Tuesday, December 24, 2024
Home Blog Page 45

दिल्ली में पिछले 24 घंटे में मिले कोरोना के 10665 नए मामले

0

नयी दिल्ली। दिल्ली में कोरोनावायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। इन सब के बीच आज दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 10665 लोग संक्रमित पाए गए हैं। इन सबके बीच बड़ी खबर यह भी है कि पिछले 24 घंटों में यहां 8 लोगों की मौत हो गई है और संक्रमण दर बढ़कर 11.88 हो गई है। आपको बता दें कि कल दिल्ली में 5500 के आसपास मामले आए थे लेकिन आज दिल्ली में कोरोनावायरस के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। वर्तमान में दिल्ली में 23307 सक्रिय मामले हैं। पिछले 24 घंटे में 2239 लोग ठीक हुए हैं।

इससे पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दावा किया था कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की तीसरी लहर आ गई है। मंत्री ने यह भी कहा कि अब सभी संक्रमितों के नमूनों का जीनोम अनुक्रमण मुमकिन नहीं है, केवल 300 से 400 नमूनों का ही जीनोम अनुक्रमण किया जा रहा है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि दिल्ली में करीब 15,000 मरीज उपचाराधीन हैं, जिनमें से 14 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। पिछली बार जब शहर में इतने ही सक्रिय मामले थे, तब 20 गुना अधिक मरीज वेंटिलेटर पर थे।

दिल्ली में मेट्रो और बसें पूरी कैपेसिटी से चलेंगी

0

नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से अब पूरे देश में नयी नयी पाबंदियां लगायी जा रही हैं। इसी बीच दिल्ली वालों के लिए एक राहत वाली खबर यह है कि दिल्ली मेट्रो और बसें अब पूरी क्षमता के साथ चलेंगी। DDMA ने दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू लगाने के साथ ही कुछ बड़े फैसले लिए हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दिल्ली में बस स्टैंड और मेट्रो स्टेशनों के बाहर भारी भीड़ हो रही थी। ऐसे में अब बसें और मेट्रो पूरी कैपेसिटी से चलेंगी। हालांकि मास्क लगाना अनिवार्य होगा।
ज्ञात रहे कि दिल्ली में ओमीक्रोन का ग्राफ बढ़ रहा है लेकिन इससे ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा है। दिल्ली में इस समय कुल 11000 पॉजिटिव केस हैं और हॉस्पिटल में 350 मरीज हैं। इसमें से ऑक्सीजन पर केवल 124 और वेंटिलेटर पर केवल 7 लोग हैं। उन्होंने कहा कि लोग जल्दी ठीक हो रहे हैं लेकिन खतरा तो है ही। होम आइसोलेशन जरूरी है। बढ़ते केस को देखते हुए कंट्रोल जरूरी है। इसीलिए डीडीएमए ने दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है।
सिसोदिया के अनुसार दिल्ली में अब शनिवार और रविवार को कर्फ्यू रहेगा। सिसोदिया ने बताया कि सरकारी दफ्तरों में जरूरी सेवाओं को छोड़कर सबको दफ्तर आने से रोका जाएगा, केवल वर्क फ्रॉम होम कराया जाएगा। प्राइवेट ऑफिस के लिए 50 परसेंट कैप होगी। वे 50 फीसदी ऑनलाइन और 50 प्रतिशत ऑफलाइन की व्यवस्था कर सकते हैं। उन्होंने साफ कहा कि जरूरी सेवाओं जैसे सब्जी वालों को रोका नहीं जाएगा।

आदिवासी चित्रकारी में बसा है भूरी बाई का रचना संसार

0

रूबी सरकार, भोपाल, मप्र

भारतीय भील कलाकार भूरी बाई को वर्ष 2021 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया. भील जनजाति की संस्कृति को दीवारों और कैनवास पर उकेरने वाली मध्यप्रदेश की भूरी बाई को जब महामहिम राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया, तो उनके चेहरे की चमक देखते ही बनती थी. दरअसल आदिवासी कलाकारों ने दुनिया के जितने भी चित्र खींचे, वे उनके अनुभव, उनकी स्मृति, और कल्पना में उपजे थे और उन्हें देखने वाली आंखों से भी यही सब कुछ अभीष्ट था और है.

