Monday, December 23, 2024
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आपकी स्किन को निखारने के लिए ऑरिफ्लेम लेकर आया है लव नेचर डार्क बेरीज़ डिलाइट रेंज

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नयी दिल्ली। अपनी शुरूआत से ही, सोशल सेलिंग स्वीडिश ब्यूटी ब्रांड ऑरिफ्लेम ने प्रकृति को अपनी फिलोसफी के एक अहम हिस्से के रूप में शामिल किया है। कंपनी ने लोगों के लिये ऐसे सुरक्षित, विश्वसनीय प्रोडक्ट्स की पेशकश करके अपनी छवि बनाई है, जो हमारे पर्यावरण का ख्याल रखते हैं। इसी वजह से, हर सामग्री बेहद ही सख्त ईको-एथिकल स्क्रीनिंग से होकर गुजरती है ताकि उसकी गुणवत्ता, सुरक्षा और स्रोत का पता लगाया जा सके। इससे यह सुनिश्चित हो पायेगा कि वह आपके लिये और इस धरती के लिये अच्छे हैं।

चूंकि, इसकी उत्पत्ति स्वीडन में हुई है, इसलिये ऑरिफ्लेम के दिल में प्रकृति का एक खास स्थान है- और प्रकृति के लिये यह प्यार और सम्मान प्रोडक्ट्स की लव नेचर रेंज में नजर आता है। इस खूबसूरत रेंज में नया एडिशन है, लव नेचर डार्क बेरीज़ डिलाइट- यह आपकी स्किन के लिये खाद्य चीजों का तोहफा है और यह विचार सीधे आपकी रसोई से प्रेरित है। ऑर्गेनिक एक्स्ट्रैक्ट और बायो –डिग्रेडेबल रिन्स-ऑफ से युक्त, इस रेंज में है, योगर्ट फेस क्रीम, फेस स्क्रब मार्मलेड और फेस मास्क स्मूदी। जैम और योगर्ट जैसे आनंददायक टेक्सचर और मदहोश कर देने वाली खुशबू वाले इन प्रोडक्ट्स में ऑर्गेनिक ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी और योगर्ट एक्सट्रैक्ट है।

लव नेचर डार्क बेरीज़ डिलाइट योगर्ट फेस क्रीम योगर्ट से प्रेरित एक शानदार फेस क्रीम है, जिसमें ऑर्गेनिक योगर्ट, ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी के एक्सट्रैक्ट हैं। त्वचा को मुलायम, चिकनी, चमकदार और स्वस्थ दिखने के लिये डिजाइन किया गया है। यह तेजी से त्वचा में समा जाने वाली क्रीम, बेरी की खुशबू और अद्भुत रूप से त्वचा को मॉइश्चराइज करती है। लव नेचर डार्क बेरीज़ डिलाइट फेस स्क्रब मार्मलेड ऑर्गेनिक ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी के एक्सट्रैक्ट और ब्लैककरंट बीजों को एक्सफोलिएट करने वाला एक स्वादिष्ट फेस स्क्रब है। बेरी की खुशबू से भरपूर बायो-डिग्रेडेबल फॉर्मूलेशन त्वचा को तरोताजा करता है और इसे चिकनी और चमकदार बनाता है।

लव नेचर डार्क बेरीज़ डिलाइट फेस मास्क स्मूदी त्वचा को पोषण देती है, शांत करती है और त्वचा को कोमल बनाती है। वाइप-ऑफ फॉर्मूला, बेरी की बेहतरीन खुशबू के साथ एक सुखद अनुभव प्रदान करता है। इस रेंज के बारे में, प्रवक्ता ऑरिफ्लेम ने कहा- “हम पोषक तत्वों से भरपूर डार्क बेरीज़ और क्रीमी योगर्ट की आकर्षक बनावट और तरोताजा करने वाली सुगंध पेश करने के लिये उत्‍साहित हैं। लव नेचर डार्क बेरीज़ बेजान त्वचा को ताजगी प्रदान करने का काम करती है और इसे हाइड्रेटेड, चमकदार और स्वस्थ दिखने के लिए डिजाइन किया गया है। घर के बने, मुंह में पानी लाने वाले व्यंजनों से प्रेरित, यह रेंज आपकी त्वचा और इस धरती के लिये अच्छी है!”

एक्ज़ोनोबेल ने नई दिल्ली में 1300 से अधिक स्कूली बच्चों को सरप्राइज दिया

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नई दिल्ली। अग्रणी वैश्विक पेंट और कोटिंग्स कंपनी और डुलक्स की निर्माता, एक्ज़ोनोबेल इंडिया नई दिल्ली के जोनापुर में सरकारी एसडीएमसी प्रतिभा स्कूल के युवा छात्रों के लिए नए साल के उपहार के रूप में नया उत्साह और उज्ज्वल भविष्य लेकर आई है। अपने ‘लेट्स कलर’ प्रोग्राम के तहत बच्चों के जीवन में रंग भरने के जुनून के साथ, एक्ज़ोनोबेल इंडिया ने ऐसे सरकारी स्कूल की रंगाई एवं पुताई का काम किया है जहाँ पहली से पाँचवीं कक्षा तक 1300 से अधिक बच्चे रजिस्टर्ड हैं।

प्राथमिक कक्षा के बच्चों, शिक्षकों, अक्ज़ोनोबेल के वालंटियर्स और अक्ज़ोनोबेल पेंट अकादमी की महिला चित्रकारों सहित लगभग 50 उत्साहित लोग ‘लेट्स कलर प्रोग्राम’ के तहत स्कूल को रोशन करने के लिए एक साथ आए, जिसकी रंगाई एवं पुताई लगभग छह साल पहले की गयी थी।

पूरे स्कूल के ट्रांसफॉर्मेशन के दौरान, 500 लीटर से अधिक अक्ज़ोनोबेल की ड्यूलक्स रेंज के सजावटी पेंट का इस्तेमाल हुआ जिसने स्कूल के 30,000 वर्ग फुट एरिया को कवर किया। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि रंग हमारे मूड और व्यवहार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। 200 से अधिक वर्षों से रंग विशेषज्ञों के रूप में, एक्ज़ोनोबेल की टीम ने अपने लेट्स कलर प्रोग्राम के तहत स्कूल में लर्निंग एनविरोंमेंट का माहौल बनाने के लिए तेजी से आगे कदम बढ़ाये हैं।

