कर रही हैं।

एक तरफ जहां वर्सटाइल अभिनेत्री को उनके रचनात्मक विकल्पों के संबंध में एक परफेक्शनिस्ट के रूप में जाना जाता है, वहीं उनके नए वेंचर को हॉस्पिटैलिटी बिज़नेस स्पेस में एक अनूठी अवधारणा में से एक माना जा रहा है।

जैसा कि ज्यादातर चीजों के साथ होता है, शेफाली ने बताया कि जलसा सिर्फ शुरुआत है। वह कहती हैं, “मेरा विश्वास जीवन का जश्न मनाने में है। परिवार, दोस्तों, भोजन, मौज-मस्ती, संगीत, नृत्य और बहुत कुछ के साथ और जलसा बिल्कुल वैसा ही है! जलसा सिर्फ एक रेस्तरां नहीं है, यह एक अनुभव है। अपने नाम के अनुरूप, जलसा में उपरोक्त सब सर्वे किया जाएगा। ग्लोबल डिजाइन और फ़ूड ट्रेंड्स के साथ एक सर्वोत्कृष्ट भारतीय उत्सव है। अच्छे समय का कभी जलसा में अंत नहीं होता और न ही भोजन का। जलसा एक बुफे रेस्तरां है जो विभिन्न राज्यों के भारतीय व्यंजन और अंतरराष्ट्रीय मज़ेदार भोजन परोसता है। जलसा भोजन मस्ती और एकजुटता का कार्निवल है। फेरिस व्हील्स, ज्योतिषियों, मेंहदी कलाकारों, फनफेयर गेम्स आदि के साथ, जलसा सिर्फ एक रेस्तरां नहीं है, यह सभी के लिए खुशी का अनुभव है।”

शेफाली शाह की परियोजनाओं की दिलचस्प लाइन में आलिया भट्ट की ‘डार्लिंग्स’, जंगली पिक्चर्स की ‘डॉक्टर जी’, विपुल अमृतलाल शाह की वेब श्रृंखला ‘ह्यूमन’ और ‘दिल्ली क्राइम’ सीजन 2 शामिल हैं।

राजकुमार राव ने ‘लायंसगेट प्ले’ के पहले भारतीय ओरिजिनल, ‘हिकप्स एंड हुकअप्स’ के टाइटल का अनावरण किया

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मुंबई। एक नए वीडियो में लायंसगेट प्ले के पहले भारतीय ओरिजिनल शो ‘हिकप्स एंड हुकअप्स’, के टाइटल और पात्रों का राजकुमार राव ने दर्शकों से परिचय करवाया, जो चर्चा में हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि राजकुमार राव ही क्यों, तो इसका जवाब है कि शहर में नए राव परिवार की झलक दिखाने के लिए राजकुमार जैसे स्थापित और लोकप्रिय राव से बेहतर और कौन हो सकता है। उन्होंने इस नए घर के साहसी, दिलेर और बोल्ड सदस्यों से रूबरू कराने की जिम्मेवारी अपने ऊपर ली थी।

शो के इनोवेटिव वीडियो में, राव स्पष्ट रूप से नए राव को शहर में ‘शॉकिंग एंड नॉट रॉकिंग’ बताते हुए दिखाई दे रहे हैं। हम लारा दत्ता के चरित्र को ‘मॉडर्न स्त्री’ के रूप में दर्शाते हैं जो अपने डेटिंग विकल्पों को लेकर उलझन में है। प्रतीक बब्बर को ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया है जो खुद को ‘रिश्तों का न्यूटन’ मानता है क्योंकि उसका मानना है कि डेटिंग सांप-सीढ़ी का खेल है। शो में लारा दत्ता की किशोर बेटी की भूमिका निभाने वाली शिनोवा, राजकुमार के अनुसार, स्वयं को ‘क्वीन ऑफ रिलेशनशिप्स’ मानती है। लेकिन आखिरकार वह उन परिस्थितियों में फंस जाती है जो उसके खिलाफ ठहरती हैं।
अपने जुड़ाव के बारे में बताते हुए, राजकुमार राव मजाकिया अंदाज में कहते हैं कि “मैंने जिन तीनों किरदारों का परिचय दिया है, उनका सोचने का अपना ही तरीका है। उनमें काफी जिंदादिली है। वे इसलिए मेरे दिमाग में हैं क्योंकि वे अपना जीवन खुलकर जीते हैं। और हाँ, लगता है कि मेरे जैसे राव के लिए ‘घबराव’ बनने का समय आ गया है क्योंकि रावों का यह नया समूह अपने साहसिक कारनामों के कारण मुझे बिल्कुल सतर्क और सावधान बनाये रखने वाला है।“
राजकुमार राव ने बताया कि लगभग एक दशक से सावधानीपूर्वक बनाई गई उनकी बेदाग प्रतिष्ठा खतरे में है। अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा क्यों है, तो नए शो के सदस्यों से मिलने के लिए तैयार होने का समय आ गया है क्योंकि यह एक ऐसा परिवार है जिसमें कोई दिखावा नहीं है या जिनकी कोई हद नहीं है। वे न केवल आधुनिक परिवार के व्याकरण को बदलने के लिए तैयार हैं, बल्कि इसे पुन: परिभाषित करने जा रहे हैं।
कुणाल कोहली द्वारा निर्देशित ‘हिकप्स एंड हुकअप्स’ में शहरी माहौल का चित्रण है और यह शो एक ऐसे परिवार के बारे में भारत का पहला बोल्ड और प्रगतिशील शो है जो किसी दिखावे या हद में विश्वास नहीं करता है।

