Friday, March 22, 2024

प्रदूषण रोकने के आयुर्वेदिक उपाय

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आज हर कोई इस प्रदूषण से परेशान है । यह केवल भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुई है। दिनोदिन बढ़ता प्रदूषण पर्यावरण के साथ हमारे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। इस प्रदूषण के कारण लोग नपुंसकता का शिकार हो रहे है और महिलाओं में सबसे ज्यादा इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। आज दिल्ली सहित देश के अन्य शहरो का यह हाल है कि हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। ऐसे में लोग सांस एवं हृदय से सबंधिक बीमारियों का शिकार सबसे ज्यादा हो रहे है।

जानें प्रदूषण से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है?
जब हम दूषित हवा में अधिक देर तक सांस लेते है तो हमारे फेफड़ो को बहुत ज्यादा परेशानी होती है। क्योंकि हवा में घूले प्रदूषण के कण एवं हानिकारण केमिलक सांस के द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते है। और बूरी तरह से हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य का प्रभावित करते है। आंखों में जलन होती है और नाक में पपड़ी जम जाने के कारण सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होने लगती है। त्वचा में जलन, गले मेें खरास, नाक बंद हो जाना, बालों का असमय झड़ना ये सब बढ़ते प्रदूषण के कारण ही हो रहा है।
प्रदूषण से बचने के आयुर्वेदिक उपाय –
आयुर्वेद में घी को सर्वश्रेष्ठ औषधि का दर्जा प्राप्त है। यदि आपको गले के ऊफर की कोई भी बीमारी फिर समस्याया है। जैसे नाक की बीमारी, गले की बीमारी , दांत , आंख , कान, मस्तिष्क इत्यादि से संबंधित कोई परेशानी है । तो इन सब में आयुर्वेदिक तरीके से घी का प्रयोग करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

आयुर्वेद की पंचकर्म पद्धति नस्य के अनुसार प्रतिदिन गाय का शुद्ध देशी घी नाक में दो बूंद डालना चाहिए।
शाम के समय घर में कपूर जलाना चाहिए।
इनडोर प्लांट के अंतर्गत आने वाले पौधे में आप तुलसी का पौधा जरुर लगाएं।
नीम की पत्तियों के पानी से नहाएं। ऐसा करने से आपके शरीर में जमे प्रदूषण के कण समाप्त हो जायेंगे।
आयुर्वेदिक काढ़े या फिर हर्बल ग्रीन टी पीना शुरु करें।
यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से बातचीत के दौरान प्राप्त हुई है।

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