नई दिल्ली। ‘‘इस संसार में हर दौर में ईश्वर की ओर से पैग़म्बर और नबी आते रहे हैं और यही पैग़ाम लाए कि इस संसार में शान्ति स्थापित की जाए।’’ ये बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने ‘‘मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’’ विषय पर आयोजित एक विशाल सर्वधर्म सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कुरआन केवल मुसलमानों की ही पुस्तक नहीं है, ये समस्त मानजाति के मार्गदर्शन की किताब है। सारी मानव एक कुटुम्ब के समान हैं। नफरत और हिंसा का मूल कारण वास्तविक धर्मा नहीं है। तमाम मज़हब की शिक्षा नफ़नरत, ज़ुल्म और हिंसा के विरुद्ध है। कुछ लोग और समूह अपने को दूसरों से बड़ा और दूसरों को नीच समझते हैं और राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का ग़लत इस्तेमाल करते हैं और यही समाज में नफरत और हिंसा का मूल कारण है।
‘जय कल्याण श्री’ (अलीगढ संस्करण) के संपादक डॉक्टर राजीव प्रचण्डिया ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि ये ‘‘मज़हब नहीं सिखात आपस में बैर रखना’’ मात्र एक नारा या युक्ति नहीं अपितु ये एक विचार है, कोई धर्म ऐसा नहीं जो ये कहता हो कि झगड़ा करो या बैर रखो। गुरूद्वारा मसूदाबाद के ज्ञानी प्रभजोत सिंह जी ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरू नानक जी ने कहा है कि ‘‘ऊँची ज़ात उसकी है जिसके कारनामें ऊँचे हों। न हम हिन्दू हैं न मुस्लिम। हमें उस प्रभु ने अपने नूर से बनाया है। और हम सब एक हैं और इन्सान हैं।’’
राष्ट्रीय संगठन ‘दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इण्डिया’ के श्री जय सिंह सुमन बौद्ध ने कहा कि गौतम बुद्ध ने सदा समानता और मोहब्बत की बात की। श्री सुमन ने आगे कहा कि बौद्ध धर्म छुआ-छूत को समाप्त करने का प्रयास किया।
‘हरे कृष्ण भक्ति केन्द्र’ के श्री दीपक शर्मा जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गीता में कहा है कि जितने भी मनुस्य हैं वो सब ईश्वर की संतान हैं। आपने आगे कहा कि जो धर्म अनुसार चले वो देव है, और जो धर्म के विपरीत चले वो असूर है। चर्च ऑफ दी एसेन्शन अलीगढ़ के रिवरेंड लारेंस दास जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अगर हमारे अंदर प्रेम, शान्ति, नम्रता हो तो हमें आपस में बैर ही नहीं रहेगा।
जमाअत इस्लामी हिन्द उत्तर प्रदेश, पश्चिम के प्रदेश अध्यक्ष जनाब अहमद अज़ीज़ खान ने सम्मेलन के समापन भाषण में कहा कि समस्त धर्मगुरुओं ने अपने विचार में यही का कि प्रेम, और इन्सानियत ही असल जीवन का कारक है। कार्यक्रम के अंत में विभिन्न धर्म के धर्मगुरुओं को उपहार स्वरूप इस्लामिक पुस्तक दी गयी। सम्मेलन का आरम्भ पवित्र कुरआन के पाठ से हुआ। कार्यक्रम का परिचय जनाब जुनैद सिद्दीकी ने कराया।