पेंट की परिवर्तनकारी शक्ति अब हर जगह महसूस की जाती है। स्कूल के अग्रभाग में विशेष रूप से बनाई गई आर्ट म्यूरल बच्चों को उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है जो आसमान की तरह असीम हैं। असेंबली एरिया में जीवंत इंद्रधनुष और रंग-बिरंगे खंभे खुशी को दर्शाते हैं जब बच्चे फिर से एक-दूसरे से मिलने के लिए तैयार होते हैं। कक्षाओं में चमकीला आसमान लर्निंग एनविरोंमेंट में प्रकृति और खुलापन लाता है।

इस पहल को और भी खास बनाते हुए भारत में ब्राइट स्काईजTM- एक्जोनोबेल का कलर ऑफ द ईयर 2022 लॉन्च किया गया। एक्ज़ोनोबेल इंडिया के प्रबंध निदेशक राजीव राजगोपाल ने कहा: “2021 में, एक्ज़ोनोबेल की इन-हाउस रंग विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय डिज़ाइन पेशेवरों की टीम द्वारा किए गए एक व्यापक वैश्विक अनुसंधान से पता चला है कि कमरे में बंद महसूस करने के बाद, लोग खुली हवा और ताज़ा हवा का झोंका चाहते हैं। इन जानकारियों का उपयोग करते हुए, हमने अब भारत में ब्राइट स्काईज़, हमारे कलर ऑफ़ द ईयर 2022 को पेश किया है। हवादार, हल्का नीला रंग शांत और आरामदायक वातावरण उत्पन्न करके रिक्त स्थान को पुनर्जीवित करता है। रंगों के उज्ज्वल आसमान से सजीवन यह स्कूल अब असीम आसमान को दर्शाता है और बच्चों को एक नए दृष्टिकोण के साथ अपने रंगीन सपनों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।“

एसडीएमसी प्रतिभा स्कूल को फिर से रंगना हमारी ‘लेट्स कलर’ पहल की अभिव्यक्ति है, जो हमारे सामाजिक आउटरीच कार्यक्रम ‘एक्ज़ोनोबेल केयर्स’ का एक अभिन्न अंग है जो समुदायों के उत्थान और नवीनीकरण के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित करने पर केंद्रित है। यह हमारे लोगों, ग्रह और पेंट की संस्कृति का एक स्तंभ है तथा सस्टेनेबल बिज़नेस के दृष्टिकोण से उपयुक्त है।

ब्रिटानिया गुड डे नए अवतार में आया

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नयी दिल्ली। शहरी भारत के सबसे बड़े बिस्किट ब्रांड ब्रिटानिया गुड डे ने आज अपनी नई पहचान की शुरुआत की। देश का एक भरोसेमंद खाद्य ब्रांड, ब्रिटानिया गुड डे शहरी और ग्रामीण भारत दोनों में बराबर रूप से बिकता है। ब्रिटानिया गुड डे 1987 में शुरू किया गया था । इसने भारत में ‘कुकी’ श्रेणी बनाई और पहली बार भारतीय घरों में सूखे मेवे और नट्स उपलब्ध कराए। हमेशा खुशियों का प्रचार करने वाले ब्रांड ने आज कहा कि भारत की समृद्ध और विविध मुस्कान ने इसके मेकओवर को प्रेरित किया है। गुड डे बिस्किट का बिल्कुल नया डिज़ाइन विभिन्न प्रकार की मुस्कानों का कारण बनेगा- डिंपल स्माइल से लेकर छोटी स्माइल तक, बड़ी स्माइल से लेकर डबल डिम्पल स्माइल तक, ताकि उपभोक्ता ब्रिटानिया गुड डे के हर पैक में ‘कई स्माइल एवं नयी स्माइल’ का अनुभव कर सकें !

भारत के कोने-कोने में 4.8 मिलियन से अधिक रिटेल आउटलेट्स तक पहुंचने वाले नए पैक के साथ नए लांच की तैयारी चल रही है। ब्रांड ने अपनी नई पहचान की घोषणा करने के लिए एक हाई डेसिबल मीडिया योजना शुरू की है। नई पहचान की घोषणा का कम्युनिकेशन प्रिंट, टीवी, सोशल मीडिया और आउटडोर के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। अपनी तरह का पहला ऑगमेंटेड रियलिटी एक्सपीरियंस विशेष रूप से उपभोक्ताओं को अभियान का एक अभिन्न अंग महसूस कराने के लिए तैयार किया गया है। बिल्कुल नई पैकेजिंग विविध मुस्कानों के कॉन्सेप्ट्स को भी जीवंत करती है क्योंकि प्रत्येक एस क्यू आई के पैक पर अलग-अलग मुस्कान के साथ पैक डिजाइन होंगे।

ब्रिटानिया गुड डे की नई पहचान के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए, वरुण बेरी, प्रबंध निदेशक, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कहा, “क्या यह दिलचस्प नहीं है कि भले ही हमारा अपना दिन कितना ही ख़राब क्यों न चल रहा हो परन्तु फिर भी हम सभी एक दुसरे से अलग होते हुए ‘गुड डे’ ही कहते हैं, यह सार्वभौमिक अंतर्दृष्टि हमें गुड डे पर और अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करती है। गुड डे का मूल विचार हमेशा खुशियां फैलाने का रहा है। भारत की विविध मुस्कान को प्रतिबिंबित करने के लिए आज ब्रांड ने अपना अब तक का सबसे बड़ा बदलाव किया है। गुड डे के हर पैक के बिस्कुट की डिजाइन देश की विविध मुस्कानों जैसी होगी। गुड डे के ढेर सारे लॉयल कस्टमर बेस की खूबसूरत मुस्कान को हम दिलसे शुक्रिया कहना चाहते हैं, जिन्होंने शहरी और ग्रामीण भारत दोनों में ब्रांड की निरंतर सफलता सुनिश्चित की है।“

