Monday, December 23, 2024
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स्वच्छ जल के लिए संघर्ष करता गांव

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कुमारी माहेश्वरी, लमचूला, बागेश्वर, उत्तराखंड

वर्ष 2024 तक देश के 19 करोड़ घरों तक पीने का साफ़ पानी पहुंचाने का केंद्र सरकार का लक्ष्य हर उस भारतीय के लिए उम्मीद की एक किरण है जो आज भी पीने के साफ़ पानी से वंचित हैं. विशेषकर उन ग्रामीण महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा, जिनका आधा जीवन केवल पानी लाने में ही बीत जाता है. भले ही शहरों में नल के माध्यम से घर घर तक पीने का साफ़ पानी उपलब्ध हो, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह सुविधा किसी ख्वाब से कम नहीं है. विशेषकर उत्तराखंड के लमचूला जैसे सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए तो हर घर नल योजना किसी वरदान से कम नहीं होगी. जहां आज भी लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. किसानों को खेतों में सिंचाई का मुद्दा हो या घर के किसी अन्य कार्य में पानी की ज़रूरत हो, इसकी किल्लत हमेशा बरकरार रहती है.

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के बागेश्वर जिला से करीब 20 किमी दूर गरूड़ ब्लॉक स्थित लमचूला गांव न केवल सामाजिक और आर्थिक रूप से बल्कि शैक्षणिक रूप से भी पिछड़ा हुआ है. लगभग सात सौ की आबादी वाले इस गांव की अधिकतर आबादी अति पिछड़ी और अनुसूचित जाति से संबंध रखती है. प्रकृति की गोद में बसे इस गांव की आबादी मवेशी पालन और खेती पर निर्भर है. गांव में बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. न तो यहां पक्की सड़क है, न 24 घंटे बिजली की व्यवस्था. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी गांव से दूर है. लेकिन दैनिक जीवन में इस गांव के लोग जिस कठिनाइयों का सबसे अधिक सामना कर रहे हैं वह है पीने का साफ़ पानी. इसकी कमी ने लमचूला के लोगों के जीवन को सबसे अधिक प्रभावित किया है. न वह मवेशियों के लिए पीने के पानी का उचित प्रबंध कर पाते हैं और न ही अपने दैनिक जीवन में उनकी पूर्ति हो पाती है. विशेषकर महिलाओं और किशोरियों का जीवन पीने के साफ़ पानी को जमा करने के लिए ही गुज़र जाता है. 

इस संबंध में गांव की एक 28 वर्षीय महिला नीतू देवी का कहना है कि गांव में पीने का साफ़ पानी उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें प्रतिदिन पांच किमी दूर नलधूरा नदी जाकर पानी लाना पड़ता है, जिससे समय की हानि के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. सबसे अधिक कठिनाई वर्षा और अत्यधिक ठंड के दिनों में होती है. जब कच्ची पगडंडियों के कारण फिसलने का खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया कि गांव में पाइपलाइन तो बिछी हुई है, लेकिन वह अक्सर बरसात के दिनों में टूट जाता है, जिसे ठीक कराने में काफी लंबा समय बीत जाता है, जब तक ठीक होकर काम के लायक होता है तब तक फिर से बारिश का मौसम आ जाता है. वहीं बुज़ुर्ग मोतिमा देवी पानी की समस्या को गंभीर बताते हुए कहती हैं कि गांव में पाइपलाइन बिछे होने का क्या लाभ, जब हमें दूर जाकर जलधाराओं से पानी भरना होता है? महिलाएं छोटे छोटे बच्चों को घर में छोड़कर पानी लाने के लिए जाने पर मजबूर हैं. जबकि पानी दैनिक जीवन का सबसे अभिन्न अंग है, केवल इंसान ही नहीं बल्कि मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करनी होती है. बरसात में जमा किये पानी का उपयोग मवेशियों के लिए उपलब्ध तो हो जाता है, लेकिन घर के सदस्यों के लिए साफ़ पानी ही चाहिए.

पानी की कमी का सीधा प्रभाव लड़कियों की शिक्षा पर भी पड़ रहा है. जल संग्रहण के लिए घर की महिलाओं के साथ साथ उन्हें भी प्रतिदिन पांच किमी जाना पड़ता है. जिससे उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है. इसके कारण कुछ लड़कियों का स्कूल भी छूट जाता है. गांव की किशोरियां गीता और कविता के अनुसार गांव में पानी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हमें घर का सारा काम करना पड़ता है, क्योंकि महिलाओं का अधिकतर समय पानी जमा करने में ही गुज़र जाता है. जिसके कारण उन्हें पढ़ाई का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है. वह कहती हैं कि कई बार माहवारी के समय असहनीय दर्द में उन्हें भी पानी लाने जाना पड़ता है. जिसकी वजह से काफी कष्ट होता है और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. पानी की कमी से वह स्वयं की साफ़-सफाई पर भी ध्यान नहीं दे पाती हैं. इन किशोरियों का कहना है कि स्कूल में भी उन्हें पानी की कमी का बहुत अधिक सामना करना पड़ता है. कई बार स्कूल के शौचालय में पानी नहीं होने के कारण किशोरियां स्कूल जाने से घबराती हैं. यही कारण है कि स्कूल में लड़कियों का ड्राप आउट देखने को मिलता है. लेकिन इस समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है या इसे मामूली बात समझी जाती है. 