शिखर सम्मान, अहिल्याबाई सम्मान, दुर्गावती सम्मान जैसी अनेक राजकीय और राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित भूरीबाई जब-जब सम्मानित हुई, तो वह अपने मार्गदर्शक मूर्धन्य कलाकार और कला पारखी जगदीश स्वामीनाथन को याद करना नहीं भूली क्योंकि भूरी उन्हीं की खोज है. वह तो मेहनत-मजदूरी करने अपने गृह नगर पिटोल गांव, झाबुआ से भोपाल आई थीं. भारत भवन के निर्माण के समय भूरी की कला प्रतिभा को स्वामीनाथन ने ही पहचाना तथा चित्र बनाने के लिए उन्हें लगातार प्रेरित भी किया. आर्थिक चिंता से मुक्त होकर भूरी बाई चित्र रचना कर सकें, इसके लिए स्वामीनाथन ने उन्हें अपेक्षित आर्थिक मदद भी की. रचनाशीलता के लिए वातावरण विकसित करने में स्वामीनाथन का योगदान सबके लिए अविस्मरणीय है और भूरी बाई की कला यात्रा में उनकी भूमि का प्रणम्य है. फरवरी 2016 में भारत भवन की 34वीं वर्षगांठ पर भूरी बाई के चित्रों की एक वृहद प्रदर्शनी लगायी गयी थी, प्रदर्शनी में शामिल कलाकृतियां भूरी बाई की भारत भवन के परिप्रेक्ष्य में स्मृति आधारित कलाकृतियां को शामिल किया गया था.

गांव मोटी बावड़ी, जिला झाबुआ के एक मिट्टी की दीवार और सागौन के पत्तों से छवाए गए छप्पर वाले घर में भूरी बाई ने जन्म लिया. किसी को नहीं पता कि उसके जन्म का वर्ष कौन सा था? कौन सा महीना और कौन सी तारीख थी? खैर भूरी बाई को जन्म की तारीख, महीना, साल आदि भले ही न मालूम हो, लेकिन इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है, बस उसके जन्म का मकसद क्या है? इसे उसकी किस्मत ने बड़े साफ-साफ शब्दों में लिख दिया था. छोटी-सी भूरी घर के आंगन में भाई-बहनों के साथ खेलते हुए जब थोड़ी बड़ी हुई, तो मां के साथ खेत पर खाना लेकर जाने लगी. भूरी बताती हैं कि माता-पिता के पास खेती बहुत कम थी, जिससे घर का गुजारा मुश्किल से हो पाता था. जल्दी ही वह और उनकी बड़ी बहन जमींदार के खेत पर निदाई करने जाने लगीं. दिन भर काम करने के बाद शाम को एक रुपया मिलता था. लेकिन जमीदार के खेतों में हमेशा काम नहीं मिलता था. ज्यादातर समय दोनों बहनें पीपल के पत्तों का या सूखी, जंगल से इकट्ठा की गई टहनियों का गट्ठर ले दाहोद जाती और वहां उन्हें दो रुपए किलों के मोल से बेचती थीं.

गांव से कोई चार-पांच किमी की दूरी पर अणास रेलवे स्टेशन से दोनों बहनें सुबह 11 बजे साबरमती एक्सप्रेस पकड़ कर दाहोद पहुंचती और शाम फिर दाहोद से यही ट्रेन पकड़ कर अणास लौटती. दोनों बहनें कड़ी मेहनत करतीं, तब जाकर घर का खर्च चलता था. बाकी सारे भाई-बहन छोटे थे और पिता कुशल मिस्त्री थे, फिर भी दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाते थे. पिटोल में दाहोद के एक सेठ की दुकान थी, जहां भूरी के पिता की उधारी चलती थी. ऐसी उधारी जो कभी पट नहीं पाती थी. सेठ के छोटे भाई का घर दाहोद में बनना था और उधारी पटाने की गरज से पिता के कहने पर दोनों बहने इस घर के निर्माण का काम करने दाहोद जाने को राजी हो गईं. यही से भूरी बाई का निर्माण कार्यों में भाग लेना शुरू हुआ और फिर दोनों बहनें अपने चाचा के साथ मजदूरी करने भोपाल आ गईं. उस समय उनकी उम्र करीब 14 साल थी. इस बीच भूरी बाई की शादी भी हो गई. चित्रकारी के शुरुआती चरण को याद करते हुए भूरी बाई बताती हैं कि वह अपनी बहन, ननद और गांव के अन्य लोगों के साथ भारत भवन के निर्माण के समय मजदूरी कर ही रही थी, कि एक दिन मूर्धन्य चित्रकार स्वामीनाथन की नजर इन लोगों पर पड़ी और उन्होंने पूछा, कि तुम लोग किस समाज से हो? क्या तुम अपने समाज की रीति-रिवाज चित्र के जरिये हमें बता सकते हो? 