गुड डे के सभी नए पैक चार वेरिएंट में लांच किये जायेंगे – बटर, काजू, काजू बादाम और पिस्ता बादाम। 5 रुपये से शुरू होने वाले नए गुड डे पैक पहले से ही विभिन्न पैक साइज़ में तथा स्टैण्डर्ड प्राइस पर बाजारों में उपलब्ध हैं।

18 साल की उम्र में प्रधानमंत्री चुन सकते हैं, तो साथी क्यों नहीं?: ओवैसी

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नयी दिल्ली। एक तरफ सरकार लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर आतुर है वहीँ इस पर बहुत से लोगों को आपत्ति हो रही है। इस पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी को भी आपत्ति है। ओवैसी ने कहा कि 18 साल में बालिग हो सकते हैं तो शादी क्यों नहीं? ओवैसी का कहना है कि 18 साल की उम्र में प्रधानमंत्री चुन सकते हैं तो शादी क्यों नहीं कर सकते। भारत सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी में है। जिसको लेकर केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है। लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर अभी से विरोध भी शुरू हो गया है। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी शादी की उम्र के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 18 साल में बालिग हो सकते हैं तो शादी क्यों नहीं? ओवैसी का कहना है कि 18 साल की उम्र में प्रधानमंत्री चुन सकते हैं तो शादी क्यों नहीं कर सकते।

‘आरआरआर’ के मेकर्स मुंबई में अब तक का सबसे बड़ा प्रमोशनल इवेंट करेंगे आयोजित

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मुंबई। मैग्नम ओपस ‘आरआरआर’ जनवरी में बड़े पैमाने पर थिएट्रिकल रिलीज के लिए तैयार है और निर्माताओं ने अब प्रोमोशन्स के साथ कुछ हटकर करने का फैसला किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेकर्स 19 दिसंबर को मुंबई में भारतीय सिनेमा के इतिहास का सबसे बड़ा प्रमोशनल इवेंट आयोजित कर रहे हैं।

यह एक विसुअल स्पेक्टेल इवेंट होगा जहां उद्योग के बड़े लोगों के साथ पूरी कास्ट और क्रू एक साथ नज़र आएंगे। प्रॉपर कोविड प्रोटोकॉल के साथ, ऐसा माना जा रहा है कि इवेंट का पैमाना एक सामान्य फिल्म के बजट के बराबर है। कहा जाता है कि प्रत्येक प्रमुख अभिनेता के पास इस आयोजन में पहले कभी नहीं देखी गई एक विशाल एंट्री होगी। साथ ही, मुख्य कलाकार दर्शकों के लिए बड़े पैमाने पर परफॉर्म करते हुए दिखाई देंगे, जो इस इवेंट से जुड़ा एक अन्य रोमांचक अपडेट है।

अजय देवगन, राम चरण, आलिया भट्ट और जूनियर एनटीआर अभिनीत ‘आरआरआर’ एक बहुत बड़ा रोमांच है और ट्रेलर रिलीज़ के बाद से ही इसने एक बहुत बड़ा फैनबेस अपने नाम कर लिया है। एसएस राजामौली द्वारा निर्देशित, आरआरआर में प्रमुख अभिनेता राम चरण और जूनियर एनटीआर के अलावा एक स्टार-स्टडेड लाइनअप शामिल है। अजय देवगन, आलिया भट्ट, ओलिविया मॉरिस को महत्वपूर्ण भूमिकाओं में देखा जाएगा, जबकि समुथिरकानी, रे स्टीवेन्सन और एलिसन डोडी सहायक भूमिकाओं में नज़र आएंगे।

जयंतीलाल गड़ा (पेन स्टूडियोज़) ने पूरे उत्तर भारत में नाट्य वितरण अधिकार प्राप्त किए हैं और सभी भाषाओं के लिए विश्वव्यापी इलेक्ट्रॉनिक अधिकार भी खरीदे हैं। पेन मरुधर फिल्म को नॉर्थ टेरिटरी में डिस्ट्रीब्यूट करेंगे। तेलुगु भाषा की यह पीरियड एक्शन ड्रामा फिल्म डीवीवी एंटरटेनमेंट्स के डी वी वी दानय्या द्वारा निर्मित है। ‘आरआरआर’ 7 जनवरी, 2022 को दुनिया भर में स्क्रीन पर रिलीज होगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी की गंभीरता को समझना होगा

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मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में लापरवाही का मामला

सौम्या ज्योत्सना, मुजफ्फरपुर, बिहार

Covid-19 महामारी के बाद देश में बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद शुरू की गई थी. इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है. लेकिन अभी भी देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष सुधार की ज़रूरत है. जहां डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मरीज़ों की जान पर बन आती है. जहां उन्नत तकनीक की कमी की वजह से लोगों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली जाने पर मजबूर होना पड़ता है. बिहार भी देश के उन राज्यों में शामिल है जहां स्वास्थ्य व्यवस्था देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी खराब है. यहां की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल तब खुलती है, जब आम नागरिकों की जान पर बन आती है. कभी व्यवस्थाओं के अभाव के कारण तो कभी डॉक्टरों की लापरवाही के कारण लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण लीची के लिए दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाला मुजफ्फरपुर है, जहां हाल ही में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण लगभग 20 से ज्यादा लोगों की आंखें निकालनी पड़ी हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित जूरन छपरा क्षेत्र को मेडिकल हब के रूप में जाना जाता है. यहीं रोड नंबर दो में वर्ष 1973 से संचालित आई हास्पिटल में 22 नवंबर को संविदा पर बहाल दो डॉक्टरों ने ऑपरेशन कैंप लगाकर एक ही दिन में मोतियाबिंद से पीड़ित 65 लोगों की आंखों का ऑपरेशन कर दिया. जबकि अस्पताल में मरीज़ों के लिए केवल दो ही बेड थे. लेकिन डॉक्टरों ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए 65 ऑपरेशन कर डाले, जिसके बाद बेड पर फैले बैक्टीरियल संक्रमण के कारण लोगों की आंखों में परेशानी होने लगी और आंख की पुतली बहने लगी. इसके बाद लोगों ने दोबारा आकर शिकायत दर्ज की लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उनकी बातों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया. मगर जब सभी मरीज़ों का दर्द बढ़ने लगा तो लापरवाही सामने आई. इस ऑपरेशन के बाद अब तक 20 से ज्यादा लोगों की आंखें मुजफ्फरपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एसकेएमसीएच में निकाली जा चुकी हैं. लोग डॉक्टरों की लापरवाही से परेशान हैं लेकिन कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है. अपनी आंखों की रौशनी बचाए रखने के लिए ही लोगों ने यह ऑपरेशन करवाया था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उन्हें अपनी आंखें ही गंवानी पड़ेंगी.