पानी की समस्या के जल्द हल निकालने की बात करते हुए लमचूला पंचायत के सदस्य बलवंत राम कहते हैं कि पंचायत इस समस्या की गंभीरता को समझता है, इसलिए हम संबंधित विभाग के निरंतर संपर्क में हैं. पंचायत इसकी पूरी कोशिश कर रहा है और सब कुछ ठीक होने में अभी भी 6 से 8 माह का समय लग सकता है. बहरहाल सरकार का हर घर जल योजना अर्थात जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के सभी घरों में पीने का साफ़ पानी पहुंचना है. योजना का मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां पीने का साफ़ पानी उपलब्ध नहीं होता है और इसके लिए उन्हें मीलों पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है. इस योजना के तहत इंफ्रास्ट्रचर को भी मज़बूत करना है, जिससे जल संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा सके ताकि भविष्य में पानी की कमी को भी दूर किया जा सके. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस योजना के आने से लमचूला के लोगों की पानी की समस्या हल हो जाएगी, जिससे किशोरियों को भी अपनी शिक्षा प्राप्त करने में आई रुकावट दूर होगी. (चरखा फीचर)

भारत का बैंकिंग उद्योग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के दम पर क्रांतिकारी बदलाव की राह पर: डेलॉइट इंडिया बैंकिंग सर्वे

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मुंबई। कोविड-19 और नए डिजिटल परिचालन के मद्देनजर, बैंकिंग और वित्तीय संस्थान धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। डेलॉइट इंडिया बैंकिंग फ्रॉड सर्वे, संस्करण IV के मुताबिक ऐसी घटनाओं के जारी रहने की उम्मीद है। सर्वे में शामिल 78% प्रतिसादियों ने माना कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी में बढ़ोतरी हो सकती है। अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी की घटनाओं में वृद्धि के प्रमुख कारणों में बड़े पैमाने पर रिमोट वर्किंग मॉडल, ब्रांच से इतर बैंकिंग चैनलों का उपयोग करने वाले ग्राहकों की संख्या में वृद्धि और संभावित खतरे पहचान करने के लिए फॉरेंसिक एनालिटिक्स टूल का सीमित / अप्रभावी इस्तेमाल शामिल हैं।

धोखाधड़ी की घटनाओं में खुदरा बैकिंग की हिस्सेदारी अहम रही। सर्वे में शामिल 53 प्रतिशत ने माना कि उन्होंने (पिछले दो वर्षों में) 100 से अधिक धोखाधड़ी की घटनाओं का अनुभव किया है, जो पिछले संस्करण की रिपोर्ट के मुकाबले 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इसी तरह, सर्वे में शामिल 56% ने माना कि गैर-खुदरा खंड में औसतन 20 धोखाधड़ी की घटनाएं दर्ज की गईं और यह भी पिछली बार के मुकाबले 22 प्रतिशत अधिक है।
इसके अतिरिक्त, डेटा चोरी, साइबर अपराध, थर्ड पार्टी से प्रेरित धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार, और धोखाधड़ी के दस्तावेजीकरण को शीर्ष पांच चिंताओं के रूप में पहचाना गया है। सर्वे में शामिल 42 प्रतिशत से अधिक (संचयी) ने बताया कि वह इसका शिकार हुए हैं।

सर्वेक्षण के निष्कर्षों को जारी किए जाने के मौके पर अपनी बात रखते हुए डेलॉइट इंडिया के पार्टनर व फाइनेंशियल एडवाइजरी केवी कार्तिक ने कहा, “महामारी के प्रभाव के परिणामस्वरूप दुनिया भर के संस्थान पूरी तरह से नए वातावरण में काम कर रहे हैं। ग्राहकों द्वारा लेन-देन के लिए डिजिटल चैनलों के उपयोग में वृद्धि ने एक ओर जहां लेनदेन की आसानी और उसकी गति में योगदान दिया है। वहीं दूसरी ओर, विकसित और जटिल व्यापार मॉडल और तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ, मौजूदा धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे को नई और अधिक जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।”