चूंकि भील समुदाय घर की दीवारों पर चित्र बनाया करते थे, लिहाजा सभी ने उसी तरह के चित्र भारत भवन के पास मंदिर के चबूतरे पर बनाए और हर दिन इन चित्रों के 10 रुपए नगद मिलने लगे. स्वामी जी को भूरी के चित्र बहुत पसंदआये और उन्होंने भूरी के साथ-साथ अन्य भील चित्रकारों को अपने घर बुलाया. 10 चित्र बनाने के बाद इन लोगों को प्रति चित्र 1500 रुपए मिले. भूरी को विश्वास ही नहीं हुआ, कि आराम से बैठकर चित्र बनाने के लिए कोई उन्हें इतने रुपए देगा. इस तरह भूरी आगे बढ़ती गई. एक दिन उसे पता चला, कि उसे राज्य सरकार का शिखर सम्मान मिला है. जिसके बाद भूरी बाई को सभी पहचानने लगे और समाज में भी उनकी इज्जत बढ़ गई. देश में कई जगहों से चित्र बनाने के लिए बुलावे आने लगे.भूरी बाई अपनी चित्रकारी में तैलीय (आयल पेंटिंग) का प्रयोग करती हैं. उनकी पेंटिंग में भील समुदाय का सुनहरा इतिहास झलकता है. चूंकि इस समुदाय के लोग पढ़ना लिखना नहीं जानते थे, लिहाज़ा वह इन्हीं चित्रों के माध्यम से अपने इतिहास और भावनाओं को उकेरते हैं. 

अब तक भूरी के 6 बच्चे हो चुके थे. इस बीच वह बीमार पड़ी, उसके बचने की उम्मीद नहीं थी. तब वह आदिवासी लोक कला परिषद के तत्कालीन निदेशक कपिल तिवारी से मिलीं और अपनी तकलीफ बताई. तिवारी जी न केवल भूरी के इलाज का बंदोबस्त किया, बल्कि बतौर आदिवासी कलाकार उसे नौकरी भी दी. इसके बाद से तो भूरी के काम के चर्चे पूरी दुनिया में होने लगे. शिखर सम्मान के बाद वर्ष 2010 में उसे राष्ट्रीय दुर्गावती सम्मान से नवाजा गया. भूरी कहती है कि बचपन से ही आसमान में हवाई जहाज को उड़ता देख उन्हें उसमें बैठने का मन करता था. आखिरकार उनकी यह इच्छा भी पूरी हो गई. आज भूरी बाई अपने बच्चों के साथ रहती है. पति का स्वर्गवास हो चुका है.

आज भूरी बाई आदिवासी कलाकारों की प्रेरणा स्रोत हैं. राजधानी भोपाल में सैंकड़ों आदिवासी कलाकार छोटे-छोटे गांव से आकर यहां अपनी पेंटिंग्स के जौहर दिखा रहे हैं, इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं. जिन्हें सम्मान और पैसा दोनों मिल रहा है. आज वह आत्मनिर्भर हो गई हैं. भूरी बाई बताती हैं कि बचपन से त्यौहार या शादी-ब्याह के मौके पर वह घर की दीवार पर मुट्ठी को सफेद मिट्टी में डूबा कर ठप्पे बनाती थीं, जिन्हें सरकला कहते हैं. इसके साथ-साथ वह पेड़-पौधे और जानवरों के चित्र भी बनाती थीं. उनका कहना है कि इस प्रकार वह धरती से पैदा होने वाले अनाज और पेड़-पौधों के प्रति एक आभार का भाव महसूस करती हैं. चित्रों में यह बनाना एक तरह से उन्हें बचपन में माता-पिता द्वारा नए अन्न की पूजा करने जैसा लगता है. भूरी काम करते हुए आज भी जगदीश स्वामीनाथन के आर्शीवाद को सतत महसूस करती है और उन्हीं से काम की प्रेरणा पाती हैं. (चरखा फीचर)