इस ऑपरेशन से प्रभावित होने वाले अधिकतर लोग ग्रामीण क्षेत्रों से संबंध रखते हैं. जो आर्थिक रूप से काफी कमज़ोर हैं और अपने आंखों के बेहतर इलाज के लिए दिल्ली तक जाने की क्षमता नहीं रखते हैं. इस संबंध में अखाड़ाघाट क्षेत्र की रहने वाली इस ऑपरेशन की पीड़िता सावित्री देवी की बेटी ने बताया कि “मां को देखने में समस्या थी, जिसके बाद उनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था. अस्पताल प्रशासन ने 2000 रुपया भी ले लिया लेकिन ऑपरेशन के बाद से ही आंख में दर्द होने लगा और आंख की पुतली बहने लगी, जिसके बाद दोबारा अस्पताल में संपर्क करने पर अस्पताल वालों ने डरा धमका कर भगा दिया।” वहीं महुआ थाना क्षेत्र स्थित 65 वर्षीय अरविंदर ने बताया, “ऑपरेशन के पहले डॉक्टरों ने किसी तरह की कोई जांच नहीं की. ऑपरेशन के करीब एक घंटे के बाद ही आंख में दर्द होने लगा. जिसके बाद दोबारा अस्पताल जाकर दिखाया, जहां डॉक्टरों ने आंखों में आई ड्राप डाला लेकिन कुछ ठीक नहीं हुआ. उसके बाद राजधानी पटना रेफर किया गया, जहां भी आई ड्राप डालकर छोड़ दिया गया, मगर वापस आई हॉस्पिटल आने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनकी आंख में इंफेक्शन हो गया है इसलिए आंख निकालना पड़ेगा।”

इसी प्रकार अपनी मां की आंखों का ऑपरेशन करवाने आई एक और ग्रामीण गोपा देवी ने बताया कि उनकी मां को आंखों से कम दिखाई देता था इसलिए हमने सोचा कि उनकी आंखों का ऑपरेशन करवा देते हैं ताकि वह अपना दैनिक कार्य कर सकें, जिसके बाद उन्हें आई हास्पिटल में भर्ती करवाया, लेकिन ऑपरेशन के बाद मां की परेशानी बढ़ गई. आंखों से पस निकलने लगा, सारी रात सिर में दर्द हुआ. इस बात की सूचना देने के लिए दोबारा आई हास्पिटल गए लेकिन डॉक्टरों ने अस्पताल के कर्मचारी के साथ पटना के अस्पताल में भेज दिया गया, जहां डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन के कारण आंख पूरी तरह से संक्रमित हो चुका है और अब उनका आंख निकालना ही एकमात्र रास्ता है.” कमोबेश सभी लोगों की हालत ऐसी ही है. कुछ लोगों ने तो अपने परिवार पर बोझ न बन सकें इसलिए ऑपरेशन करवाया था मगर अब वही हमेशा के लिए अपने परिवार पर आश्रित हो गए हैं. इतनी बड़ी घटना के बावजूद डॉक्टरों की लापरवाही की इंतहा यहां तक हो गई कि उन्होंने कुछ लोगों का दाएं की बजाये बाएं आंख का ऑपरेशन कर दिया.

इस लापरवाही के बाद जूरन छपरा स्थित आई हास्पिटल को प्रशासन ने सील कर मामले की जांच शुरू कर दी है. इस संबंध में मुजफ्फरपुर के एसएसपी जयंत कांत ने कहा कि एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है. साथ ही मेडिकल बोर्ड का गठन करके आगे की कार्यवाही की जाएगी. वहीं मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन विनय कुमार शर्मा ने बताया कि स्पेशल टीम का गठन कर दिया गया है और दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी. हालांकि सरकारी अस्पतालों में मोतियाबिंद का इलाज सही तरीके से ना होना, सरकार की नाकामी को दर्शाता है. इस संबंध में मुजफ्फरपुर के सांसद अजय कुमार निषाद ने बताया कि उन्हें यह जानकारी ही नहीं थी कि साल 2010 से सरकारी अस्पतालों में आंखों के ऑपरेशन की पूरी सुविधा नहीं है. उन्होंने आगे बताया कि वह सरकार से आग्रह करेंगे कि सरकारी अस्पतालों में जल्द से जल्द सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएँ. यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि जनप्रतिनिधि को ही जानकारी नहीं है कि लोगों को अपनी आंखों की रोशनी पाने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

मुजफ्फरपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शलभ सिन्हा के अनुसार लोगों की आंखों में संक्रमण Pseudomonas aeruginosa बैक्टीरिया के कारण हुआ। एसकेएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट ने आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर के बेड, ट्रॉली, माइक्रोस्कोप आदि से स्वाब लिया और उसे कल्चर किया, तब पता चला कि यही बैक्टीरिया लोगों की आंखों में था और संक्रमण यही से लोगों की आंखों में फैला. कोई भी शल्य क्रिया करने से पहले औजारों को स्टरलाइज करना पड़ता है ताकि संक्रमण समाप्त हो जाए, लेकिन स्टरलाइजेशन के दौरान हुई लापरवाही के कारण ही संक्रमण लोगों की आंखों में गया है. डॉ. शलभ के अनुसार लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल एक चैरिटेबल संस्था द्वारा चलाई जाती है. चूंकि वहां पैसे कम लगते हैं इसलिए लोगों को लगता है कि वह एक सरकारी संस्था है. वहीं सदर अस्पतालों की हालत बहुत खराब है क्योंकि वहां डॉक्टर केवल वेतन लेते हैं मगर काम नहीं करते हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल का एग्रीमेंट मार्च में ही समाप्त हो चुका था. अब तक एग्रीमेंट आगे नहीं बढ़ाया गया है और न ही सिविल सर्जन को इसकी जानकारी दी गई है।