इससे अनजाने में बैंकों के लिए नई कमजोरियां और जालसाजों के लिए अवसर पैदा हो गए हैं। जब हम न्‍यू नॉर्मल के साथ तालमेल बिठाते हैं, तो कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो प्रक्रियाओं और प्रणालियों में मौजूद खाई और कमजोरियों का फायदा उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “इसलिए उनके धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे और नियंत्रणों को फिर से तैयार करना एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता होनी चाहिए।”

सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने बताया कि उनके धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (एफआरएम) कार्य पर कोविड-19 के शीर्ष तीन परिणामों में धोखाधड़ी की निगरानी और पता लगाने के लिए विश्लेषणात्मक उपकरणों पर निर्भरता (25 प्रतिशत), ग्राहकों और कर्मचारियों के बीच धोखाधड़ी के बारे में जागरूकता पैदा करने (23 प्रतिशत), और रिमोट एफआरएम फ़ंक्शन (21 प्रतिशत) की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए टारगेट ऑपरेटिंग मॉडल में बदलाव की आवश्यकता होगी।

यह धोखाधड़ी को कम करने के लिए बैंकों द्वारा (पिछले छह महीनों में) किए गए शीर्ष तीन उपायों में (आंशिक रूप से) दर्शाता है। सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने एआई / एमएल का उपयोग करके मौजूदा प्रारंभिक चेतावनी संकेतों (ईडब्ल्यूएस) और धोखाधड़ी निगरानी प्रणालियों को अनुकूलित करने और बाहरी डेटाबेस को एकीकृत करने (23 प्रतिशत), धोखाधड़ी की घटनाओं का प्रभावी ढंग से जवाब देने/रिपोर्ट करने के लिए केस प्रबंधन समाधानों को बढ़ाना (18 प्रतिशत), और धोखाधड़ी-निगरानी कार्यों (17 प्रतिशत) में शामिल कर्मचारियों को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण/कार्यशालाओं की व्यवस्था करने की जरूरत पर बल दिया।

लेन-देन की मात्रा में निरंतर वृद्धि, उपभोक्ता व्यवहार में बदलते पैटर्न और नए उभरते जोखिमों के साथ, पारंपरिक नियम-आधारित समाधानों का उपयोग करके “खतरे” का पता लगाना अब अप्रासंगिक हो गया है। डेलॉइट इंडिया के पार्टनर निष्काम ओझा ने कहा, “महामारी ने बैंकों को सेवा में रुकावट से बचने के लिए कम समय में महत्वपूर्ण संगठनात्मक और परिचालन परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया है। फ्रंट एंड पर असंख्य परिवर्तनों को लागू किया जा रहा है, लेकिन प्रक्रियाएं और प्रणालियां संभवतः इससे अछूती रहती हैं और ऐसे में यह सवाल पैदा करता है – क्या ऐसे सभी परिवर्तनों का मूल्यांकन धोखाधड़ी के प्रति उनकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर किया गया है? ”

उन्होंने कहा, “जैसे ही नए धोखाधड़ी जोखिम सामने आने लगते हैं, वित्तीय संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है कि वे इन जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करना जारी रखें। तकनीकी के उपयोग की खोज करने से बैंकों के संचालन के तरीके में वृद्धि हो सकती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे निवारक, जासूसी और प्रवर्तन उपायों के शीर्ष पर बने रहें।

जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ‘एम्बेसडर फॉर पीस’ अवार्ड से सम्मानित

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नयी दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर को उनके असाधारण शैक्षिक और संस्थागत नेतृत्व के लिए यूनिवर्सल पीस फेडरेशन- इंडिया चैप्टर द्वारा ‘एम्बेसडर फॉर पीस’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है। फेडरेशन द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस के वर्चुअल समारोह के दौरान यह सम्मान दिया गया। अवार्ड फंक्शन के अलावा कार्यक्रम के दौरान, विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने स्वामी विवेकानंद के जीवन से मिली शिक्षाओं के बारे में प्रेरक व्याख्यान दिए, जिसमें विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।

अपने संबोधन के दौरान प्रो. अख्तर ने कहा कि देश और दुनिया का भविष्य युवाओं पर निर्भर करता है. उन्हें हमेशा स्वतंत्र रूप से सशक्त होना चाहिए लेकिन जिम्मेदारी की भावना के साथ-साथ; और जामिया सहित सभी विश्वविद्यालय उसी उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं।

यूनिवर्सल पीस फेडरेशन, संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त एक संगठन है जो उन व्यक्तियों को ‘एम्बेसडर फॉर पीस’ अवार्ड से सम्मानित करता है, जिनका जीवन दूसरों के लिए जीने के आदर्श का उदाहरण है, और जो खुद को उन प्रथाओं के लिए समर्पित करते हैं, जोकि सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों, सुदृढ पारिवारिक जीवन, अंतर्धार्मिक सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव, रिन्यूअल ऑफ़ यूनाइटेड नेशन्स, जिम्मेदार पब्लिक मीडिया और शांति की संस्कृति की स्थापना को बढ़ावा देते हैं।

