उड़ीसा में मलेरिया के खिलाफ जंग की कहानी है दमन

ए एन शिब्ली

सोचिये आज़ादी के इतने साल बाद भी भारत में कुछ ऐसे गाँव हैं जहाँ सही से इलाज नहीं पहुँच रहा है। उस गाँव की हालत यह है कि यहाँ के लोग मलेरिया जैसी बीमारी से ग्रस्त हैं मगर उन्हें डाक्टर से अधिक तांन्त्रिक पर भरोसा है। गांव के लोग परेशान तो हैं मगर वह शहर से ऐसे कटे हुए हैं कि वहां तक कोई डाक्टर पहुँच ही नहीं पाता। ऐसे डाक्टर काफी परेशानी झेलते हुए ऐसे गांव में जाता है और एक तो वह लोगों के अन्धविश्वास को दूर करता है और फिर उसके बाद गांव वालों को मलेरिया से बचाने की तरकीबें भी निकलता है। डाक्टर के रूप में बाबुषाण मोहंती और फार्मासिस्ट के रूप में दिपन्वित दसमहोपात्र का रोल बहुत अच्छा है। फिल्म बहुत ज़्यादह मशहूर नहीं हुई है मगर यह बहुत ही अच्छी फिल्म बनी है जिसमें मलेरिया के खिलाफ एक डाक्टर की जंग को बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया गया है। ऐसी फिल्में भले ही कमर्शियल तौर पर बहुत सफल नहीं हों मगर ऐसी फिल्में ज़रूर देखनी चाहिए। यह फिल्म उड़ीसा के कुछ गांव की सच्ची घटना पर आधारित है जिसे परदे पर बहुत अच्छे से उतारा गया है।

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