मैं 2022 के लिए बहुत उत्साहित हूं : कार्तिक आर्यन

0

मुंबई। कार्तिक आर्यन ने धमाका के साथ अपने ओटीटी डेब्यू से सभी को इम्प्रेस कर दिया है जहां उन्होंने अर्जुन पाठक के रूप में अपना एक नया अवतार पेश किया है। युवा सुपरस्टार अपनी अगली बड़ी फिल्मों के साथ कार्तिक 2.0 के रूप में स्ट्रीक जारी रखने के लिए पूरी तरह तैयार है।

अपनी फिल्मों के लाइनअप के बारे में बात करते हुए, कार्तिक ने एक हैप्पी नोट पर 2022 में एंट्री ली है। वह कहते हैं,”मैं सच में आभारी महसूस कर रहा हूं जिस तरह से काम के मामले में 2021 खत्म हुआ है और आगामी सभी अलग-अलग फिल्मों के साथ, मैं 2022 के लिए बहुत उत्साहित हूं।”

वह आगे कहते हैं, “जिस तरह से दर्शकों ने मुझे धमाका में अर्जुन पाठक के रूप में स्वीकार किया, वह उस वेलिडेशन की तरह है जिसकी मुझे आवश्यकता थी क्योंकि मेरी अगली फिल्मों के जरिये मैं विभिन्न जॉनर में एक्सपेरिमेंट कर रहा हूँ जिन्हें मैंने पहले कभी नहीं किया है। इसलिए प्रशंसकों का प्यार उन सीमाओं को आगे बढ़ाते रहने के लिए मेरी प्रेरणा है।”धमाका स्टार ‘फ्रेडी’, ‘कैप्टन इंडिया’, ‘भूल भुलैया 2’, ‘शहजादा’ और साजिद नाडियाडवाला की अगली फिल्म सहित कई बिग टिकट फिल्मों में दिखाई देंगे।

नो वैक्सीन, नो कैंपस एंट्री : जामिया वीसी का कर्मचारियों को निर्देश

0

नयी दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने कैंपस में कोविड-19 और ओमाइक्रोन मामलों के प्रसार की रोकथाम के लिए यह निर्देश दिया है कि केवल उन्हीं कर्मचारियों को उनके संबंधित विभागों/ कार्यालयों में प्रवेश दिया जाए जिन्होंने ‘किसी भी उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक’ ले ली हो। यह निर्णय दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार लिया गया है।
जिन कर्मचारियों ने वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली है, उन्हें अपने संबंधित कार्यालयों में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उनके खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। ऐसे कर्मचारियों की ड्यूटी से अनुपस्थिति की अवधि को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक लेने तक ‘ऑन लीव’ माना जाएगा।
कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज़/पूर्ण टीकाकरण की पुष्टि संबंधित विभाग/कार्यालय प्रमुख द्वारा; संबंधित कर्मचारी द्वारा प्रस्तुत किए गए आरोग्य सेतु एप्लिकेशन/टीकाकरण प्रमाण पत्र के माध्यम की जाएगी।
इससे पहले, कुलपति ने विश्वविद्यालय के सभी छात्रों और कर्मचारियों को राष्ट्रीय राजधानी में कोविड -19 और ओमाइक्रोन मामलों में वृद्धि को देखते हुए कोविड के उचित व्यवहार का सख्ती से पालन करने की अपील की थी। विश्वविद्यालय में आने वाले लोगों को बिना शारीरिक संपर्क के अभिवादन करने, शारीरिक दूरी बनाए रखने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने का निर्देश दिया गया था।

जामिया मिल्लिया समेत 6,000 संस्थानों का FCRA रजिस्ट्रेशन खत्म

0

नयी दिल्ली। दिल्ली आईआईटी, जामिया मिलिया समेत देशभर के 6 हजार संस्थानों और संगठनों के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन की मियाद खत्म हो गई है। विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (FCRA) रजिस्ट्रेशन विदेशों से फंडिंग के लिए जरूरी होता है। अधिकारियों ने बताया कि एफसीआरए रजिस्ट्रेशन शनिवार को समाप्त हो गया, उनकी लिस्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय भी शामिल हैं।

अधिकारियों ने कहा कि इन संस्थानों ने या तो अपने एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया या केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके आवेदनों को खारिज कर दिया। विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) से संबंधित आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, जिन संगठनों और संस्थानों का एफसीआरए के तहत पंजीकरण समाप्त हो गया है या वैधता समाप्त हो गई है, उनमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल फाउंडेशन, लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वुमन, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और ऑक्सफैम इंडिया शामिल हैं।