नस्लीय, राष्ट्रीय और धार्मिक बाधाओं को पार करते हुए, ‘एम्बेसडर फॉर पीस’ सभी युगों की आशा की पूर्ति में योगदान करते हैं, शांति की एक ऐसी एकीकृत दुनिया जिसमें जीवन के आध्यात्मिक और भौतिक आयामों का सामंजस्य होता है।

जामिया स्कूल की टीचर आयशा जमील को यूएसए का प्रतिष्ठित फुलब्राइट अवार्ड

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नयी दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्कूल सैयद आबिद हुसैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल की टीचर आयशा जमील, पीजीटी (अंग्रेजी) को यू. एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट’स के फुलब्राइट टीचिंग एक्सीलेंस एंड अचीवमेंट प्रोग्राम (फुलब्राइट टीईए) में भाग लेने के लिए चुना गया है।

आयशा इस महीने लोवेल, मैसाचुसेट्स, यूएसए में जामिया और भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। आयशा संगोष्ठियों में भाग लेंगी और ऐसे शोध कार्य करेंगी जो उनके शिक्षण-अधिगम उपकरणों को बढ़ाने में सक्षम होंगे। वह अपने छात्रों और साथी सहयोगियों के लिए नई रणनीतियों की जानकारी जुटाने में सक्षम होगी। ये विशेष सेमिनार 21वीं सदी के शिक्षण कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षण से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेंगे।

आयशा को यूएस स्कूल में कक्षाओं को देखने और सह-शिक्षण करने के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर भी मिलेगा। यू. एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट ने दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल की है, जिसमें आयशा और उनके साथी शामिल होंगे। कार्यक्रम को पूरे अकादमिक सेमिनार और कार्यशालाओं में जेंडर और शिक्षा पर फोकस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

फुलब्राइट प्रोग्राम दुनिया का सबसे बड़ा और विविध अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक आदान-प्रदान का प्रोग्राम है। इसके एल्युम्नाइ में से स्टेट प्रमुख, न्यायाधीश, राजदूत, कैबिनेट मंत्री, सीईओ, विश्वविद्यालय के अध्यक्ष, पत्रकार, कलाकार, वैज्ञानिक और शिक्षक बने हैं। इनमें नोबेल पुरस्कार विजेता, पुलित्जर पुरस्कार विजेता आदि भी शामिल हैं। आयशा ने जामिया की कुलपति, प्रो नजमा अख्तर और स्कूल प्रधानाचार्य, डॉ जफर अहमद सिद्दीकी का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उन पर विश्वास किया और उन्हें इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी 2022 में करेंगे धमाका

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नयी दिल्ली। नवाजुद्दीन सिद्दीकी की तरह बहुत कम दिग्गजों का सफ़र प्रभावशाली रहा है। जब अभिनय की बात आती है, तो नवाजुद्दीन वास्तव में प्रस्तुत किए गए किसी भी करैक्टर में ढलने के अपने स्पेशल स्किल के साथ बहुमुखी प्रतिभा का एक नया बेंचमार्क स्थापित करते आये हैं। हम सभी जानते हैं कि नवाजुद्दीन ने हमेशा अपने हर किरदार में अपनी छाप छोड़ी है। संक्षेप में कहें तो वह पूरी तरह से किरदार को अपना बना लेते हैं। चाहे कोई भी जॉनर हो, उनका चार्म उन्हें बाकी सभी से अलग बनाता है।

सरफरोश में एक छोटी सी भूमिका निभाने से लेकर रईस में एक तेजतर्रार पुलिस वाले की भूमिका निभाने तक, नवाजुद्दीन ने अपने सभी पात्रों में अभिनय के अलग-अलग आयाम स्थापित किए हैं। और फिर गैंग्स ऑफ वासेपुर के फैजल खान को हम कैसे भूल सकते हैं! उनके शानदार अभिनय को देखने के बाद दर्शक भी उनसे भविष्य में काफी उम्मीद कर रहे हैं। अगर हम नवाजुद्दीन की आने वाले प्रोजेक्ट्स पर एक नज़र डालें, तो वह 2022 में सबसे व्यस्त अभिनेता नज़र आ रहे हैं! एक अद्भुत लाइनअप के साथ, हम उन्हें इस साल उनकी आने वाली फिल्मों में 5 अलग-अलग जॉनर में देखेंगे। हर दूसरी फिल्म में क्रमिक रूप से इस तरह का डायनामिक किरदार निभाना किसी भी अभिनेता के लिए आसान काम नहीं है, लेकिन यही बहुमुखी प्रतिभा की गुणवत्ता को परिभाषित करता है, जिसमें नवाजुद्दीन एक परफेक्शनिस्ट हैं। उनकी फिल्मोग्राफी में हम सभी को अलग-अलग जॉनर देखने मिलेगा। नो लैंड्स मैन एक ड्रामा है, जबकि अदभुत एक सुपरनैचुरल थ्रिलर होगी, दूसरी ओर टीकू वेड्स शिरू एक रोमांटिक पीस है और जोगिरा सारा रा रा एक रोमकॉम होगी और हीरोपंती 2 एक बॉलीवुड मसाला फ्लिक होगी। ऐसा लगता है कि हमारे बहुमुखी प्रतिभा अभिनेता नवाजुद्दीन अपने इतने सारे प्रोजेक्ट के साथ सबसे व्यस्त वर्ष बिताने वाले हैं!

