हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट एवं साइलेंट हार्ट अटैक के विषय में जानकारी

डॉ अभिषेक सिंह, सलाहकार – कार्डियोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, गाजियाबाद

हृदय रोग (सीवीडी) विश्व स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और भारत में सीवीडी के कारण मृत्यु दर लगातार बढ़ रही है। यह बीमारी हर तरह के आयु वर्ग के लोगों में हो रही है, और हाल के वर्षों में, वयस्कों में हृदय रोग काफी बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में विशेष रूप से युवा आबादी में विश्व स्तर पर सीवीडी से होने वाली मृत्यु का पांचवा हिस्सा है। कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एक विशेष प्रकार का ह्रदय रोग है जिसमें हृदय की रक्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं, जिसके घातक परिणाम हो सकते हैं। सीवीडी के सबसे सामान्य कारणों में से एक, रक्त कौशिकाओं के अंदर वसा का जमाव है, जिसके कारण ब्लड क्लोटिंग का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, दिल को किसी भी तरह से नुकसान होने से दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचता है और पूरे शरीर की कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है। कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के अंतर्गत मुख्यतः दिल का दौरा, कार्डियक अरेस्ट और साइलेंट हार्ट अटैक शामिल हैं।

हार्ट अटैक के विषय में जानकारी

दिल का दौरा भारत में सबसे प्रचलित कार्डियोवैस्कुलर डिजीज में से एक है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की ओर बहने वाला रक्त अचानक रुक जाता है, जिससे हृदय को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है। यह एक प्रगतिशील बीमारी है जो जल्दी इलाज न होने पर यह घातक हो सकता है। दिल के दौरे के कई कारण हैं, जिनमें सबसे आम हैं, धूम्रपान, मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल।

कार्डिएक अरेस्ट के विषय में जानकारी

कार्डिएक अरेस्ट में हृदय की कार्यप्रणाली, श्वास और चेतना को अचानक नुकसान पहुंचता है जिसके कारण हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है। जीवनशैली और खान-पान में बदलाव के कारण युवा लोगों में कार्डियक अरेस्ट की दर काफी बढ़ रही है।

साइलेंट हार्ट अटैक के विषय में जानकारी

साइलेंट मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एसएमआई), जिसे आमतौर पर साइलेंट हार्ट अटैक के रूप में जाना जाता है, हृदय की रक्तसंचार में रुकावट है जिससे मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है। जैसा कि नाम से पता चलता है, साइलेंट हार्ट अटैक बहुत ही हल्के लक्षण दिखाता है और लोग अक्सर इसे छाती में हल्की सी तकलीफ समझ लेते हैं। हालांकि, इसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
लक्षण

दिल का दौरा: छाती में दर्द, असहजता, सांस लेने में कठिनाई, मतली, गर्दन, हाथ, पीठ और कंधे में दर्द

कार्डिएक अरेस्ट: छाती में दर्द, दिल की घबराहट (हार्ट पल्पिटेशंस), दिल की अनियमित धड़कन, सांस नहीं आना, मतली, बेहोशी

साइलेंट हार्ट अटैक: सीने में बेचैनी, ठंडा पसीना, सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, जी-मिचलाना और उल्टी, थकान

निवारण

हृदय की बीमारी के जोखिम से बचना असंभव है, लेकिन जीवनशैली और खान-पान में बदलाव से निश्चित रूप से जोखिम कम हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में, सेडेंटरी लाइफ़स्टाइल और शारीरिक व्यायाम की कमी के कारण ये स्थितियाँ बदतर हो जाती हैं। अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ सरल युक्तियों को शामिल करके, इन घातक हृदय रोगों के जोखिम को कम करना संभव है। इसमें शामिल हैं:
एक अच्छे ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए, स्वस्थ भोजन विकल्पों को दैनिक दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता है। अपने आहार में तैलीय, मीठा, उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन से परहेज करना और पौष्टिक अनाज, हरी सब्जियां और ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना एक अच्छी शुरुआत होगी।
रोजाना कम से कम 30 मिनट के लिए व्यायाम करने से वेसल्स में ‘प्लाक’ विकसित होने का खतरा कम हो सकता है जो रक्त प्रवाह को कम करता है।
मोटापा ‘सडन कार्डियक अरेस्ट’ के जोखिम को भी ट्रिगर कर सकता है। इसलिए एक स्वस्थ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का प्रबंधन महत्वपूर्ण है।
स्ट्रेस को कम करने और पर्याप्त नींद लेने से दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। स्ट्रेस अक्सर उच्च रक्तचाप की स्थिति बनाता है और शरीर के अंदर स्ट्रेस हार्मोन का लेवल हाई हो जाता है।
उच्च रक्तचाप और मधुमेह हृदय रोगों का सबसे आम कारण है। इसलिए रक्तचाप की नियमित जांच करते रहना चाहिए। हर कीमत पर धूम्रपान और शराब पीने से बचें क्योंकि इससे आपके हृदय की मांसपेशियों को नुक्सान पहुँच सकता है और रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है।

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