Thursday, April 25, 2024

बिहार पुलिस का कारनामा, बेक़सूर आरिफ को 36 घंटों तक टॉर्चर किया

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ए एन शिब्ली
फॉर्मर चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एन वी रमन्ना ने एक बार कहा था कि भारत में मानवाधिकार का सबसे अधिक उल्लंघन पुलिस थानों में ही होता है। सोचिये कितने शर्म की बात है कि जिन थानों में लोगों को सुरक्षा मिलनी चाहिए वहीँ लोग खुद को असुरक्षित मह्सूस करते हैं। आये दिन ऐसी खबरें आती हैं कि भारत के विभिन राज्यों की पुलिस आज़ादी के इतने सालों बाद भी अपने रवैय्ये में तब्दीली नहीं ला सकी है और उसके जरिया बेक़सूरों पर अतयाचार एक आम बात है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हर पुलिस वाले ग़लत नहीं होते मगर ऐसे पुलिस वालों की कमी नहीं है जो तफ्तीश के नाम पर बेक़सूरों को थाने बुलाते हैं , उन्हें कहीं से ज़बरदस्ती उठाते हैं और फिर उन्हें थानों के अंदर जानवरों की तरह मारते पीटते हैं।
ऐसा ही एक मामला हाल ही में बिहार के गोपालगंज ज़िला के बरौली थाने में हुआ है। खबर के अनुसार वहां अपराधियों ने शिव कुमार नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी। इस हत्या के बाद असली क़ातिलों को पकड़ने के बजाये पुलिस ने सिविल ड्रेस में मोहम्मद आरिफ नाम के एक व्यक्ति की कहीं रास्ते से उठा लिया और फिर उसे थाने ले जा कर उस के साथ जो हरकत की उस से इंसानियत भी शरमा जाए। आरिफ के अनुसार उसे न सिर्फ लगभग 36 घण्टे तक थाने में रोका गया बल्कि इस दौरान उसे बुरी तरह से पीटा भी गया। आरिफ बार बार पुलिस वाले से कहते रहे कि मेरा इस क़त्ल से कोई लेना देना नहीं है और मैं 12 को दुबई जा रहा हूँ मगर पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे मार मार कर उसका बुरा हाल कर दिया।
नितीश कुमार जी, तेजस्वी यादव यादव जी, ज़रा आप लोग ही बताइये कि बरौली थाने के पुलिस वालों ने आखिर किस क़ानून के आधार पर आरिफ को लगभग 36 घण्टों तक थाने में रोके रखा। अगर आरिफ ने ग़लती की तो उसे छोड़ क्यों दिया और अगर ग़लती नहीं की तो फिर उसे 36 घंटों तक टॉर्चर क्यों किया ? क्या यह मानवाधिर का उल्लंघन नहीं है , क्या यह पुलिस वालों का एक आम नागरिक पर ज़ुल्म नहीं है।
असली क़ातिल को पकड़ने के बजाये पुलिस अगर एक आम नागरिक को टॉर्चर करेगी तो भला भारत किस मुंह से दुनिया को कहेगा कि हमारे यहाँ मानवाधिकार की रक्षा की जाती है। नितीश कुमार को चाहिए कि वह ऐसे पुलिस वालों पर सख्त एक्शन लें जो बेकसूरों पर अत्याचार करते हैं और बदमाशों को खुलेआम गुंडागर्दी करने की छूट दिए रहते हैं। अगर ऐसे पुलिस वालों पर एक्शन नहीं हुआ तो आज उन्होंने आरिफ पर ज़ुल्म किया है कल किसी और पर करेंगे। पुलिस की पिटाई के बाअद काफी तकलीफ होने की वजह से आरिफ ने अब 12 मई के बाजए 18 को दुबई जाने का फैसला किया है।

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