एक आंकड़े के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष करीब 50 लाख लोगों की मौत चिकित्सकीय लापरवाहियों की वजह से होती है. कहीं सुविधाओं की कमी की वजह से तो कहीं डॉक्टरों की कमी इसका कारण बनती है. 57 लाख की आबादी वाले मुजफ्फरपुर में केवल 5000 मेडिकल स्टाफ हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों से लेकर नर्स और वार्ड ब्वायज तक 53.21 प्रतिशत कर्मियों की कमी है. यह आंकड़े ही स्वास्थ्य व्यवस्था का आईना हैं, जिससे पता चलता है कि सरकार समेत प्रशासन लोगों की सेहत के प्रति कितनी गंभीर है. बहरहाल उम्मीद की जानी चाहिए कि इस घटना के बाद सरकार और प्रशासन स्थिति की गंभीरता को समझते हुए राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे को मज़बूत बनाने पर ज़ोर देगा. (चरखा फीचर)

स्टॉकट्विट्स ने टाइम्स ब्रिज के साथ निवेश साझेदारी की

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नई दिल्ली।स्टॉकट्विट्स ने भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अपनी पेशकश का विस्तार करने के लिए टाइम्स ब्रिज के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। स्टॉकट्विट्स स्टॉक, क्रिप्टो और अन्य उभरते निवेशों सहित विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेशकों और व्यापारियों के लिए ओरिजनल सोशल प्लेटफॉर्म है। यह विकास अल्मेडा रिसर्च वेंचर्स के नेतृत्व में 30 मिलियन डॉलर के स्टॉकट्विट्स सीरीज बी फंडिंग का हिस्सा है, और जिसमें टाइम्स ब्रिज का निवेश भी शामिल है।

इस साझेदारी के साथ, स्टॉकट्विट्स, टाइम्स ब्रिज के श्रेणी निर्माण और श्रेणी नेतृत्व कंपनियों के बढ़ते वैश्विक पोर्टफोलियो में शामिल हो गया है, जिसमें एयर बीएनबी, कॉरसेरा, हेडस्पेस, हौज, स्मूल, स्टैक ओवरफ्लो और उबर शामिल हैं। टाइम्स ब्रिज भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मीडिया और डिजिटल कंपनी द टाइम्स ग्रुप की वैश्विक निवेश और उद्यम शाखा है, जिसका मिशन दुनिया की सबसे उद्देश्यपूर्ण कंपनियों के साथ सहयोग करना है ताकि पूरे भारत में उनके प्रवेश, पैमाने और प्रभाव को सक्षम बनाया जा सके। द टाइम्स ग्रुप के डिविजन के रूप में टाइम्स इंटरनेट भारत का सबसे बड़ा घरेलू डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसमें समाचार, स्ट्रीमिंग, संगीत, रियल एस्टेट, क्रिकेट और वित्त के रूप में विविध श्रेणियों में 557 मिलियन से अधिक सक्रिय मासिक यूजर्स शामिल हैं।

वर्ष 2008 में निवेशकों के लिए दुनिया के पहले सामाजिक मंच के रूप में स्थापित स्टॉकट्विट्स शुरुआती निवेशकों से लेकर दिग्गज निवेशकों के बीच बातचीत का वैश्विक केंद्र बनकर खुदरा निवेश के क्षेत्र को बदलने के लिए पूरी तरह से तैयार है। दरअसल, इसके प्लेटफॉर्म पर ही “कैशटैग” का आविष्कार किया गया था। स्टॉकट्विट्स का भारत लॉन्च देश भर में निवेश परिदृश्य में वृद्धि के अनुरूप है, जिसमें वित्त वर्ष 2011 में भारत में खुदरा निवेशकों की कुल संख्या में 14.2 मिलियन की वृद्धि हुई और इसमें टियर II और III शहरों की भागीदारी शामिल रही। इसमें 25 वर्ष से कम उम्र के पहली बार निवेशक शामिल हैं, जो इस वृद्धि को गति दे रहे हैं।

स्टॉकट्विट्स की सोशल-फर्स्‍ट फिलॉसफी भारतीय उपभोक्ताओं की इस नई पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करेगी, जिसमें निवेश को सुलभ और सफल बनाने के लिए न केवल देश भर में खुदरा-निवेशक भागीदारी बढ़ रही है, बल्कि लोगों का एक-दूसरे की ओर तथा सोशल मीडिया की ओर रुख करना भी बढ़ रहा है। इस साझेदारी के तहत, टाइम्स ब्रिज रणनीतिक साझेदारियों, प्लेटफॉर्म स्थानीयकरण, और स्टॉकट्विट्स के लिए सामग्री को भारत भर में अपनाने और प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरित करेगा।

टाइम्स ब्रिज के संस्थापक सीईओ, ऋषि जेटली ने इस साझेदारी पर अपनी बात रखते हुए कहा, “टाइम्स ब्रिज का मिशन भारत में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विचारों के लिए भारत के प्रवेश, पैमाने और नेतृत्व को आगे बढ़ाना है। स्टॉकट्विट्स एक ऐसा विचार है, जिसने वर्षों से दुनिया भर में खुदरा निवेशकों के लिए अभूतपूर्व सामाजिक समाधान और पहुंच की पेशकश की है। इसके साथ ही भारत में निवेशक परिदृश्य की बढ़ती गतिशीलता पर आगे बढ़ते हुए हम टाइम्स ब्रिज में – और टाइम्स ग्रुप में – अपनी परिसंपत्ति की ताकत का उपयोग करने के लिए तत्पर हैं और हमें पता है कि भारत में व्यापक रूप से स्टॉकट्विट्स प्लेटफॉर्म के स्थानीयकरण, विकास और प्रभाव का कैसे समर्थन किया जाना है।’’

स्टॉकट्विट्स के सीईओ ऋषि खन्ना ने कहा, “भारत एक अविश्वसनीय रूप से गतिशील निवेशक बाजार है और हम अपने मिशन को आगे बढ़ाने और इस उपमहाद्वीप में अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए टाइम्स ब्रिज के साथ साझेदारी करके उत्‍साहित हैं। हम भारतीय बाजार में अपने लिए एक महत्वपूर्ण पहचान बनाने की उम्मीद कर रहे हैं, जहां कई पीढ़ियों से निवेशक सीखने, आपस में जुड़ने, शिक्षित करने और मुनाफे के लिए नए और अभिनव प्लेटफॉर्म के लिए तैयार हैं।”