यूएस क्रूड के स्टॉक में वृद्धि और बाजार में ईरानी तेल की फिर से शुरुआत के कारण तेल की कीमतें गिरी

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सोना
गुरुवार को स्पॉट सोना 0.11 फीसदी की तेजी के साथ $1798.6 प्रति औंस पर बंद हुआ था। यूएस अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि से बाजार की जोखिम उठाने की क्षमता पर असर पड़ा और बदले में सुरक्षित पनाहगाह सोने की चाहत भी बढ़ी।
2021 की तीसरी तिमाही में यूएस की जीडीपी में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो निराशाजनक रोजगार डेटा, बाधित आपूर्ति श्रृंखला और वायरस के प्रकोप की वापसी को देखते हुए एक साल में अपनी सबसे धीमी गति रही है।
यूएस की अर्थव्यवस्था में धीमी गति की वृद्धि के संकेत मिलने से फेडरल रिजर्व की ओर से सख्त मौद्रिक नीति की ओर दांव कम हुआ।
इसके अलावा, यूएस डॉलर में थोड़ी गिरावट और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड के पीछे हटने से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंक की बैठक से पहले सुरक्षित पनाहगाह सोने की चाहत भी बढ़ी।
मुद्रास्फीति की चिंता उम्मीद से अधिक समय तक बनी रहने से भी सोने को समर्थन मिलता रहा क्योंकि इसे व्यापक रूप से मुद्रास्फीति और मुद्रा के गिरने के खिलाफ बचाव माना जाता है।
नवंबर 2021 के पहले सप्ताह में होने वाली यूएस फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक पर निवेशकों की गहरी नज़र होने की उम्मीद है।

यूएस अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि के बाद यूएस डॉलर में गिरावट से सोने का साप्ताहिक लाभ और बढ़ने की उम्मीद है।

कच्चा तेल
गुरुवार को, डब्ल्यूटीआई क्रूड 0.2 फीसदी की गिरावट के साथ $82.8 प्रति बैरल पर बंद हुआ। यूएस क्रूड इन्वेंट्री में वृद्धि होने और इरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम पर विश्व शक्ति से वार्ता फिर से शुरू करने के कारण बाजार पर ज़ोर पड़ने की वज़ह से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही।
एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के अनुसार, यूएस क्रूड इन्वेंट्री में 22 अक्टूबर 2021 को समाप्त सप्ताह में 4.3 मिलियन बैरल की वृद्धि हुई, जो बाजार की 1.9 मिलियन बैरल की उम्मीद से ज्यादा था।
हालांकि, वैश्विक मांग बढ़ने के बीच संभावित कमी की चिंताओं के कारण बाजार की धारणा मजबूत होने से तेल की कीमतों में साप्ताहिक बढ़त हुई। ओपीईसी और उसके सहयोगी तंग वैश्विक तेल बाजार के बावजूद उत्पादन में अपनी निर्धारित वृद्धि करते रहे हैं, जो कच्चे तेल की कीमतों के लिए भी सहायक रहे हैं।