इस बारे में बात करते हुए नवाजुद्दीन ने साझा किया “हम इसे वेर्सटीलिटी पर एक कोशिश कर सकते हैं। मैं हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता हूं कि मैं कम्फर्ट जोन में नहीं रहना चाहता। कम्फर्ट जोन बहुत आसान है और एक कम्फर्ट जोन में रियलिस्टिक परफॉर्मेंस करना बहुत आसान है। लेकिन एक किरदार में रहते हुए रियलिस्टिक होना और उसे आसानी से निभाना बहुत मुश्किल है। अगर मैं खुद को दोहराता हूं, तो यह मेरे लिए बहुत आसान होगा क्योंकि मैं अपने कम्फर्ट जोन में हूं और मैं आपको रियलिस्टिक होने का इंप्रेशन दे सकता हूं, किरदार में रहते हुए रियलिस्टिक होना और सहजता लाना बहुत मुश्किल है।”

नवाजुद्दीन ने हमेशा अपने शानदार अभिनय के लिए ध्यान आकर्षित किया है। अपनी फिल्म ‘सीरियस मेन’ के लिए फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की ट्रॉफी जीतने से लेकर एमी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नामांकित होने तक, इस अभिनेता ने हर स्तर पर खुद को साबित किया है और उनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा देखने मिला है। हम नवाजुद्दीन को शानदार 2022 के लिए ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देते हैं!

इन 5 वजहों से आपको जल्द से जल्द फ़िल्म ‘पुष्पा: द राइज़-पार्ट 1’ देखनी चाहिए!

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पुष्पा… पुष्पा राज: जी हाँ, खुद अल्लू अर्जुन ही इस फिल्म को देखने की सबसे बड़ी वजह हैं। प्रतिभा के धनी और अपनी कला में माहिर इस फिल्म अभिनेता के बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है, लेकिन ‘पुष्पा: द राइज़’ के साथ अल्लू अर्जुन ने मेथड-एक्टिंग को एक नए मुकाम तक पहुँचाया है। इस फ़िल्म में उनके प्रदर्शन, डांस मूव्स और एक्शन स्टंट के अलावा उनके बेहतरीन स्टाइल और अनोखे अंदाज़ – जिसमें वे हर बार वह अपनी दाढ़ी पर हाथ घुमाते हैं, इन सभी ने फैन्स का दिल जीत लिया है। यह एक बेहतरीन और सही मायने में एक ब्लॉकबस्टर फ़िल्म है, जिसका श्रेय उन्हें जाता है।

देश की सीमाओं के बाहर इस फ़िल्म की चर्चा: फ़िल्म ‘पुष्पा: द राइज़’ देश-विदेश के दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। इसने पूरी दुनिया में फ़िल्मों को पसंद करने वाले लोगों के बीच अपनी ज़बरदस्त उपस्थिति दर्ज करके क्षेत्रीय सिनेमा के दायरे को पार कर लिया है। देश और दुनिया की जानी-मानी हस्तियों, आलोचकों और दर्शकों ने इस फ़िल्म की भरपूर तारीफ़ की है, और उनकी तारीफ़ों का सिलसिला लगातार जारी है। इसे देखते हुए ‘पुष्पा: द राइज़’ को इस साल की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक फ़िल्म कहा जा सकता है, जो अब दुनिया भर के दर्शकों के लिए प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है।

आआ (अल्लू अर्जुन) और फाफा (फहाद फासिल) – एक साथ!: एक छोटा सा सवाल है। जब अपने ज़माने के दो बेमिसाल और सबसे शानदार अभिनेता बड़े पर्दे पर एक साथ नज़र आते हैं, तो क्या होता है? इसका जवाब है – अभिनय के जादू के सिवा कुछ और नहीं होता है। यही जादू हमें इस फ़िल्म में भी दिखाई दिया, क्योंकि दो बड़े सितारों, अल्लू अर्जुन और फहाद फासिल ने पर्दे पर अपना जलवा दिखाते हुए दर्शकों को हैरत में डाल दिया। हम सभी को भंवर सिंह शेखावत से डरना चाहिए, है ना! जिन लोगों को इस फ़िल्म में फहाद फासिल की भूमिका थोड़ी छोटी लगी, उन्हें भी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि ‘पुष्पा: द राइज़’ का सीक्वल भी आएगा जिसमें फहाद की कहानी वहीं से जारी रहेगी, जहाँ पर इस फ़िल्म में ख़त्म हुई थी। बहरहाल, यह तेलुगू सिनेमा में फाफा की पहली फ़िल्म भी है।