स्टॉकट्विट्स का वैश्विक मिशन एक ऐसे मंच को उन्‍नत बनाकर वित्तीय-मीडिया निवेश और व्यापारिक सेवाओं के भविष्य की पुर्नकल्पना करना है, जो निवेशकों और व्यापारियों के लिए संपत्ति, शैलियों और अनुभव स्तरों पर वैश्विक बातचीत की मेजबानी करता है। आज, स्टॉकट्विट्स के दुनिया भर से 6 मिलियन से अधिक यूजर्स हैं, जिसमें एक मिलियन से अधिक सक्रिय मासिक यूजर्स हैं। अकेले 2021 में, स्टॉकट्विट्स में सालाना आधार पर 50% की वृद्धि हुई है।

पूरी दिल्ली में सड़कों और कूड़े के खत्ते पर दिखेंगी गौ माता: सौरभ भारद्वाज

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि गौ माता के नाम पर दलितों की हत्या करने वाली भाजपा की सच्चाई यह है कि कूड़े के ढलाव पर कूड़ा खाती हैं गौ माता। एमसीडी में शासित भाजपा के नेताओं के संरक्षण में अवैध डेरियां चल रही हैं। जहां गायों का दूध निकालकर उन्हें फिर सड़कों पर कूड़ा खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। दिल्ली सरकार से पैसा मिलने के बावजूद एमसीडी गायों का संरक्षण करने में फेल साबित हुई है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में हर महीने करीब 250 एक्सीडेंट गायों की वजह से हो रहे हैं। लेकिन भाजपा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं है। सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की गायों से संबंधित कई फोटो और वीडियो साझा कीं, जिसमें उनकी दर्दनाक सच्चाई साफ देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि वह गायों की दर्दनाक मृत्यु से संबंधित एक और प्रसवार्ता 21 दिसंबर को करेंगे। जिसके माध्यम से वह देश को भाजपा का असली चेहरा दिखाएंगे।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जैसा कि हमने कहा था कि आम आदमी पार्टी एक सीरीज शुरू कर रही है, जिसके ज़रिए हम आपको बताएंगे कि क्या-क्या काम हैं जो सीधे-सीधे दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आते हैं। और दिल्ली की जनता को पिछले 15 सालों से कैसे परेशान किया जा रहा है, उसकी सीरीज हम चला रहे हैं। आज की प्रसवार्ता उसी का दूसरा भाग है। आज हम बताएंगे कि किस प्रकार से दिल्ली में गायों पर अत्याचार हो रहा है। गाय, जिसे हिंदू संस्कृति में गौ-माता कहा गया है। वह गौ-माता, जिसके सींगो के लिए कहा जाता है कि उसमें ब्रम्हा, विषणु, महेश का वास है। उसके हर अंगर में किसी देवी-देवता का वास है। किसी की कोई कामना हो तो गौ-माता कि सेवा करने से वह कामना पूरी हो जाती है। मां के दूध के बाद गाय के दूध को सबसे उत्तम बताया जाता है। गौमूत्र हो या गाय का गोबर हो, भारतीय संस्कृति के हिंदू धर्म में उसे सबसे शुद्ध बताया गया है। देश-विदेश कहीं भी चले जाओ, एक मां को कूड़ा खिलाया जाता है, ऐसा आपने कहीं नहीं देखा होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली नगर निगम संस्कृति में गौ-माता को आप लोग कूड़े के खत्ते पर कूड़ा खाते कभी भी देख सकते हैं। किसी भी इलाके के कूड़े के खत्ते पर आप चले जाएं, वहां पर गौ-माता लोगों के घर से फेंका गया कूड़ा, पॉलिथीनों में भरा हुआ कूड़ा उसे खोलकर खाने की कोशिश करती हैं।

आयुर्वेद पद्धति में डेलीवरी के बाद कैसा होना चाहिए पोषण

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डॉ चंचल शर्मा

भारत एक, संस्कृति प्रधान देश है। यहां पर हर संस्कार एवं परंपरा को बड़े ही उत्सव के साथ माना जाता है। उसी प्रकार प्रसव को एक परंपरा एवं संस्कार के रुप में देखा जाता है। डेलीवरी के बाद के समय को प्रसवोत्तर अवधि कहां जाता है। यह समय बच्चे के जन्म के बाद मां के स्वस्थ होने और मां-नवजात बंधन के लिए होता है। यह वह समय है जब माँ नवजात शिशु को स्तनपान कराती हैं।
बच्चे के जन्म के बाद, महिलाएं लगभग 6 सप्ताह/40 दिन (‘एकांतवास’ की अवधि) के लिए घर पर रहती हैं। आमतौर पर महिला गर्भावस्था, जन्म और प्रसवोत्तर की समाप्ति के लिए अपनी मां के घर लौट आती है। यदि वह ऐसा करने में असमर्थ रहती है तो इस दौरान माँ आमतौर पर आकर उसके साथ रहती है। यह अभ्यास वास्तव में एक नई माँ के लिए फायदेमंद है, जिसे स्वयं माँ बनने की आवश्यकता होगी। इसलिए, इस अवधि के दौरान महिला की देखभाल उसकी मां और/या अन्य महिला रिश्तेदारों द्वारा की जाती है। महिला को आराम, कायाकल्प का समय माना जाता है। इस दौरान नई माँ को कोई गृहकार्य या अन्य ज़ोरदार कार्य नहीं करना है। डेलीवरी के बाद एक विशेष आहार पर जोर दिया जाता है। जो विशेष रूप से उसके शरीर की प्रसवोत्तर जरूरतों के अनुरूप हो।