जबकि चीन में सरकार के हस्तक्षेप के बाद कोयले और ऊर्जा की कीमतों में कमी आई है, बाकी दुनिया में कीमतें ऊंची बनी हुई हैं क्योंकि गिरते तापमान से ईंधन की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

यूएस क्रूड इन्वेंट्री में वृद्धि के बीच वैश्विक बाजारों में ईरान की आपूर्ति फिर से शुरू होने को जुड़ी चिंता की वज़ह से तेल अगस्त 2021 के अपने पहले साप्ताहिक नुकसान की ओर बढ़ रहा है।

बेस मेटल
गुरुवार को, MCX पर अधिकांश औद्योगिक धातुओं ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों के अनुरूप उच्च कारोबार किया क्योंकि दोबारा वैश्विक मांग बढ़ने के बीच आपूर्ति की बढ़ती चिंताओं से वैश्विक बाजार में कमी आ सकती है।
एल्युमीनियम की कीमतों में कल के सत्र में 2.2 प्रतिशत से अधिक की बढ़त के साथ कुछ नुकसान कम हुआ, क्योंकि बाजारों को उम्मीद थी कि प्रमुख उत्पादक चीन में बिजली की खपत के नियमों के कठोर होने के बाद हल्की धातु की आपूर्ति तंग होने के कारण, आपूर्ति तंग रह सकती है।
चीन के नियत योजनाकार ने हस्तक्षेप करने और ईंधन की रिकॉर्ड उच्च कीमतों को “उचित सीमा” पर वापस लाने की घोषणा की, जिससे कोयले की कीमतों में हालिया गिरावट आई। चीनी अधिकारियों ने कोयला भंडारण की जगहों पर “सफाई और सुधार” कार्य करने की योजना बनाई और कोयले की कीमतों को और कम करने से आपूर्ति के संभावित खतरें कम हो गए, जिसका असर एल्यूमीनियम और अन्य औद्योगिक धातुओं पर पड़ा।
तांबा
गुरुवार को, LME कॉपर 1.24 प्रतिशत की तेजी के साथ समाप्त हुआ, जबकि MCX कॉपर की कीमतों में 0.7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, क्योंकि संभावित कमी की चिंताओं पर कोयले की कीमतों में कमी का असर नहीं पड़ा और कीमतें उच्च स्तर पर गईं।
पेरू से आपूर्ति पर पैदा होने वाले संभावित खतरे भी तांबे के लिए सहायक रहें। प्रदर्शनकारियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में पेरू की एंटामिना तांबे और जस्ता खदान द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया क्योंकि कंपनी स्थानीय क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर पाई। एक अन्य स्थानीय समूह भी इन्हीं वज़हों से पेरू में लास बंबास तांबे की खदान की ओर जाने वाली सड़क पर पिछले सप्ताह से विरोध कर रहा है। दुनिया के नंबर 2 तांबा उत्पादक देश पेरू ने 2020 में 2.15 मिलियन टन का उत्पादन किया था।

चीन में बिजली की खपत के नियमों से एल्युमीनियम आपूर्ति की चेन में बाधा आने की उम्मीद है, जिससे एल्युमीनियम की कीमतों को कुछ समर्थन मिलना जारी रह सकता है।

लेखक: प्रथमेश माल्या, एवीपी-अनुसंधान, गैर-कृषि कमाडिटी और मुद्राएं, एंजेल वन लिमिटेड

जामिया के भूतपूर्व चेयर प्रोफेसर का ‘द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज’ (टीडब्ल्यूएएस), इटली के फैलो के रूप में चयन

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नयी दिल्ली। प्रो. शकील अहमद जिन्होंने एमके गांधी चेयर प्रोफेसर के रूप में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कार्य किया, उन्हें “द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज (टीडब्ल्यूएएस)”, ट्राएस्टे, इटली में फैलो चुना गया है। उन्हें एक विकासशील देश में विज्ञान की उन्नति के लिए इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान के लिए चुना गया है। टीडब्ल्यूएएस अनुसंधान, शिक्षा, नीति और कूटनीति के माध्यम से स्थायी समृद्धि का समर्थन करता है।

जल विज्ञान के विशेषज्ञ प्रो. अहमद ने जामिया (2018-2020) में अपने 2 साल के कार्यकाल के दौरान सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट के साथ-साथ भूगोल विभाग में भी अध्यापन किया। उन्हें जल से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन में उन्नत विकास अध्यापन का समृद्ध अनुभव है।