एफसीआरए के तहत पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और इसके सहयोगियों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अधिनियम के तहत पंजीकरण शनिवार (1 जनवरी) को समाप्त माना गया है। शुक्रवार तक 22,762 एफसीआरए-पंजीकृत एनजीओ थे। शनिवार को, यह घटकर 16,829 हो गए क्योंकि 5,933 एनजीओ ने कामकाज बंद कर दिया।

जिन संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण समाप्त हो गया है, उनमें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई), इमैनुएल हॉस्पिटल एसोसिएशन, जो पूरे भारत में एक दर्जन से अधिक अस्पताल चलाता है, ट्यूबरकोलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, विश्व धर्मायतन, महर्षि आयुर्वेद प्रतिष्ठान, नेशनल फेडरेशन ऑफ फिशरमेन कोऑपरेटिव्स लिमिटेड शामिल हैं।

हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी, दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क सोसाइटी, भारतीय संस्कृति परिषद, डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, गोदरेज मेमोरियल ट्रस्ट, दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी, जेएनयू में न्यूक्लियर साइंस सेंटर, इंडिया हैबिटेट सेंटर, लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वुमन, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच भी इन संस्थानों या संगठनों में शामिल हैं।

कोरोना के खतरे से फिर बढ़ेगा रोज़गार का संकट

0

बीना बिष्ट, हल्द्वानी, नैनीताल, उत्तराखंड

देश में कोरोना के नए रूप ओमीक्रोन के बढ़ते आंकड़ों ने फिर से सभी के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. इस नए स्वरूप के खतरे को रोकने के लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारों ने एहतियाती कदम उठाना शुरू कर दिया है. एक जगह इकट्ठा होकर नए साल के जश्न मनाने पर पाबंदी लगा दी गई है, वहीं शादी-ब्याह और अन्य समारोह पर भी लोगों की संख्या को सीमित कर दिया गया है. कुछ राज्यों ने नाईट कर्फ्यू भी लगाना शुरू कर दिया है. दरअसल दूसरी लहर की त्रासदी ने सभी को एक सबक सिखाया है, जिसके बाद से कोई भी सरकार खतरा मोल नहीं लेना चाहती है. हालांकि अफसोसनाक पहलू यह है कि सरकार के तमाम प्रयासों पर स्वयं जनता ही पानी फेरने पर आमादा नज़र आ रही है. 

ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं अधिक देश के महानगरों के बाज़ारों में बढ़ती भीड़ एकबार फिर से महामारी को आमंत्रण दे रही है. लोग सरकार की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाकर सड़कों और बाज़ारों में उमड़ रहे हैं. दरअसल पिछली दो लहरों के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है. इसका सबसे बुरा प्रभाव रोज़गार पर पड़ा है. हज़ारों लोगों की नौकरियां जा चुकी है. सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में देखने को देखने को मिला. जहां दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में कमाने गए राज्य के लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ चुकी हैं. यही कारण है कि एक बार फिर से बढ़ते आंकड़ों ने लोगों के सामने रोज़गार का संकट खड़ा कर दिया है.

वर्ष 2020 में जब से विश्व ने कोरोना काल में प्रवेश किया तो हर किसी ने कुछ न कुछ खोया है. हर चेहरे पर उदासी, आंसू और मौत का एक खौफ देखने को मिला है. इस दौर में सबसे अधिक नुकसान पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को उठाना पड़ा है. जिन्हें अपने लोगों को खोने के साथ साथ आर्थिक रूप से भी भारी क्षति उठानी पड़ी थी. बेहतर भविष्य और पैसे कमाने की खातिर राज्य से पलायन कर चुके लोगों को कोरोना ने पुनः उन्हें गांव की ओर लौटने के लिए मजबूर कर दिया था. जो उस समय जान हानि की दृष्टि से बहुत उचित प्रतीत था, परन्तु इस प्रवास से जहां राज्य में कोरोना मामलों में इतनी बढ़ोतरी हुई कि मौत के आंकड़े ने हजार की संख्या को पार कर लिया वहीं प्रवासियों के आजीविका का खतरा भी बहुत अधिक बढ़ गया. हालांकि प्रवासियों ने वापस आकर समय के साथ समझौता कर कृषि को अपनी आजीविका का साधन बनाया. 