आयुर्वेद 5000 साल पुरानी भारतीय चिकित्सा परंपरारिक चिकित्सा है। आयुर्वेद के अनुसार प्रसव के बाद का समय नई माताओं के लिए एक संवेदनशील समय माना जाता है। विशेष रूप से पाचन तंत्र के लिए – इसलिए सरल, सुपाच्य खाद्य पदार्थों पर जोर दिया जाता है। परंपरागत रूप से, माताओं को रोजाना गर्म तेल की मालिश दी जाती है। उन्हें उपचार को बढ़ावा देने, उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और दूध की आपूर्ति में सुधार करने के लिए बहुत ही सरल लेकिन विशेष खाद्य पदार्थ और कई हर्बल पेय दिए जाते हैं।

प्रसव के बाद आहार और पोषण
दूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए नई माताओं को तिल, सूखे मेवे, मेथी / पत्ते, लहसुन, सहजन और अजवायन के बीज से बनी खीर दी जाती है। सूखे मेवे और गेहूं के साथ पका हुआ गोंद प्रसव के बाद पीठ और प्रजनन अंगों को मजबूत करने के लिए दिया जाता है। नई मां के दूध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सुबह सबसे पहले ताजा गाय का दूध दिया जाता है।

बीन्स, गाजर, चुकंदर, हरी पत्तेदार सब्जियां, तोरी जैसी सब्जियों को घी में पकाया जाता है ताकि शरीर को पोषण मिल सके और मल त्याग आसान हो सके। दाल, अनाज और साबुत अनाज को साबुत मसालों के साथ पकाया जाता है और गरमागरम परोसा जाता है। बच्चे के जन्म के बाद पहले तीन हफ्तों तक गोभी, आलू और फूलगोभी जैसी गैसी सब्जियों से परहेज किया जाता है, क्योंकि वे शरीर के पांच तत्वों में सामंजस्य बिठाते हैं और पाचन तंत्र को परेशान करते हैं। बासी भोजन से बचा जाता है और जैविक ताजा भोजन पसंद किया जाता है। नई माँ को समय पर खाने के लिए निर्देशित किया जाता है और न बहुत अधिक या बहुत कम, ताकि पाचन तंत्र पर अनावश्यक रूप से कर न लगे। आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद पान के पत्ते चबाने से पाचन क्रिया में मदद मिलती है।
एक विशिष्ट आहार के अलावा, नई माँ को आयुर्वेदिक क्वाथ जैसे सुकुमारा कषायम, गर्भाशय और श्रोणि क्षेत्र के संकुचन में मदद करने के लिए, अजमांसा रसायन हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए और दशमूल अरिष्म प्रतिरक्षा में सुधार और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए।
अक्सर आप दादी या परदादी और उनके वंशज 10 से अधिक बच्चों को जन्म देने के बावजूद, 90 वर्ष और उससे अधिक उम्र तक जीवित रहे। वे गठिया, पीठ दर्द, जोड़ों के दर्द आदि की सामान्य शिकायतों से मुक्त थे, क्योंकि वे पारंपरिक प्रथाओं का सख्ती से पालन करते थे। इस प्रसव के बाद कुछ परंपारिक प्रथाओं में जो भोज्य पदार्थ माँ को खाने के लिए दिये जाते है। वह पूरी तरह से आयुर्वेदिक होते है उनका सेवन करके आप अपने स्वास्थ्य को जल्दी से बेहतर कर सकती हैं।
वार्मिंग मालिश और स्नान – जैसा कि हम जानते हैं कि आहार प्रसवोत्तर देखभाल के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन आइए कुछ अन्य प्रसवोत्तर प्रथाओं पर एक नज़र डालें, जो भारतीय संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन महिलाओं को परिवार के किसी सदस्य या अनुभवी ‘मौशी’ या ‘दाई’ द्वारा दैनिक गर्म तेल की मालिश दी जाती है। ये मालिश तिल, नारियल, जैतून आदि जैसे पोषक तेलों से की जाती है। इसके बाद गर्म, हर्बल स्नान किया जाता है।
तिल का तेल – तिल के तेल का उपयोग भारत के कई क्षेत्रों में मालिश के लिए किया जाता है, खासकर भारत में। माना जाता है कि तिल का तेल तनाव और रक्तचाप को नियंत्रित करता है और इसमें शीतलन गुण होते हैं।
नारियल का तेल – यह आमतौर पर सिर की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। यह शरीर पर शीतलन हाइड्रेटिंग प्रभाव देता है। जब गर्भवती पेट पर लगाया जाता है तो खिंचाव के निशान कम हो जाते हैं क्योंकि यह प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में काम करता है। नारियल का तेल सुखद खुशबू आ रही है और त्वचा द्वारा जल्दी से अवशोषित हो जाता है।
जैतून का तेल – कई क्षेत्रों में विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जैतून के तेल का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। यह त्वचा और बालों के लिए अच्छा होता है। सी-सेक्शन के मामले में तेल की मालिश सिलाई के ठीक होने के बाद ही की जाती है।
हर्बल स्नान – तेल मालिश के बाद नहाने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाता है। पेट के निचले हिस्से और पेल्विक एरिया पर गर्म पानी डाला जाता है। नीम के पत्तों को उबालकर गर्म पानी शरीर के अन्य अंगों में नहाने के काम आता है, नीम की पत्तियां एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है। गुनगुना पानी थका हुआ और दर्द करने वाली मांसपेशियों को शांत कर सकता है। शरीर के तेल को धोने के लिए वाणिज्यिक साबुन से बचा जाता है। एक चुटकी हल्दी पाउडर और 1 चम्मच दूध की मलाई के साथ छोले के आटे का पेस्ट नई मां और बच्चे के लिए साबुन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
बेली बाइंडिंग – नहाने के बाद पेट को सूती साड़ी या कपड़े से बांध दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह गर्भाशय को पीछे धकेलने में मदद करता है और इसे सही जगह पर रखने में मदद करता है। बेली बाइंडिंग भी पेट की गैस से छुटकारा पाने में मदद करती है। बेली बाइंडिंग के कुछ लाभ: स्तनपान के दौरान स्वस्थ मुद्रा को बढ़ावा देना, पेट की मांसपेशियों को धीरे से पीछे की ओर धकेलना, गर्भ को फिर से लगाना और खिंचाव के निशान को कम करना।
सिर ढकना – प्रसव के बाद, उत्तर भारतीय परंपरा के एक हिस्से के रूप में महिलाओं को पूरे दिन अपने सिर को दुपट्टे से ढकने के लिए बनाया जाता है। यह माना जाता है कि शरीर की गर्मी मुख्य रूप से सिर के माध्यम से खो जाती है और एक नई माँ को ठीक होने के लिए अपने शरीर की गर्मी को संरक्षित करने की आवश्यकता होती है। ऐसा माना जाता है कि सिर को ढकने से आप गर्म रहती हैं और आपको संक्रमण से बचाते हैं।
डेलीवरी के बाद माँ को कुछ विशेष निर्दोंशों का पालन करना होता है – उत्तर भारतीय प्रसवोत्तर देखभाल के एक भाग के रूप में नई माँ को कुछ प्रतिबंधों की भी सलाह दी जाती है। यह माना जाता है कि इन प्रतिबंधों का पालन करने से माँ को जीवन में बाद में पीठ दर्द, सिरदर्द और शरीर में दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद मिलती है: एसी या पंखे से बचना, क्योंकि एसी और पंखे से नई माताओं को ठंड लग सकती है। टीवी न देखना, पढ़ना या देखना (इससे सिरदर्द होता है)। कोई चिल्लाना, रोना या तनावपूर्ण बातचीत में शामिल नहीं होना। गृहस्थी के कार्य नहीं करना। इस अवधि समाप्त होने तक एक कमरे में रहना। जब बच्चा सोए तब सोएं ।
नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें – आयुर्वेद में भी नवजात की देखभाल पर बहुत जोर दिया गया है। माताओं को सिखाया जाता है कि अपने बच्चों की रोजाना मालिश कैसे करें और उन्हें मांग पर स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मातृत्व के ये पहले कुछ सप्ताह न केवल माँ के स्वास्थ्य और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनके लिए एक प्रेमपूर्ण संबंध स्थापित करने का एक अद्भुत समय है। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, हर कुछ हफ्तों में एक अनुष्ठान, उत्सव मनाया जाता है। नाम देने की रस्म (नामकरण संस्कार), बच्चे के पहली बार बाहर जाने पर (अन्यप्रासन), बाल काटने की रस्म (मंडन संस्कार) और उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए इस तरह के अन्य समारोह।
डेलीवरी के बाद तनाव को बिल्कुल भी जगह न दें – भारत में, प्रसवोत्तर अवधि के लिए समग्र दृष्टिकोण (holistic view) प्रसवोत्तर अवसाद (postpartum depression) के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है। एक माँ की सहायता प्रणाली इस तरह से पौष्टिक और सहायक होनी चाहिए । कि वह शारीरिक और भावनात्मक रूप से जन्म के बाद अच्छी तरह से ठीक होने और स्वस्थ होने के लिए उसे आवश्यक सभी सहायता और स्नेह प्राप्त करने में सक्षम हो।
डॉ चंचलल शर्मा कहती हैं कि – उचित देखभाल के साथ, एक माँ भी मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संसाधनों को प्राप्त कर सकती है, जो उसे पारिवारिक जीवन की सभी मांगों को पूरा करने के लिए आवश्यक है, बिना कमी महसूस किए।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साया गोल्ड एवेन्यू पर लगे आरोपों को किया खारिज