जामिया में प्रो. अहमद का योगदान असाधारण रहा है क्योंकि उन्होंने उच्च प्रभाव वाली अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 13 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और आईएनएसए के साथ-साथ स्प्रिंगर और एल्सेवियर द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में 3 अध्यायों का योगदान दिया है। जामिया में अपने कार्यकाल के दौरान, प्रो. अहमद को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (NASI) के फैलो के रूप में भी चुना गया था।

प्रो. अहमद, भारत से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जिसमें भूगोल विभाग, जामिया के प्रो. अतीकुर रहमान और भारत के कई अन्य वैज्ञानिक/विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो फ्रांस के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ ‘जल प्रबंधन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव’ पर मई 2022 को चर्चा करेंगे।

जामिया में शामिल होने से पहले, उन्होंने CSIR के राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में 37 वर्षों तक वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया और संस्थान के वरिष्ठतम मुख्य वैज्ञानिक के स्तर तक पहुँचे। उन्होंने भारत में राष्ट्रीय अक़ुइफ़र मैपिंग के मेगा कार्यक्रम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका सहित भू-विज्ञान पर बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। प्रो. अहमद एशियाई यूनेस्को के एक प्रमुख कार्यक्रम के सचिव के रूप में GWADI के सचिवालय का प्रबंधन कर रहे हैं। उन्हें पहले से ही कई और पुरस्कार प्राप्त हैं जिसमें, राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार और जल विज्ञान के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं।

प्रो. अहमद ने संस्थापक प्रमुख के रूप में लगभग 2 दशकों तक हैदराबाद में ‘इंडो-फ़्रेंच सेंटर फॉर ग्राउंडवाटर रिसर्च’ का नेतृत्व किया है। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फैलो और कश्मीर विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं तथा वर्तमान में वे मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के स्कूल ऑफ साइंसेज में सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं।

मुहूर्त निवेश के लिए ‘क्‍या करें और क्‍या नहीं करें’

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प्रथमेश माल्या
एवीपी-अनुसंधान, गैर-कृषि कमाडिटी और मुद्राएं, एंजेल वन लिमिटेड

दिवाली का मौसम है और इसके साथ ही ‘मुहूर्त’ निवेश की चर्चा भी हो रही है। आप अनुभवी निवेशक हों या फिर नौसिखिया व्यापारी, कारोबार के इस ‘ख़ास वक्त’ में उत्तेजना हमेशा सातवें आसमान पर होती है। हालांकि, ठीक किसी और कारोबारी दिन के समान ही निवेशकों को होशियार रहना चाहिए और निवेश का फैसला सोच-समझ कर करना चाहिए।

मुहूर्त निवेश क्या है

भारतीय रीति-रिवाज में ‘मुहूर्त’ को शुभ समय माना गया है। दिवाली पर अक्‍सर एक घंटा शेयर मार्केट निवेश के प्रति समर्पित किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों की ऐसी आस्था है कि साल के ऐसे एक शुभ घंटे के दौरान निवेश करने से पूरे साल धन और समृद्धि का आगमन होता है।

शेयर बाज़ारों में मुहूर्त निवेश के लिए एक सीमित समय होता है। इस अवधि में ब्लॉक डील सेशन, प्री-ओपन सेशन, रेगुलर मार्केट सेशन, कॉल ऑक्शन सेशन और क्लोजिंग सेशन सम्मिलित हैं। इसके अलावा, ऐतिहासिक रुझानों से दिखाई देता है कि बाजार में मुख्यतः तेजी रहती है, (पिछले 25 वर्षों में लगभग 80% समय तक) ।

यहाँ कुछ करने और कुछ नहीं करने वाले कार्य दिए गए हैं जिनसे आपको लाभकारी मुहूर्त निवेश पाने में मदद मिलेगी।

क्‍या करें की सूची

टोकन परचेज

टोकन परचेज का अभिप्राय इस अवधि के प्रतिभूतियों में किये गए छोटी राशि के निवेश से है। चूँकि लिक्विडिटी की मजबूरी हो सकती है, इसलिए इस दिन बड़ा ऑर्डर नहीं करना हमेशा बेहतर होता है, क्योंकि बाजार के रुझान अस्पष्ट रहते हैं।