फ़िल्म का निर्देशन: फ़िल्म देखने के लिए एक बार प्ले बटन दबाने से लेकर अंतिम सीन तक, एक बार भी बार आपके दिल में पॉज बटन दबाने का विचार नहीं आएगा। इसका श्रेय निर्देशक सुकुमार को जाता है, जिन्होंने बेहद दिलचस्प एवं मनोरंजक फ़िल्म बनाई है जो शुरुआत से ही आपके दिल को छू लेगी। सुकुमार ने ‘पुष्पा: द राइज़’ पार्ट-1 के साथ एक्शन फिल्मों के लिए एक नई मिसाल कायम की है।

ऑडियो-विजुअल का आनंद: फ़िल्म में 10,000 वाट के डायलॉग्स के साथ-साथ बेहद खूबसूरत एवं शानदार लोकेशंस, दिलकश गीत-संगीत और कलाकारों का बेजोड़ अभिनय देखने के बाद आपके मन में केवल एक सवाल रह जाएगा: पार्ट-2 कब रिलीज़ हो रहा है?
चंद शब्दों में इस बेमिसाल फ़िल्म से जुड़ी सारी बातों की जानकारी दे पाना संभव नहीं है, लेकिन अगर आपने अभी तक यह फ़िल्म नहीं देखी है तो आपसे एक बड़ी चूक हुई है। ‘पुष्पा: द राइज़-पार्ट 1’ अमेज़न प्राइम वीडियो पर तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ में स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है। यह फ़िल्म 14 जनवरी को हिंदी में लॉन्च होगी, इसलिए यह तारीख़ याद रखें और वीकेंड में इस मेगा-एंटरटेनर का भरपूर आनंद लें।

हॉर्लिक्स वूमैन प्लस ने विटामिन डी की निशुल्क जाँच के लिए अपोलो क्लिनिक्स के साथ साझेदारी की

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नयी दिल्ली। एचयूएल के हॉर्लिक्स वूमैंस प्लस ने महिलाओं के बीच हड्डियों की सेहत एवं विटामिन डी की कमी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हाल ही में अपोलो क्लिनिक्स के साथ एक माह लंबा अभियान लॉन्च किया है। ये दोनों ब्रांड मिलकर हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरुकता बढ़ा रहे हैं ताकि सही पोषण, शारीरिक व्यायाम, और नियमित जाँच के बारे में महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा सके। इस अभियान में हॉर्लिक्स वूमैन प्लस और अपोलो क्लिनिक्स ने 30 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं में विटामिन डी की निशुल्क जाँच के लिए साझेदारी की है। यह जाँच इस माह हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता, बैंगलुरू, और चेन्नई में अपोलो क्लिनिक्स पर जाएगी। इस जाँच के साथ डॉक्टर का निशुल्क परामर्श भी दिया जाएगा।

भारत में 10 में से 9 महिलाओं में विटामिन डी की कमी है। 30 साल की उम्र के बाद, हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है । यह नियमित गतिविधियों में होने वाले दर्द व पीड़ा के रूप में सामने आता है। आपको लंबे समय तक खड़े रहने, घुटनों को मोड़ने, या फिर भारी सामान उठाने पर परेशानी होती है। यदि समय पर इसकी रोकथाम के उपाय न किए जाएं, तो वृद्धावस्था में मसकुलोस्केलेटल पीड़ा, हड्डी टूटने का खतरा व ओस्टियोपोरोसिस का जोखिम रहता है। विटामिन डी आपकी हड्डियों द्वारा कैल्शियम का अवशोषण करने के लिए जरूरी है, लेकिन दुर्भाग्य से भारत में विटामिन डी की कमी के साथ इस बारे में जागरुकता भी बहुत कम है। एक संतुलित आहार, नियमित शारीरिक व्यायाम, और हड्डियों के पोषण के लिए जरूरी चीजें जैसे प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन के2 और विटामिन डी का लिया जाना हड्डियों का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। हॉर्लिक्स वूमैंस प्लस 6 महीनों में हड्डियों की शक्ति बढ़ाने के लिए क्लिनिकली प्रमाणित4 है। इसमें कैल्शियम का 100 प्रतिशत आरडीए, विटामिन डी और विटामिन के2 है।
हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड के वाईस प्रेसिडेंट, न्यूट्रिशन, कृष्णन सुंदरम ने कहा, ‘‘भारत में अच्छी सेहत बनाए रखने की संस्कृति का विकास करने के उद्देश्य से महिलाओं की सेहत में अग्रणी, एचयूएल को अपोलो समूह के साथ साझेदारी करने की खुशी है। इस साझेदारी द्वारा हम अच्छे पोषण, शारीरिक व्यायाम और नियमित रूप से जाँच के बारे में जागरुकता बढ़ाएंगे। इस सफर की शुरुआत हम हॉर्लिक्स वूमैन प्लस पर एक संयुक्त जागरुकता अभियान के साथ कर रहे हैं। हॉर्लिक्स पोर्टफोलियो का यह उत्पाद हड्डियों को पोषण देने के लिए क्लिनिकली रूप से प्रमाणित है। हमारा मानना है कि यह अभियान जागरुकता बढ़ाकर भारत में विटामिन डी की कमी को दूर करने में योगदान दे सकेगा।’’ इस अभियान में आज तक 18,000 से ज्यादा महिलाओं की जाँच की जा चुकी है।

