युवा आबादी को डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा है

नयी दिल्ली। इस साल वर्ल्ड डायबिटीज डे की थीम “डायबिटीज के रोगियों को बेहतर देखभाल तक पहुंच दिलाना” है। इसका लक्ष्य जनस्वास्थ्य की प्रमुख चिंता के रूप में डायबिटीज को समझना है। इसके साथ ही व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर डायबिटीज पर लगाम और रोगियों की बेहतर देखभाल के लिए जरूरी कदम उठाना भी इसका मकसद है। इस थीम के साथ तालमेल रखते हुए डायबिटीज के बढ़ते बोझ के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रिवेंटिव हेल्‍थकेयर के क्षेत्र में अग्रणी इंडस हेल्थ प्लस ने स्वास्थ्य की जांच के आधार पर ब्लड शुगर लेवल से जुड़े ट्रेंड्स का अवलोकन किया है।
इस स्टडी में अप्रैल 2021 से मार्च 2023 में किए गए हेल्थ चेक अप का परीक्षण किया गया। इससे यह सामने आया कि 40 साल से कम उम्र के 26 फीसदी लोग डायबिटीज के मामले में बॉर्डर लाइन पर हैं या उनका ब्‍लड शुगर लेवल प्री डायबिटिक रेंज में पहुंच चुका हैं, जो 100 से 125 mg/dl के स्तर का संकेत देता है।
इंडस हेल्थ प्लस में ज्‍वाइंट मैनेजिंग डायरेक्‍टर और प्रिवेंटिव हेल्थ केयर स्पेशलिस्ट श्री अमोल नायकावाड़ी ने हेल्थ चेकअप के आंकड़ों पर अपनी बात रखते हुए कहा, “भारत को डायबिटीज का ग्लोबल सेंटर माना जाता है। इससे निपटने के लिए इंडस हेल्थ प्लस जागरूरकता कार्यक्रम चलाने में हमेशा सबसे आगे रहा है। इन कार्यक्रमों में डायबिटीज की जल्दी जांच कराने और इसका जल्द से जल्द इलाज शुरू करने पर खास जोर दिया जाता है। निष्क्रिय जीवन शैली डायबिटीज के खतरे को और बढ़ाती है। यह व्यक्तियों के लाइफस्टाइल से जुड़ी शर्त है। जो व्यक्ति डायबिटीज के रोग से जूझ रहे हैं, वह प्रतिरोधात्मक कदम, जैसे स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर, खान-पान और जीवनशैली में बदलाव कर इस स्थिति को उलट सकते हैं।
जिन लोगों में डायबिटीज का ज्यादा खतरा है, उनमें वह व्यक्ति शामिल हैं, जिनके शरीर का वजन ज्यादा है, जिनके परिवार में लोगों को डायबिटीज होने का इतिहास रहा है या जो सुस्‍त जीवन बिता रहे हैं। उन्हें नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच कराने के महत्व पर परामर्श लेना चाहिए। गलत जीवनशैली के कारण होने वाले डायबिटीज को रोकने के लिए उन्हें इससे बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा आबादी में डायबिटीज के उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान के लिए जेनेटिक टेस्टिंग जरूरी है।”
इंडस प्लस के आंकड़ों के अनुसार, 40 से कम उम्र के 26 फीसदी लोगों में फास्टिंग ब्लड शुगर का लेवल बॉर्डरलाइन पर पाया गया। इसका कारण जरूरत से ज्यादा तनाव लेना, खान-पान की गलत आदतें, कसरत न करना और सोने का कोई निश्चित समय न होना और असामान्य नींद है।

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