धीरे धीरे पर्वतीय समुदाय के लोगों का जीवन मुख्यधारा की ओर लौटने भी लगा था कि अक्टूबर माह में आई प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर से इस क्षेत्र को आर्थिक रूप से ज़बरदस्त नुकसान पहुंचाया और तक़रीबन 4-5 वर्ष पीछे धकेल दिया और अब फिर से कोरोना के बढ़ते मामलों ने स्थानीय निवासियों की चिन्ता को बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के भय से लोगों पुनः परेशान होने लगे हैं. लोगों की आशंका है कि यदि एक बार फिर से लॉकडाउन लगता है तो राज्य को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ेगा. लोगों के पास आजीविका और रोजगार का संकट भयानक रूप ले लेगा और कही ऐसी स्थिति न हो जाए कि भुखमरी से मौत का ग्राफ कोरोना से कहीं अधिक विकराल रूप धारण कर ले.

इस संबंध में अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए नैनीताल की रहने वाली धना देवी बताती हैं कि वह मोजे, ग्लब्ज और टोपी बुनकर इन्हें शाम को स्थानीय मालरोड़ फड़ में बेचकर रु.200 प्रतिदिन कमा लेती हैं. जिससे इनके परिवार का गुज़ारा चलता है. लेकिन पुनः लॉकडाउन लगता है तो उनकी कमर ही टूट जाएगी. वह बताती हैं कि इससे पूर्व के लॉकडाउन ने भी उनके परिवार को झकझोर दिया था. इसी फड़ से परिवार का लालन पालन का कार्य चलता है. परिवार में अन्य सदस्य बहुत ही कम पैसों पर प्राइवेट नौकरी करने पर मजबूर हैं. वह कहती है यदि यही बंद हो जायेगा तो वह अपने परिवार का लालन पालन कैसे करेगी? कोरोना के नियमों के पालन पर जोर देते हुए उन्होने सरकार व सभी लोगों से अपील की कि यदि हम सभी कोरोना गाइडलाइन का पालन का दैनिक कार्यों को करें तो लॉक डाउन की समस्या का हल आसानी से निकाला जा सकता है. धना देवी कहती हैं कि वह स्वयं रोज़गार के साथ साथ अन्य लोगों को भी मास्क और सेनेटाइजर के लिए जागरूक करती रहती हैं. 

इस संबंध में सुन्दरखाल के ग्राम प्रधान पूरन सिंह बिष्ट बताते हैं कि कोरोना की इस लहर से पहले ही उनके ग्राम के प्रत्येक व्यक्ति को कोरोना के दोनों टीके लगा दिये गये हैं. साथ ही ग्राम में बैठकों शिविरों के माध्यम से ग्राम वासियों को इसके रोकथाम व खतरे से अवगत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि लॉकडाउन के कारण प्रवासी एक बार फिर से गांव लौटते हैं तो उनके क्वारंटाइन के लिए पिछले वर्ष से अच्छी व्यवस्था की गयी है. साथ ही उनके रोजगार के लिए ग्राम स्तर पर ही लघु उद्योग स्थापित किये जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त खेती, बागवानी के साथ उन्हें जोड़कर रोजगार के इंतज़ाम मुहैय्या कराये जायेंगे. यदि लॉकडाउन लगा तो ग्राम वासियों द्वारा आपस में स्वयं एवं प्रवासियों हेतु राशन की पूर्ण व्यवस्था के इंतजाम किये गये हैं. इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा वर्तमान परिस्थितियों में अधिक से अधिक सहायता मिले, इसके प्रयास किये जा रहे हैं.

वहीं भीमताल के मुख्य विकास अधिकारी कमल मेहरा के अनुसार कोरोना के बढ़ रहे प्रभाव को देखते हुए सभी को सचेत रहने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यदि दोबारा लॉकडाउन लगाने की स्थिति आती है तो युवाओं के रोजगार का संकट अचानक होगा. रोजगार विहीन पर आर्थिक चुनौती के साथ साथ मानसिक चुनौती का प्रहार भी देखने को मिलेगा. इसी चुनौती से निपटने के लिए सरकार द्वारा रोजगार नीतियों पर विशेष फोकस किया जा रहा है. सरकार द्वारा संसाधन आधारित रोजगार, लघु उद्योग और स्थानीय उत्पादों द्वारा आजीविका संवर्धन पर रूपरेखा बनायी जा रही है जो लॉकडाउन पर समुदाय व प्रवासियों के लिए रोजगार का सरल साधन बन सकता है.

