नयी दिल्ली। एमिटी लॉ स्कूल के लखनऊ कैंपस द्वारा गीता दर्शन का भारतीय संविधान में मूर्तन विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान केन्द्रीय विश्विद्यालय हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर एन. लक्ष्मी अय्यर और विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर दीपक प्रकाश त्यागी उपस्थित रहे थे। इस मौके पर एमिटी लॉ स्कूल के निदेशक प्रोफेसर जय प्रकाश यादव ने अतिथियों का स्वागत किया. संस्था के प्रति कुलपति प्रोफेसर सुनील धनेश्वर और अतिथियों ने संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन भी किया ।
इस सत्र के समापन पर संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अमरेन्द्र श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी के दूसरे दिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू केंद्र की डायरेक्टर और जामिया हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर इंदु विरेंद्रा ने दूसरे सत्र की अध्यक्षता की और गीता के मूल्यों पर अपने विचार व्यक्त किये। समानांतर चल रहे अंग्रेजी सत्र में प्रोफेसर प्रीति सक्सेना और प्रोफेसर अशद मालिक ने सत्र की अध्यक्षता की. संगोष्ठी के अंतिम दिन प्रोफेसर जय प्रकाश यादव ने सत्र की अध्यक्षता की और गीता दर्शन की प्रासंगिकता और भारतीय संविधान के मूल्यों पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के समापन सत्र में धर्म शास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर बलराज चौहान मुख्य अतिथि के रूप में अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया। संगोष्ठी में ट्रिनिडाड से पंडित ज्ञान देव और विंग कमांडर प्रोफेसर अनिल तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस संगोष्ठी में कुल 30 प्रपत्रों का वाचन ऑनलाइन और ऑफ लाइन में किया।
संगोष्ठी का संयोजन डॉ. अमरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने किया । इस अवसर पर डॉ. रेश्मा ,डॉ. अरविन्द सिंह ,डॉ. तपन चंदोला ,डॉ. अर्पिता कपूर ,डॉ. अक्षिता श्रीवास्तव व अन्य संकाय के सदस्य उपस्थित रहे ।