मनीष सिसोदिया ने उत्तराखंड की जनता को किया वर्चुअली संबोधित

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नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को वर्चुअली जुड़कर उत्तराखंड की जनता को संबोधित करते हुए नव-परिवर्तन संवाद का आगाज किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह दिल्ली की जनता ने दिल्ली में आप की सरकार को वोट देकर चुना, ठीक वैसे ही उत्तराखंड की जनता भी अबकी बार आप पार्टी की सरकार को चुने ताकि दिल्ली जैसा विकास उत्तराखंड में भी संभव हो पाए। उन्होंने कहा कि 35 दिन बाद उत्तराखंड में नई सरकार के लिए चुनाव होना है।

उन्होंने कहा कि 14 फरवरी को नई सरकार के लिए चुनाव होना है। लेकिन यह चुनाव सिर्फ नई सरकार के लिए नहीं होगा बल्कि इस चुनाव से कई सवाल जुडे़ हुए हैं कि यहां की शिक्षा बेहतर कैसी होगी, यहां के युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा, यहां की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो पाएगा, क्या पलायन पर रोक लग पाएगी, यह चुनाव इन सवालों से सीधे जुड़ा होगा।

उन्होंने आगे कहा कि यहां के लोगों ने इस राज्य के लिए लंबी लड़ाई लड़ते हुए आंदोलन किए क्योंकि उस वक्त लखनऊ बहुत दूर हुआ करता था लेकिन अफसोस कि उत्तराखंड का विकास और भला आज तक 21 सालों में भी नहीं हो पाया। 21 साल पहले एक महान आंदोलन के बाद उत्तराखंड का जन्म हुआ – देवभूमि की माताओं, युवाओं, बुजुर्गों के संघर्ष से मिला है उत्तराखंड राज्य। 21 साल पहले जो आंदोलन लड़ा गया था उसका फायदा सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं को हुआ लेकिन यहां की जनता के हाथ आज भी खाली हैं। आज भी यहां के लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। 21 साल पहले स्कूलों और अस्पतालों की जो स्थिति हुआ करती थी वो स्थिति आज भी वैसी ही बनी हुई है। यहां की जनता को तो कुछ हासिल नहीं हुआ लेकिन यहां के नेता 21 सालों में मालामाल हो गए।

उन्होंने आगे कहा कि अब सवाल सिर्फ आप पार्टी को वोट देने तक सीमित नहीं है बल्कि उत्तराखंड के युवाओं के सपने पूरे करने का सवाल सबसे अहम है। अगर 21 सालों में इन सरकारों द्वारा कुछ किया गया होता तो आज महिलाएं प्रसव के दौरान दम नहीं तोड़ती, अगर दोनों दलों द्वारा कुछ किया होता तो आज प्रदेश में अच्छे अस्पतालों का अभाव नहीं होता, अगर दोनों दलों द्वारा कुछ किया होता तो उत्तराखंड के स्कूल आज शानदार होते और लोगों को पलायन नहीं करना पड़ता और अन्य राज्यों के लोग भी यहां आते , लेकिन बडे दुर्भाग्य की बात है कि इन दोनों दलों ने 21 सालों में कुछ नहीं किया जिसका खामियाजा आज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। आज यहां की हालत यह है कि जनता के लिए न तो अच्छे अस्पताल हैं, न अच्छे स्कूल हैं, न सस्ती बिजली-पानी है, न अच्छी सड़कें है और न ही रोजगार है।