बहरहाल कोरोना के नए खतरे को रोकने के लिए सरकार हर स्तर पर अपना कार्य कर रही है. लेकिन इसके साथ साथ हम सबका भी दायित्व बनता है कि इस महामारी को फिर से विपदा बनने से रोकें. सरकार द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करके ही कोरोना की रोकथाम संभव है. यदि पर्वतीय क्षेत्रों के दो भयावक विषय ‘रोजगार और स्वास्थ्य’ पर गंभीरता विचार नहीं किया गया तो निश्चित रूप से कोरोना की पुनः मार बढ़ सकती है और राज्य में एक बार फिर से रोज़गार का संकट खड़ा हो सकता है. (चरखा फीचर)

ऑयल फिल्ड रेडिएटर्स की मांग में आयी तेजी

0

नयी दिल्ली। ओरिएंट इलेक्ट्रिक लिमिटेड, जोकि 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विविधीकृत सीके बिरला ग्रुप का अंग है, को पंजाब, दिल्‍ली एनसीआर, यूपी और पूरे उत्‍तर भारत में गिरते तापमान के बीच डी’लॉन्‍घी के ऑयल फिल्‍ड रेडिएटर्स की मांग में तेज उछाल दिख रहा है। विश्‍व-स्‍तरीय टेक्‍नोलॉजी, खूबसूरत डिजाइन और इस्‍तेमाल में आसानी के शानदार संयोजन की पेशकश करने वाले, डी’लॉन्‍घी के उन्नत ओएफआर प्रभावी और लंबे समय तक हीटिंग देने का वादा करते हैं।

साल 2018 से ओरिएंट इलेक्ट्रिक की डी’लॉन्‍घी ग्रुप के साथ मजबूत और निरंतर साझेदारी चल रही है। उसके पास भारत में डी’लॉन्‍घी, केनवुड और ब्राउन के प्रीमियम ब्राण्‍ड्स की मार्केटिंग और सर्विसिंग के अधिकार हैं। खासकर डी’लॉन्‍घी ब्राण्‍ड कॉफी मशीन, ऑयल फिल्‍ड रेडिएटर्स (ओएफआर) और दूसरे छोटे घरेलू उपकरणों के वैश्विक बाजार में अग्रणी है।

ओरिएंट इलेक्ट्रिक लिमिटेड में होम अप्‍लायंसेस के बिजनेस हेड सलिल कपूर ने कहा, “हम अपने ग्राहको के लिए अंत: विषय गुणवत्ता और विशिष्ट डिज़ाइन्स वाले प्रॉडक्ट्स लाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं जो मूल्‍य प्रस्‍तव बेहतर हो। डी’लॉन्‍घी ग्रुप के साथ हमारा गठबंधन भारत के आकांक्षी उपभोक्‍ताओं के लिये अंतर्राष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त और श्रेणी में सर्वश्रेष्‍ठ उत्‍पादों की पेशकश करने में हमारी मदद कर रहा है। हम पूरे उत्‍तर भारत में डी’लॉन्‍घी के ऑयल फिल्‍ड रेडिएटर्स की बढ़ती मांग और लोकप्रियता को लेकर विशेष रूप से उत्‍साहित हैं। इससे हमें बाजार के अग्रणी के तौर पर उभरने और अंतर्राष्‍ट्रीय ब्राण्‍ड के ओएफआर के बाजार में 50% से ज्‍यादा हिस्‍सेदारी पाने में मदद मिली है।

70 साल बाद भी देश के हर-एक बच्चे को अच्छी शिक्षा देने का बाबा साहब का सपना पूरा नहीं हो पाया: अरविंद केजरीवाल