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ग़ज़िआबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साया गोल्ड एवेन्यू पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है। 2015 की रिट याचिका संख्या 59863, (याचिकाकर्ता: सन टॉवर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और प्रतिवादी: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश, साया गोल्ड एवेन्यू और अन्य) के संदर्भ में, याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों पर इंदिरापुरम की लैंडमार्क
आवासीय परियोजना साया गोल्ड एवेन्यू के निर्माण- कार्य को कानून- संगत रूप से संचालन नहीं करने का आरोप लगाया था।
पक्षों और संबंधित निकायों द्वारा दिए गए दलीलों के बाद, माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंततः निष्कर्षों के साथ अपना आदेश पेश किया, जिसमें कहा गया है, ;प्रतिवादी अर्थात्,गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश, साया गोल्ड एवेन्यू और अन्य के पक्ष
में फैसला सुनाया,।
उपरोक्त मामला 6 वर्षों से लंबित था और कई मौकों पर निर्णय के लिए सुरक्षित रखा गया था, लेकिन कुछ अति आवश्यक कारण के मद्देनजर , मामले की फिर से सुनवाई की गई, जहां इसे अत्यंत धैर्य और सावधानी के साथ प्रतिवादी में से एक अर्थात् , साया गोल्ड एवेन्यू, का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया, और परिणामस्वरूप, अंततः इलाहाबाद में न्यायपालिका के माननीय उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा विवाद
के निर्णय के रूप में आया ।
उक्त निर्णय में, माननीय उच्च न्यायालय ने मूल तथ्यों और आदेशों के ;छिपाने; को एक महत्वपूर्ण बिंदु बनाया, और ;सप्रेसियो वेरी और सुगेस्टियो फाल्सी के सिद्धांत की पुष्टि की, जिसका अर्थ है सत्य का दमन;
और इस प्रकार रिट याचिका को अस्वीकार कर दिया जिसमें यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता माननीय न्यायालय के सामने सही सबूतों के साथ नहीं आया था।
इन साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी कर घोषित किया कि;साया गोल्ड एवेन्यू; के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप एवं दावे असत्य हैं । अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए, साया होम्स के एमडी, श्री विकास भसीन ने कहा, “हम
माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक आदेश का स्वागत करते हैं और साथ ही जिसने देश के कानून के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को स्वीकार किया है।;साया गोल्ड; सरकार द्वारा एप्रूव्ड एक परियोजना है जो तमाम लागू कानूनों और नियमों का पूर्ण रूपेण पालन करती है, क्योंकि हम
कानून का पालन करने वाली एक जिम्मेदार कंपनी हैं और साथ ही, अपने ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता और वैध उत्पाद प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। मैं साया होम्स परिवार के प्रत्येक सदस्य का आभारी हूं, जिनके समर्थन और दृढ़ विश्वास ने हमें कठिन समय को पार करने में सक्षम बनाया है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में हमारे साथ मजबूती से खड़े रहने के लिए मैं अपने मूल्यवान उपभोक्ताओं का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हम और हमारी सेवाओं में आपके निरंतर विश्वास के कारण ही हम विजयी हुए हैं।“