निसंतानता की समस्या लगातार बढ़ रही है और अलग अलग उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याएं प्रचलित है जो महिला के गर्भधारण करने की क्षमता को सीमित कर देती हैं। अधिकांश महिला निसंतानता समस्याओं में लगभग 35% मामले गर्भाशय नली बंद होने के होते है। ऐसे में जानना जरूरी है कि गर्भाशय नली बंद होने से प्रजनन क्षमता कैसे प्रभावित होती है।
गर्भधारण से गर्भाशय नली का संबंध
गर्भाशय की नली महिला प्रजनन अंगों का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो अंडाशय और गर्भाशय से जुड़ते हैं। ओवुलेशन के दौरान गर्भाशय नली एक अंडाशय से एक अंडे को गर्भाशय में ले जाती है। गर्भाशय नली बंद होने का मतलब है कि अंडे और शुक्राणु के मिलने और निषेचन की प्रक्रिया पूरी होने में रुकावट होना है।
आशा आयुर्वेदा स्थिति डॉकटर चंचल शर्मा बताती है की महिला की दो गर्भाशय नलियां होती है, जिसमें एक नली बंद होने से महिला इलाज के जरिए दूसरी नली से मां बन सकती है। लेकिन अगर दोनों गर्भाशय नलियां बंद होती है, तो महिला प्रकृतिक रूप से गर्भधारण करने असक्षम होती है।
रूकावट के लक्षण और कारण क्या है?
गर्भाशय नली बंद होने पर महिलाओं में सामान्य लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, पीरियड्स में दर्द होना, संभोग के समय दर्द, वाजाइन से डिस्चार्ज देखने को मिलता हैं। डॉकटर चंचल शर्मा का कहना है कि गर्भाशय नली बंद होने का कोई सटीक कारण तो नहीं बताया जा सकता है। लेकिन आमतौर पर पेल्विक संक्रमण या किसी अन्य तरह के संक्रमण, गर्भशय में टीबी और एंडोमेट्रियोसिस को गर्भाशय नली होने का कारण मान सकते हैं।
बिना सर्जरी नली खोलने का तरीका
मां बनना हर महिला का सपना होता है और आयुर्वेद में उत्तरबस्ती पद्धति उन महिलाओं के लिए वरदान साबित होता हैं। आयुर्वेद में बिना किसी चीर-फाड़ के इस विधि से गर्भाशय की नली को ठीक किया जाता है। इलाज के दौरान आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां और तेल को गर्भाशय में डाला जाता है। आईवीएफ के मंहगे इलाज के मुकाबले आयुर्वेद इलाज कई गुणा सस्ता और प्रभावी है। और आयुर्वेद का 90 फ़ीसदी से भी ज्यादा सफलता दर है जो बेहद आश्चर्यजनक परिणाम है।