0

नई दिल्ली। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो, गरीब और एससी भाईचारे के एक-एक बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी हमारीे होगी। 70 साल बाद भी देश के हर-एक बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का बाबा साहब का सपना पूरा नहीं हो पाया। लेकिन हमने कसम खाई है कि बाबा साहब का यह सपना हम लोग पूरा करेंगे। दिल्ली की तरह पंजाब के भी सरकारी स्कूलों को शानदार करेंगे। आज तक किसी पार्टी ने आकर यह नहीं कहा होगा कि आपके बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि आपके बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे। इसके अलावा, हमारी सरकार सफाई कर्मचारियों को पक्का करेगी। हम सीवर मैन को मशीनें देंगे और सीवर में घुस कर सफाई करना बंद करेंगे, ताकि वो बिजनेस भी करें और इज्जत के साथ अपनी जिंदगी भी जी सकें।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज अमृतसर में राम तीरथ मंदिर परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आज भगवान बाल्मीकि के इस बेहद पवित्र स्थान पर आकर नत-मस्तक होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह स्थान बहुत ही पवित्र हैं। यहां पर माता सीता को भगवान बाल्मीकि ने अपनी पुत्री की तरह रखा था। लव-कुश का यहीं जन्म हुआ था। लव-कुश को भगवान बाल्मीकि ने शिक्षा दी थी। भगवान बाल्मीकि आदि कवि के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने भी शिक्षा को बेहद महत्व दिया और बाबा साहब डॉ. अंबेडकर ने भी शिक्षा को बहुत महत्व दिया। बाबा साहब अंबेडकर बहुत गरीब परिवार में जन्में थे, लेकिन उन्होंने विदेश से दो-दो डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। घर में खाने को नहीं था, लेकिन फिर उन्होंने स्कॉलरशिप लेकर विदेश से दो-दो पीएचडी हासिल की। बाबा साहब का सपना था कि देश के हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त हो। लेकिन आज 70 साल के बाद भी बाबा साहब का यह सपना पूरा नहीं हो पाया।
‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोगों ने कसम खाई है कि बाबा साहब का सपना हम लोग पूरा करेंगे। जैसे दिल्ली में सरकारी स्कूल शानदार किए, उसी तरह से आज इस पवित्र स्थान पर कसम खाकर जा रहा हूं कि अगर सरकार बनेगी, तो एससी भाईचारे के एक-एक बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देंगे। जो शिक्षा अमीरों के बच्चों को मिलती है, ऐसी अच्छी से अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी हमारी होगी। सबको अच्छी से अच्छी शिक्षा देंगे। बाकी पार्टियों व बाकी सरकारें जो मर्जी वादे करें, लेकिन आज तक किसी ने आकर यह नहीं कहा होगा कि हम आपके बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे, लेकिन मैं कह रहा हूं कि आपके बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे। आपके बच्चों को एक पीढी के अंदर अगर हमने अच्छी शिक्षा दे दी, तो एक पीढ़ी के अंदर पूरे समाज की गरीबी दूर हो जाएगी और पूरा समाज बाकी समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा।

2021 नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के लिए बेहद ख़ास साल रहा

0

मुंबई। अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को हिंदी सिनेमा में उनके अद्भुत काम के लिए जाना जाता है। वह हर बार अपने अभिनय कौशल से सभी का दिल जीतते आये है और यही वजह है कि उनकी हर फिल्म और सीरीज़ ने दर्शकों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना ली है। साल 2021 भी अभिनेता के लिए कुछ ऐसा ही रहा है जहाँ अभिनेता ने एक बार फिर अपनी एक्टिंग से सभी को स्तब्ध कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वह फ़िल्मफेयर जैसे अवार्ड्स अपने नाम करने में सफल रहे है।

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ में अपनी उम्दा एक्टिंग के लिए एम्मी अवार्ड्स में नॉमिनेट किया गया है। साथ ही, वह इस फ़िल्म के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड अपने नाम कर चुके है। यह सिलसिला यही नहीं थमा, उन्हें मिडल ईस्ट फिल्मफेयर अवार्ड्स में “एक्सीलेंस इन सिनेमा” अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।और, उनकी फिल्म ‘नो लैंड्स मैन’ को सियारो फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिली है जो एक्टिंग के क्षेत्र में अभिनेता की काबिलियत को साबित करने के लिए काफ़ी है।

अभिनेता के लिए 2021 एक बेहद व्यस्त वर्ष रहा है। कई फिल्मों की रिलीज़ के अलावा, अभिनेता ने इस साल 5 से 6 फिल्मों की शूटिंग भी की है जिन्हें जल्द रिलीज़ किया जाएगा। कुल मिलाकर, यह साल अभिनेता के नाम रहा है और आने वाले नए साल में भी वह अपने प्रशंसकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार हैं।