दीर्घकालीन निवेश पर ध्यान केन्द्रित करें

चूँकि बाज़ार केवल सीमित अवधि के लिए खुलता है, तो हो सकता है कोई अल्पकालिक लाभ नहीं होगा। इसके अलावा, मुहूर्त निवेश के दौरान बाज़ार का मिला-जुला रुझान और दिनों के सामान्य रुझानों से भिन्न हो सकता है। इसलिए, निवेशक को अल्पकालिक अवधि पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाए दीर्घकालीन निवेशों से उम्मीद लगानी चाहिए। ब्लू-चिप शेयरों का हिसाब लेने और एक निश्चित राशि इस तरह की प्रतिभूतियों में रखने के लिए यह शानदार समय है।

नए निवेशकों के लिए बढ़िया समय

यह त्यौहारों का उत्साह है या भारतीय निवेशकों की आम मान्यता, बात चाहे जो हो लेकिन मुहूर्त निवेश नए निवेशकों के लिए लघु निवेश करके बाज़ार में प्रवेश करने का बढ़िया समय हो सकता है। यह नए निवेशकों को एन मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करने में सहायता करता है क्योंकि निवेश के सफ़र की शुरुआत एक शुभ अवसर के साथ होती है।

पोर्टफोलियो के पुनर्गठन का अवसर

अनुभवी कारोबारी इस अवसर का प्रयोग कोष में अलग-अलग सेक्टर के शेयर शामिल करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए कर सकते हैं। यह पोर्टफोलियो के सामान्य पुनर्गठन और विविधीकरण की शुरुआत करने का शानदार समय होगा।

क्‍या नहीं करें की सूची

वायदा सौदों (फ्यूचर्स) और विकल्पों से बचें

वायदा सौदों और विकल्पों (फ्यूचर्स और ऑप्शंस) द्वारा उत्पन्न उच्च जोखिम की परिणति घाटे में होती है और त्यौहार का आनंद एवं आभा आसानी से बर्बाद हो सकती है। इसके अलावा, चूँकि बाज़ार केवल एक छोटी अवधि के लिए ही खुलते हैं, हो सकता है कि फ्यूचर्स और ऑप्शंस की चाल से ठीक-ठीक रुझानों का पता नहीं चले। इसलिए, निवेशकों और कारोबारियों को वायदा सौदों और विकल्पों में निवेश करने से बचना चाहिए।

अंधाधुंध निवेश करने से बचें

मुहूर्त कारोबार का मतलब ऊँचे प्रतिलाभ की गारंटी नहीं होता है। अगर बाजार का मिला-जुला रुझान सकारात्मक हो तो भी ऐसे वक्त आते हैं जब मुहूर्त निवेश के दौरान बाजार में मंदी बनी रहती है। इसलिए, किसी भी अंधाधुंध निवेश या कारोबार करने से बचना चाहिए।

अफवाहों से बचें

पिछले कुछ महीनों के दौरान भारतीय शेयर बाज़ार बढ़िया करता रहा है, और बाज़ार का रुझान अमूमन सकारात्मक है। हालांकि, निवेशकों को सूझ-बूझ के साथ फैसला सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों और उद्योगों से सम्बंधित हर तरह की अफवाहों से बचना चाहिए।

बहुत ज्यादा एक्सपोज़र से बचें

चूँकि बाज़ार केवल सीमित समय के लिए ही खुला रहेगा, किसी भी शेयर या प्रतिभूति पत्र (स्क्रिप) में बहुत ज्यादा एक्सपोज़र लेना सही नहीं होगा। चूँकि कुल सहभागिता कम होगी और शेयर के रुझान पूर्ववर्ती दिनों से भिन्न हो सकते हैं, इसलिए मुहूर्त निवेश के दौरान बाज़ार की मनोदशा के आधार पर अधिक निवेश करना सही नहीं रहेगा।

निष्‍कर्ष

मुहूर्त निवेश आकर्षक होता है, क्योंकि यह दिवाली के दिन किया जाता है। मन में त्यौहार का उत्साह होने के कारण यह समय अनुभवी और नए, दोनों तरह के निवेशकों के लिए फलदायक हो सकता है। हालांकि, सफलता की कुंजी यह है कि निवेशक भावना के प्रवाह में नहीं बहें, क्योंकि मुहूर्त निवेश सामान्य कारोबार से अलग होता है। इसके साथ ही, दिवाली का आनंद सुरक्षित रखने के लिए निवेश की बुनियादी बातों पर नजर रखना और ज्यादा जोखिम वाली गतिविधियों से बचना ज़रूरी है।