विवेक रंजन अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज़ टली

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मुंबई। विवेक रंजन अग्निहोत्री की बहुप्रतीक्षित ‘द कश्मीर फाइल्स’ का इंतजार COVID-19 महामारी के कारण लंबा रहा है। लेकिन लगता है कि कश्मीरी पंडितों की कहानी को बड़े पर्दे पर देखने के लिए दर्शकों को अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा। मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर और पल्लवी जोशी अभिनीत फिल्म के निर्माताओं ने देश में COVID-19 मामलों के बढ़ने के कारण पलायन ड्रामा की रिलीज़ को टाल दिया है। यह फिल्म जिसमें दर्शन कुमार, पुनीत इस्सर और चिन्मय मंडलेकर द्वारा स्पेशल परफॉर्मेंस दी गयी है, इस साल 26 जनवरी को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली थी।

सोशल मीडिया पर इस खबर की घोषणा करते हुए, ज़ी स्टूडियोज़ ने भारत के नक्शे का एक क्रिएटिव साझा किया, जिसमें उल्लेख किया गया है, “देश में कोविड के मामलों में हुई वृद्धि और कई राज्यों में सिनेमाघरों के आंशिक या पूरी तरह से बंद होने के कारण, हमने फैसला किया है कि हमारी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज को टाल दें। आओ मिलकर इस महामारी से लड़ें। मास्क पहनें और सुरक्षित रहें!”

अपने टाइटल पर खरा उतरते हुए, ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक सच्ची कहानी है, जो कश्मीरी पंडित समुदाय के कश्मीर नरसंहार की पहली पीढ़ी के पीड़ितों के वीडियो इंटरव्यू पर आधारित है। यह कश्मीरी पंडितों के दर्द, पीड़ा, संघर्ष और आघात का दिल दहला देने वाला नरेटिव है और लोकतंत्र, धर्म, राजनीति और मानवता के बारे में आंखें खोलने वाले तथ्यों पर सवाल उठाता है।

अपनी पिछली समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म ‘द ताशकेंट फाइल्स’ के लिए प्रशंसा बटोरने के बाद, जिसने इस साल की शुरुआत में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था, ज़ी स्टूडियोज़ और लेखक-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने एक अन्य हार्ड-हीटिंग फिल्म पेश करने के लिए फिर से सहयोग किया है।

विवेक रंजन अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित, इस ड्रामा में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, दर्शन कुमार, पल्लवी जोशी, भाषा सुंबली और चिन्मय मंडलेकर जैसे अभिनेताओं की तारकीय भूमिका है। ज़ी स्टूडियोज़ और तेज नारायण अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, पल्लवी जोशी और विवेक रंजन अग्निहोत्री द्वारा निर्मित, विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित है।

प्रधानमंत्री दिल्ली लौटने को हुए मंज़ूर , भाजपा ने सुरक्षा में चूक का इलज़ाम लगाया

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फिरोजपुर। प्रधानमंत्री का फ़िरोज़पुर में रैली को सम्बोधित किये बिना लौट आना चर्चा का विषय बना हुआ है। पीएम मोदी मौसम खराब होने के कारण बठिंडा से वाया रोड फिरोजपुर पहुंच रहे थे कि तलवंडी भाई-फरीदकोट के बीच किसानों ने रास्ता जाम किया हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने मोदी के काफिले को पंद्रह मिनट तक वहीं रोके रखा और फिरोजपुर जाने को रास्ता नहीं दिया। मोदी वहीं से वापस बठिंडा लौटे और अपने जहाज से दिल्ली रवाना हो गए।

उधर, भाजपा नेताओं का आरोप है कि यह सब कुछ पंजाब सरकार के इशारे पर हुआ है। जबकि भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की बैठक होने पर उनकी ज्यादातर मांगों को स्वीकार करने पर सहमति बन चुकी थी।

रैली को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा कि उनकी रैली को असफल बनाने में पंजाब सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। पुलिस प्रशासन भी पंजाब सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। 21 जगहों पर कुछेक लोगों को सड़कों पर बिठाकर भाजपा कार्यकर्ताओं की बसें रोकी गई हैं। उन्हें रैली स्थल तक पहुंचने नहीं दिया है। पुलिस ने भी भाजपा कार्यकर्ताओं का साथ नहीं दिया। फरीदकोट के रास्ते उनके कार्यकर्ताओं की बसें रोक खानपान की सामग्री फेंक दी गई हैं।
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू सीएम के सपने देख रहा है लेकिन वास्तव में कुछ करने लायक नहीं है। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी लोगों से झूठे वादे करने में लगा है। सरकारी खजाने में पैसा नहीं है और चन्नी वादे बड़े-बड़े कर रहा है। चन्नी मेरा नाम लेकर पंजाब की जनता से कहा रहा है कि साढ़े चार साल में कैप्टन ने कुछ नहीं किया। अगर मैंने कुछ नहीं किया तो पंजाब में ढाई लाख नौजवानों को नौकरियां किसने दीं। पंजाब की गरीब जनता को पांच लाख की सेहत बीमा सुविधा दी है। ये लोग पंजाब को बर्बाद करने पर तुले हैं।